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Blood Circulation ( परिसंचरण तंत्र )।।

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बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima)

बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima)

✨बुद्ध पूर्णिमा एक बौद्ध त्यौहार है। इसे बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
पूर्णिमा वह दिन है जब चंद्रमा पूर्ण चरण में होता है।

✨बौद्ध परंपरा और आधुनिक शैक्षणिक सहमति के अनुसार, गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी (वर्तमान में नेपाल में स्थित) में 563 ईसा पूर्व हुआ था ।

✨बुद्ध के जन्मदिन की सही तारीख एशियाई लुनिसोलर कैलेंडर पर आधारित है। बुद्ध के जन्मदिन के उत्सव की तारीख हर साल पश्चिमी ग्रेगोरियन कैलेंडर में भिन्न होती है, लेकिन आमतौर पर अप्रैल या मई में आती है।

✨दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में बुद्ध के जन्म को वेसाक के एक भाग के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को बुद्ध के ज्ञान के उपलक्ष्य और मृत्यु शोक के रूप में भी मनाया जाता है। जबकि पूर्वी एशिया में बुद्ध की जागृति और मृत्यु को अलग-अलग मनाया जाता है।

✨वर्ष 2021 की बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने अपने संदेश में कहा कि “बुद्ध पूर्णिमा केp शुभ अवसर पर मैं सभी देशवासियों और पूरे विश्व में भगवान बुद्ध के अनुयायियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। भगवान बुद्ध की शिक्षाएं संपूर्ण विश्व को पीड़ा और दुःख से मुक्ति का मार्ग दर्शाने वाली हैं। हिंसा और अन्याय से दूर रहने का उनका मूल-मंत्र सदियों से हमें आदर्श मानव बनने के लिए प्रेरित करता रहा है। भगवान बुद्ध के जीवन और उनकी शाश्वत शिक्षाओं में सन्निहित अहिंसा, शांति, करुणा और मानवता की सेवा के आदर्शों ने विश्व में मानव सभ्यता के विकास पर गहरा प्रभाव डाला है।

बौद्ध धर्म के संस्थापक

✨सिद्धार्थ गौतम, बौद्ध धर्म के संस्थापक थे, जिन्हें बाद में "बुद्ध" के रूप में जाना गया।

✨गौतम का जन्म एक शाक्य राजघराने (वर्तमान नेपाल) में एक राजकुमार के रूप में हुआ था। यद्यपि उनके पास एक आसान जीवन का विकल्प था, परन्तु संसार के दुखों ने उन्हें द्रवित कर मार्ग परिवर्तन हेतु प्रेरित किया।

✨उन्होंने अपनी भव्य जीवन शैली को त्यागने और गरीबी को सहन करने का फैसला किया।

✨उन्होंने "मध्य मार्ग" के विचार को बढ़ावा दिया, जिसका अर्थ है दो चरम सीमाओं के बीच विद्यमान। इस प्रकार, उन्होंने सामाजिक भोग , वंचित जीवन के मध्य का मार्ग चुना ।

✨बौद्धों का मानना है कि छह साल की तपस्या के उपरांत , गौतम बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाते हुए आत्मज्ञान पाया।

✨उन्होंने अपना शेष जीवन इस आध्यात्मिक अवस्था को प्राप्त करने के बारे में दूसरों को सिखाने में बिताया।

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