सीडीसी के अनुशार, हर साल 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं। लगभग 100 मिलियन लोग संक्रमण से बीमार हो जाते हैं, और 22,000 लोग गंभीर डेंगू से मर जाते हैं।
■डेंगू क्या है..?
डेंगू एक वायरल बिमारी है जो एक खास प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलती है। डेंगू वायरस मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी प्रजाति के मादा मच्छरों द्वारा फैलता है और कुछ हद तक एई अल्बोपिक्टस से भी। ये मच्छर चिकनगुनिया, येलो फीवर और जीका वायरस के भी वाहक हैं।
डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है क्योकिं इसमे हड्डी टूटने जैसा दर्द होता है और कई दिनो तक रहता है। कम फीसदी मे डेंगू बुखार वाले लोगों को डेंगू रक्तस्रावी बुखार (dengue hemorrhagic fever) नामक बीमारी का एक अधिक गंभीर रूप विकसित कर सकता है। सीडीसी के मुताबिक, डेंगू दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में समान्य है। दुनिया की चालीस प्रतिशत आबादी, लगभग 3 अरब लोग, डेंगू के जोखिम वाले क्षेत्रों में रहते हैं। जोखिम वाले क्षेत्रों में डेंगू अक्सर बीमारी का एक प्रमुख कारण होता है।गंभीर डेंगू कुछ एशियाई और लैटिन अमेरिकी देशों में गंभीर बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। इसके लिए चिकित्सा पेशेवरों द्वारा प्रबंधन की ज़रूरत होती है। डेंगू/गंभीर डेंगू के लिए कोई खास इलाज नहीं है। गंभीर डेंगू से जुड़े रोग की प्रगति का जल्दी पता लगाना, और सही चिकित्सा देखभाल तक पहुंच गंभीर डेंगू की मृत्यु दर को 1 फीसदी से कम कर देती है।
डब्लूएचओ के अनुशार, विश्व स्तर पर अब तक दर्ज किए गए डेंगू के मामलों की सबसे ज्यादा संख्या 2019 में थी।
■डेंगू होने का कारण
डेंगू पैदा करने के लिए जिम्मेदार वायरस को डेंगू वायरस (डीईएनवी) कहा जाता है। चार डीईएनवी सीरोटाइप हैं, जिसका अर्थ है कि चार बार इससे संक्रमित होना संभव है। डेंगू फ्लेविविरिडे परिवार के एक वायरस के कारण होता है। डेंगू चार संबंधित वायरसों में से किसी एक के कारण होता है: डेंगू वायरस 1, 2, 3 और 4। इस कारण से, एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में चार बार डेंगू वायरस से संक्रमित हो सकता है। अगर उसे एक बार डेंगू हो गया है और डेंगू के प्रती इम्मुनिटी विकसित हो भी चुकी है तब भी उसे 3 और बार डेंगू होने की सम्भावना रहेगी।
जमे हुए पानी मे डेंगू के मच्छर का पनपने का खतरा होता है। दो तरह के प्रसार के कारण भी डेंगू का वायरस फैलता है।
■डेंगू वायरस का प्रसार
सामान्यतः डेंगू वायरस का प्रसार दो तरह से होता है - :
मच्छर से मानव प्रसार ( Mosquito-to-human transmission) -
इसमे मच्छर से इन्सान मे संक्रमण फैलता है। यह वायरस संक्रमित मादा मच्छरों के काटने से इंसानो में फैलता है, मुख्य रूप से एडीज इजिप्टी मच्छर। एडीज जीनस के भीतर अन्य प्रजातियां भी वैक्टर के रूप में कार्य कर सकती हैं, लेकिन उनका योगदान एडीज एजिप्टी के लिए माध्यमिक है।
मानव-से-मच्छर प्रसार ( Human-to-mosquito transmission) -
मच्छर उन लोगों से संक्रमित हो सकते हैं जो डीईएनवी से संक्रमित हैं। यह कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसे डेंगू का लक्षणात्मक संक्रमण है, या कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसे अभी तक रोगसूचक संक्रमण नहीं हुआ है (वे पूर्व-लक्षण हैं), लेकिन ऐसे लोग भी हो सकते हैं जिनमें बीमारी के कोई लक्षण भी नहीं दिखते हैं। किसी व्यक्ति में बीमारी के लक्षण दिखने से 2 दिन पहले तक, और बुखार के ठीक होने के 2 दिन बाद तक मानव-से-मच्छर प्रसार हो सकता है।
इसके अलावा दूसरे प्रसार मे शामिल है -
जब गर्भवती माँ से उसके बच्चे को संक्रमण फैल जाता है। जब गर्भवती होने पर मां को डीईएनवी संक्रमण होता है, तो बच्चे समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन और भ्रूण संकट से पीड़ित हो सकते हैं।
नोट - डेंगू वायरस एक इन्सान से दूसरे इन्सान मे नही फैलता है।
डेंगू के लक्षण | Dengue Ke Lakshan in Hindi
डेंगू को 2 प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है: डेंगू (चेतावनी के साथ/बिना चेतावनी के) और गंभीर डेंगू।
डेंगू :-
डेंगू का संदेह तब होना चाहिए जब बुखार के दौरान (40 डिग्री सेल्सियस/104 डिग्री फारेनहाइट) हो -
भयानक सरदर्द
आंख के पीछे दर्द
मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
जी मिचलाना
उल्टी
सूजन ग्रंथियां
रेस।
गंभीर डेंगू :-
