ग्रीन कॉमेट के नाम से मशहूर यह धूमकेतु दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि क़रीब 50 हज़ार साल बाद यह धरती के पास आया है.
यानी इस धूमकेतु के आने से पहले यहां पृथ्वी पर निएंडरथल (40 हज़ार पहले पृथ्वी , विलुप्त प्रजाति) रहते थे और जब तक इस धूमकेतु ने अपनी कक्षा में एक चक्कर पूरा किया तब तक आधुनिक मानव की पूरी प्रजाति विकसित हो चुकी है.
कक्षा में सूर्य के पास आते हैं तो उनकी पूंछ दिखाई देती है. पूंछ का निर्माण धूमकेतु में सूर्य की गर्मी के चलते बर्फ़ पिघलने से होता है.
2020 में उत्तरी गोलार्द्ध में कई जगहों पर देखे गए नियो वाइज कॉमेट की पूंछ को लोगों ने खुली आंखों से देखा था.
वैज्ञानिकों के अनुसार, अधिकांश 'दीर्घकालिक धूमकेतु' हमारे सूर्य के चारों ओर लगभग 306 अरब किलोमीटर दूर एक बर्फीले बादल से आते हैं.
धूमकेतु C/2022 E3 (ZTF) का जन्म भी इसी उर्ट क्लाउड में हुआ था. इसके हरे रंग के कारण लोग इसे ग्रीन कॉमेट या हरा धूमकेतु कहते हैं.
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