Follow Us 👇

Sticky

तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

भारत का विधि आयोग ।।

✍️ भारतीय विधि आयोग न तो एक संवैधानिक निकाय है और न ही वैधानिक निकाय। यह भारत सरकार के आदेश से गठित एक कार्यकारी निकाय है। इसका प्रमुख कार्य है, कानूनी सुधारों हेतु कार्य करना।

✍️ स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1955 में पहला विधि आयोग स्थापित किया गया था। भारत के तत्कालीन अटॉर्नी जनरल एम.सी. सीतलवाड की अध्यक्षता में प्रथम विधि आयोग का गठन किया गया था। 

✍️ भारत के 21वें विधि आयोग का गठन 1 सितंबर 2015 को 3 वर्ष की अवधि के लिए किया गया था। आम तौर पर प्रत्येक विधि आयोग का गठन 3 वर्ष की अवधि के लिए होता है। 

✍️ 22वें विधि आयोग का गठन 21 फरवरी 2020 को किया गया था। 

✍️ सबसे पहली बार प्रथम विधि आयोग वर्ष 1834 में 1833 के चार्टर एक्ट के तहत लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में गठित किया गया था जिसने दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता को संहिताबद्ध करने की सिफ़ारिश की।

✍️ इसके बाद द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ विधि आयोग, जो क्रमशः वर्ष 1853, 1861 और 1879 में गठित किये गए थे, ने 50 वर्ष की अवधि में उस समय प्रचलित अंग्रेजी क़ानूनों के पैटर्न पर, जिन्हें कि भारतीय दशाओं के अनुकूल किया गया था, की व्यापक किस्मों से भारतीय विधि जगत को समृद्ध किया।

Law Commission of India

✍️ The Law Commission of India is neither a constitutional body nor a statutory body. It is an executive body constituted by order of the Government of India. Its main function is to work for legal reforms.

✍️ After independence, the first Law Commission was established in the year 1955. The first Law Commission was constituted under the chairmanship of MC Setalvad, the then Attorney General of India.

✍️ The 21st Law Commission of India was constituted on 1st September 2015 for a period of 3 years. Normally each Law Commission is constituted for a period of 3 years.

✍️ The 22nd Law Commission was constituted on 21st February 2020.

✍️ For the first time, the first Law Commission was constituted in the year 1834 under the chairmanship of Lord Macaulay under the Charter Act of 1833 which recommended codification of the Criminal Code and the Code of Criminal Procedure.

✍️ This was followed by the Second, Third and Fourth Law Commissions, which were constituted in the years 1853, 1861 and 1879 respectively, over a period of 50 years, enriched the Indian legal world with a wide variety of patterns of English law prevailing at that time, which were adapted to Indian conditions.

0 comments: