१- अन्विता घर से अस्पताल वापस लौट आयी है।
२- अन्विता अस्पताल से वापस घर लौट आयी है।
३- अस्पताल से घर अन्विता वापस आयी है।
४- अन्विता लौट आयी है घर से अस्पताल वापस।
५- घर और अस्पताल से अन्विता लौट आयी है।
सकारण शुद्ध उत्तर--
अब हम उपर्युक्त ('उपरोक्त' अशुद्ध है।) पाँचों वाक्यों पर विचार करते हैं :--
'पहला वाक्य' इसलिए अशुद्ध है कि यहाँ पर दो प्रकार की अशुद्धियाँ हैं :-- पहली, 'वापस' और 'लौटना' का एक ही अर्थ है, इसलिए यहाँ 'पुनरुक्ति-दोष' (फिर से कहा गया; पुनरावृत्ति) है और दूसरी, 'शब्द-ज्ञान' से सम्बन्धित दोष है; क्योंकि 'अन्विता घर से 'अस्पताल' गयी है तो वहाँ से 'घर' ही लौटेगी। जब भी कोई 'प्रस्थान-बिन्दु' से गन्तव्य के लिए बढ़ता है और वहाँ पहुँचने के बाद पुन: 'प्रस्थान-बिन्दु' पर आ जाता है तब उसे 'प्रत्यागन' (वापसी, लौटना, लौटाई) कहते हैं। इस दृष्टि से हम प्रथम वाक्य को शुद्ध नहीं कहेंगे।
अब 'दूसरे वाक्य' को देखें---
इसमे केवल 'पुनरुक्ति-दोष' है। इस वाक्य को बहुसंख्य विद्यार्थी, अध्यापिका-अध्यापक, साहित्यकार, समीक्षक, मीडियाकर्मी तथा सामान्यजन शुद्ध मानते आ रहे हैं और आयेदिन वा आये-दिन ('आयेदिन' वा 'आये-दिन' को इस तरह इसलिए लिखा जाता है कि दोनो ही शब्द 'प्राय:, 'अक्सर' तथा 'नित्य' के अर्थ मे एक साथ ही प्रयुक्त होते हैं: जैसे-- प्रतिदिन/प्रति-दिन, प्रतिवर्ष/प्रति-वर्ष इत्यादिक। यहाँ प्रयुक्त (-) यह चिह्न 'योजक' है, जो 'प्रति' के साथ सदैव प्रयुक्त होनेवाले शब्दों को जोड़ता आ रहा है। जैसे ही हमने 'प्रति दिन', 'प्रति वर्ष' को अलग-अलग लिखा, निहितार्थ नष्ट हो गया।) इसका व्यवहार करते हैं। इस वाक्य मे एक साथ 'वापस' और 'लौटा' का प्रयोग 'पुनरुक्ति-दोष' है।
'तीसरे वाक्य' को समझें--
इसमे 'वाक्यविन्यास-दोष' (वाक्य-गठन) है; क्योंकि हिन्दी-व्याकरण के अनुसार, किसी भी वाक्य का गठन करते समय सबसे पहले 'कर्त्ता' का प्रयोग किया जाता है, तदनन्तर ('तद्नन्तर', 'तदन्तर' अशुद्ध हैं।) 'कर्म' का, फिर 'पूरक शब्दों' का तथा अन्त मे 'क्रिया' का। इस वाक्य मे यह शब्दानुशासन नहीं दिख रहा है, इसलिए यह भी अशुद्ध वाक्य है।
'चौथे वाक्य' को समझें--
इसमे 'वाक्य-विन्यास' की अशुद्धि है; साथ ही 'पुनरुक्ति-दोष' ('लौटना' और 'वापसी' का एक साथ प्रयोग) लक्षित हो रहा है, इसलिए यह वाक्य शुद्ध नहीं है।
और अन्त मे, 'पाँचवें' वाक्य को देखें--
इसका 'वाक्य-विन्यास' संतुलित नहीं है। 'अन्विता' को 'घर' लौटना है; परन्तु एक साथ 'घर' और 'अस्पताल' से 'लौटना' उपयुक्त प्रतीत नहीं होता, इसलिए यह वाक्य भी अशुद्ध है।
हमने यहाँ समझा कि पाँचों वाक्य अशुद्ध हैं।
अब प्रश्न है-- उपर्युक्त प्रश्न का उत्तर क्या है?
उत्तर-- कोई नहीं। (यहाँ 'नहीं' के आगे पूर्ण विरामचिह्न का प्रयोग इसलिए होगा कि उत्तर 'कोई नहीं' पूर्ण वाक्य का बोध कराता है।)
ऐसे मे, जिज्ञासा उत्पन्न होती है-- फिर इस वाक्य का शुद्ध उत्तर क्या है?
जिज्ञासा का प्रशमन इस रूप मे होता है।
■ शुद्ध उत्तर है :--
अन्विता अस्पताल से घर वापस आयी है।
(अथवा)
अन्विता अस्पताल से घर लौट आयी है।
● अशुद्ध वाक्य को शुद्ध करते समय 'व्याकरणात्मक' और 'तथ्यात्मक' दोष के प्रति ही ध्यान केन्द्रित करना चाहिए; 'अतिरिक्त बुद्धिवाद' का परिचय प्रस्तुत नहीं करना चाहिए।
◆ 'आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला' नामक प्रकाशनाधीन कृति से सकृतज्ञता गृहीत।)
(सर्वाधिकार सुरक्षित-- आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ३ नवम्बर, २०२२ ईसवी।)
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