🧾 बिल के प्रावधान :
इस विधेयक का प्रस्ताव है कि दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में “सरकार” का अर्थ है दिल्ली का “उप-राज्यपाल” (एलजी) होगा। यह दिल्ली के एलजी को उन मामलों में भी विवेकाधीन शक्तियाँ प्रदान करता है, जहाँ कानून बनाने की शक्ति दिल्ली की विधानसभा के पास है। यह प्रस्तावित विधेयक यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि मंत्रिपरिषद या दिल्ली मंत्रिमंडल के किसी भी निर्णय के लागू होने से पहले एलजी को “आवश्यक रूप से एक अवसर दिया जाए”। 1991 के अधिनियम की धारा 21, 24, 33 और 44 में संशोधन करने के लिए यह विधेयक पेश किया गया है।
▪️ पृष्ठभूमि :
दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है जहाँ विधायिका है। इस केंद्र शासित प्रदेश की स्थापना वर्ष 1991 में संविधान के अनुच्छेद 239AA के अनुसार की गई थी। मौजूदा कानूनों में यह प्रावधान है कि दिल्ली की विधानसभा के पास पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और जमीन को छोड़कर सभी मामलों में कानून बनाने की शक्ति है।
🖋 1991 अधिनियम की धारा 44 :
अधिनियम के इस भाग में कहा गया है कि एलजी के सभी कार्यकारी कार्य, चाहे वह अपने मंत्रियों की सलाह पर या किसी अन्य तरीके से किए गए हों, एलजी के नाम पर लिए जाएंगे।
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