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राष्‍ट्रीय पाई दिवस :



✅ 📌 Pi Day (पाई दिवस): महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने की थी पाई के मान की खोज, इस श्लोक में हैं Pi का वर्णन।

📌 Pi Day (पाई दिवस): पाई के मदद के बिना गणित, भौतिकी एवं अन्य कई विषयों में समस्याओं को हल करना संभव नहीं हो पाता है।

👉 14 मार्च को ही पाई दिवस के रूप में इसलिए मनाया जाता है क्योंकि यह एक संख्यात्मक दिनांक 3/14, पाई - 3.14 के समान है!

महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट का जन्म 5वीं सदी में हुआ, उन्होंने पाई के मान का सटीक अनुमान लगाया था। आर्यभट्ट ने ही दुनिया को बताया था कि धरती गोल है और सूर्य के चारों ओर चक्कर काटती है।

14 मार्च को पूरे विश्व में पाई डे मनाया जाता है। गणित के हर छात्रों के अलावा जियोमेट्री यानी ज्यामिति पढ़ने वाले इससे अच्छी तरह वाकिफ होंगे। पाई (π) एक गणिताय नियतांक (मैथेमैटिकल कॉन्स्टेंट) यानि निर्धारक है जिसका मान 3.14159 होता है। पाई सबसे महत्वपूर्ण गणितीय एवं भौतिक नियतांकों में से एक है। गणित के कई सवालों को हल करने के लिए विभिन्न जगहों पर इसका प्रयोग किया जाता है। 

🤔 पाई (π) क्या है?

गणित में किसी वृत्त की परिधि की लंबाई और उसके व्यास की लंबाई के अनुपात को पाई कहा जाता है। हर वृत्त में यह अनुपात 3.141 होता है, लेकिन दशमलव के बाद की पूरी संख्या का अब तक आंकलन नहीं किया जा सका है, इसलिए इसे अनंत माना जाता है। गणित पढ़ने वाले हर किसी को मालूम होगा कि यदि किसी वृत्त का व्यास एक है तो उसकी परिधि पाई के बराबर होगी।

☑️ आर्यभट्ट ने पाई के मान का लगाया था सटीक अनुमान :

आधुनिक युग में पाई का मान सबसे पहले 1706 में गणितज्ञ विलिया जोन्स ने सुझाया था। हालांकि भारत के सबसे पहले गणितज्ञ आर्यभट्ट ने 5वीं सदी में ही पाई के मान का सटीक अनुमान लगाया था। आर्यभट्ट ने गणित के श्लोकों में पाई के अनुमान का जिक्र मिलता है। आर्यभटीय, गणितपाद, श्लोक 10 में उन्होंने इसका जिक्र किया है।

चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्राणाम्।
अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्यासन्नो वृत्तपरिणाहः॥

अर्थ: 100 में चार जोड़ें, 8 से गुणा करें और फिर 62000 जोड़ें। इस नियम से 20000 परिधि के एक वृत्त का व्यास पता लगाया जा सकता है।
(100 + 4) x 8 +62000/ 20000= 3.1416

इसके अनुसार व्यास और परिधि का अनुपात (2πr/2r) यानी 3.1416 है, जो पांच महत्वपूर्ण आंकड़ों तक बिलकुल सटीक है।

भारत का पहला उपग्रह भी आर्यभट्ट के नाम पर ही रखा गया है। 1500 साल पहले ही आर्यभट्ट ने यह सिद्धांत दिया था कि धरती गोल है और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। महान खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट का जन्म कुसुुमपुरा अब पाटलिपुत्र में हुआ था।

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