बीमारी शुरू होने के लगभग 3-7 दिनों के बाद सामान्य रूप से एक मरीज में होता है जिसे क्रिटिकल फेज कहा जाता है।
पेट में तेज दर्द
लगातार उल्टी
तेजी से साँस लेने
मसूड़ों से खून बहना
थकान
बेचैनी
उल्टी में खून।
यदि रोगी मे गंभीर चरण के दौरान ये लक्षण दिखते हैं, तो अगले 24-48 घंटों के लिए ओब्सेर्वेसन मे रखा जाता है ताकि जटिलताओं और मृत्यु के जोखिम से बचने के लिए उचित चिकित्सा देखभाल दिया जा सके।
डेंगू से बचाव का उपाय
डेंगू से बचाव का सबसे पहला और सही उपाय यही है की जितना हो सके मच्छरों से बचे। घर मे या घर के आस-पास पानी जमा नही होने दे या फिर उसे एक हफ्ते मे बदल दे ताकी उसपर मच्छर पैदा ना हो। घर के अंदर भी मच्छर भगाने वाली दवाओं का प्रयोग करें। रात मे सोते वक़्त मच्छरदानी प्रयोग ज़रूर करे, लहास कर बारिश के दिनो मे क्योकिं इसी वक़्त डेंगू का प्रभाव बढ़ता है। इन उपायों को दिन के दौरान घर के अंदर और बाहर (जैसे: काम/विद्यालय में) दोनों जगह करा जाना चाहिए क्योंकि प्राथमिक मच्छर दिन मे ही काटता है। स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा आपातकालीन वेक्टर नियंत्रण उपायों का उपयोग किया जा सकता है जैसे कि प्रकोपों के दौरान हर जगह छिड़काव के रूप में कीटनाशकों को लागू करना। मच्छर जनित रोगों के जोखिमों पर समुदाय को शिक्षित करना ताकी वो भी इसके नुकसान को जान सके और सुरक्षित रहे। बाहरी कंटेनरों में पानी के भंडारण के लिए उपयुक्त कीटनाशकों को लागू करे।
डेंगू का जांच / निदान
एक रक्त परीक्षण / ब्लड टेस्ट जांच की करने का एकमात्र समान्य तरीका है। इसके अलावा, दो और तरह के जांच किये जाते है डेंगू का पता लगाने के लिये-
वायरोलॉजिकल टेस्ट -
संक्रमण के पहले कुछ दिनों के दौरान वायरस को खून से अलग किया जा सकता है। अलग-अलग रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस-पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पिसिआर) विधियाँ उपलब्ध हैं। इसमे खास तरह के उपकरण और तकनीक की ज़रूरत होती है, इसलिये इसका सुविधा हर चिकित्सा स्थल मे नही रहता।
सीरोलॉजिकल टेस्ट-
सीरोलॉजिकल टेस्ट, जैसे कि एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट एसेज़ (एलिसा), आईजीएम और आईजीजी एंटी-डेंगू एंटीबॉडी का पता लगाने के साथ हाल ही के या पिछले संक्रमण की उपस्थिति की पुष्टि कर सकते हैं।
*डेंगू के इलाज/उपचार*
डेंगू के बुखार का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। मांसपेशियों में दर्द, और बुखार के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए बुखार कम करने वाली दवाएं और दर्द निवारक दवाएं ली जा सकती हैं। इन लक्षणों का इलाज करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प एसिटामिनोफेन या पेरासिटामोल हैं। एनएसएआइडी (गैर-स्टेरायडल विरोधी भड़काऊ दवाएं), जैसे कि इबुप्रोफेन और एस्पिरिन से बचना चाहिए। ये विरोधी भड़काऊ दवाएं रक्त को पतला करके काम करती हैं। कई देशों में डेंगू बुखार के इलाज के रूप में कैरिका पपाया नामक दवा का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। इसका वैक्सीनेसन जो की दिसंबर 2015 मे आया, जिसका नाम डेंगवैक्सिया, इसे सनोफी पाश्चर द्वारा विकसित पहला डेंगू टीका है, जो की 20 देशो द्वारा अप्प्रोव किया गया है। टीके का उपयोग 9-45 वर्ष की आयु के स्थानिक क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों के लिए दिया गया, जिन्हें पहले कम से कम 1 डेंगू वायरस संक्रमण हुआ है।
*डेंगू के घरेलू इलाज*
अगर आपको पता चलता है की आपको डेंगू हो चुका है तो घरेलु इलाज भी आपको स्वास्थ्य होने मे मदद कर सकता है, जैसे - : गिलोय जो की आयुर्वेदिक दवा है वो काफी फायदेमंद माना जाता है डेंगू मे। पपीते का पत्ता का रस पीना बहुत जरूरी होता है, क्योकिं ये प्लेटलेट्स को बढाने मे मदद करता है। इसके अलावा, बकरी का दूध भी डेंगू मे बहुत फायदेमंद होता है, और प्लेटलेट्स बढ़ाने मे योगदान देता है। तुलसी और कली मिर्च आपके शरीर के लिये एंटी-बैक्टीरियल की तरह काम करता है । नारियल पानी भी डेंगू मे अच्छा होता है और शरीर मे पानी की कमी नही होने देता साथ ही इसका फाएदा भी मिलता है। एक बात याद रखना है की डेंगू मे तेल, मसला वाला भोजन नही खाना है क्योकिं डेंगू लीवर कमजोर हो जाते है ऐसे मे चिकनाई वाले खाने लीवर के किये नुकसानदेह साबित होंगे। आप दूध-रोटी, खिचड़ी-चोखा, दाल-रोटी या सादा दलिया अपने भोजन मे शामिल कर सकते है। चाहे तो हर्बल चाय पी सकते है और पानी की कमी शरीर में न होने दें।
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