क्या है नियम
न्यू पेंशन स्कीम के अंतर्गत जो धनराशि जमा होती है, उसकी 40 फीसदी धनराशि पेंशन के रूप में कर्मचारी को मिलती है। जबकि, 60 फीसदी भुगतान होता है। एनपीएस में जो अंशदान होता है उसमें 10 फीसदी अंशदान सरकार या नियोक्ता तो 10 फीसदी शिक्षक या कर्मचारी द्वारा किया जाता है। हाल ही में घोषित केंद्र सरकार के बजट में एनपीएस में सरकार की ओर से दिए जाने वाले अंशदान को ही बढ़ाकर 14 फीसदी किया गया।
क्यों हैं पुरानी पेंशन की मांग
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (चेतनारायण गुट) के मंत्री रवींद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) के अंतर्गत कर्मचारी का अंशदान नहीं होता है। जीपीएफ की कटौती होती है, जिस वजह से सेवानिवृत्ति के वक्त धनराशि और उसके ब्याज के रूप में अच्छी धनराशि शिक्षक या कर्मचारी को मिल जाती है। मूलवेतन का लगभग 40-50 फीसदी हिस्सा पेंशन के रूप में आजीवन मिलता है। मंडलीय मंत्री रणजीत सिंह ने कहा कि एक और खास वजह इसे अलग बनाती है कि वेतन की तरह जब- जब डीए में बढ़ोतरी होती है तो पेंशन भी बढ़ती है। जबकि, एनपीएस में एक बार पेंशन फिक्स होने के बाद कोई वृद्धि नहीं होती है।
कहां हुई दिक्कत
11-13 साल की सेवा के दौरान इन शिक्षकों के न्यू पेंशन स्कीम के अंतर्गत होने वाले अंशदान में या तो कटौती ही नहीं हुई। जहां, कटौती हुई वहां पूरे सेवाकाल के दौरान अंशदान को कटौती नहीं हुई। अध्यापन कार्य के दौरान शिक्षकों ने भी इसका ध्यान नहीं दिया, मगर सवाल उठता है कि एनपीएस की कटौती में अंशदान तो सरकार भी देती है तो अकेले शिक्षक ही इसके लिए जिम्मेदार कैसे हुए।

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