1. भगवान् श्री कृष्ण के खड्ग का नाम 'नंदक', गदा का नाम 'कौमौदकी' और शंख का नाम 'पांचजन्य' था।
2. भगवान् श्री कॄष्ण के परमधामगमन के समय ना तो उनका एक भी केश श्वेत था और ना ही उनके शरीर पर कोई झुर्री थीं।
3.भगवान् श्री कॄष्ण के धनुष का नाम शारंग व मुख्य आयुध चक्र का नाम ' सुदर्शन' था।
4-भगवान श्री कॄष्ण से जेल में बदली गई यशोदापुत्री का नाम एकानंशा था, जो आज विंध्यवासिनी देवी के नाम से पूजी जातीं हैं।
5-भगवान् श्री कॄष्ण अंतिम वर्षों को छोड़कर कभी भी द्वारिका में 6 महीने से अधिक नहीं रहे।
6-भगवान श्री कृष्ण ने अपनी औपचारिक शिक्षा उज्जैन के संदीपनी आश्रम में मात्र कुछ महीनों में पूरी कर ली थी।
7-प्रचलित अनुश्रुतियों के अनुसार, भगवान श्री कॄष्ण ने मार्शल आर्ट का विकास ब्रज क्षेत्र के वनों में किया था और डांडिया रास उसी कानॄत्य रूप है।
8-भगवान श्रीकृष्ण के रथ का नाम 'जैत्र' था और उनके सारथी का नाम दारुक/ बाहुक था। उनके घोड़ों (अश्वों) के नाम थे शैव्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक।
9-भगवान श्री कृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्यामल था और उनके शरीर से एक मादक अष्टगंध स्रावित होती थी।
10-भगवान् श्री कृष्ण ने 2 नगरों की स्थापना की थी द्वारिका (पूर्व मे कुशावती) और पांडव पुत्रों के द्वारा इंद्रप्रस्थ ( पूर्व में खांडवप्रस्थ)।
11-भगवान् श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवतगीता के रूप में आध्यात्मिकता की वैज्ञानिक व्याख्या दी, जो मानवता के लिए आशा का सबसे बडा संदेश थी, है और सदैव रहेगी।
12-भगवान श्रीकृष्ण ने 14 वर्ष की आयु में वृन्दावन त्याग दिया था। फिर वे राधारानी से कभी नहीं मिले।
13-भगवान श्रीकृण ने गोपियों को नग्नावस्था में यमुना में स्नान करते देख उनके वस्त्र चुरा लिए थे। यह संदेश देने के लिए कि इस प्रकार स्नान करना सामाजिकता के विरुद्ध है।
14- नरकासुर का वध कर श्रीकृष्ण ने 16000 युवतियों को मुक्त कराया था। उस समय बंधक बनाकर अथवा अपहरण की गई महिलाओं का समाज बहिष्कार कर देता था। बन्दी महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए श्रीकृष्ण को उन सबसे विवाह करना पड़ा था।
15-आज श्रीकृष्ण की 5245 वीं जयंती है।
🙏🏻प्रेम से बोलो राधाकृष्ण की जय🙏🏻
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