मुक्तिबोध जनवादी कवि👇👇
👉 साहित्य जगत में वह तार सप्तक से प्रविष्ठ हुए।
👉 काव्य संग्रह “चांद का मुंह टेढ़ा है “:-1964 ई. मे उनकी मृत्यु के पश्चात प्रकाशित संग्रह है इसमें 28 कविताएं संग्रहित है श्रीकांत वर्मा के सहयोग से यह काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ।
👉 रामस्वरूप चतुर्वेदी ने चाँद का मुँह टेढ़ा है को “बड़े कलाकार की स्केच बुक कहा है।”
👉 ”भूरी भूरी खाक धूल “:-1980 ई. में प्रकाशित इन का काव्य संग्रह जिसमें 47 कविताएं संग्रहित है इस संग्रह में मार्क्सवाद का प्रभाव है।
👉 इनकी कविताएं अक्सर लंबी है’ ब्रह्म राक्षस’, ‘ अंधेरे में’, ‘चंबल की घाटी ‘, ‘जिंदगी का रास्ता ‘सभी कविताएं इनकी लंबी कविताएं है।
👉 अँधेरे मे 1957 ई. मे लिखी गई लम्बी कविता है जो 1964 ई. कल्पना मे प्रकाशित हुई।
👉 ’अँधेरे मे ‘कविता का पहले नाम “आशंका के द्वीप” था।
यह “चाँद का मुँह टेढ़ा है” काव्य संग्रह मे प्रकाशित है।
●पदवी
👉 “मुक्तिबोध स्वाधीनता भारत का इस्पाती ढांचा है “:-शमशेर बहादुर सिंह
तीव्र इन्द्रिय बोध का कवि,
भयानक खबरों का कवि,
फैंटेंसी का कवि।
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