अनुकरण ।।
अनुकरण कितने प्रकार का होता है?
~ अनुकरण तीन प्रकार का होता है।।
1. लिखित अनुकरण :
लेखन हेतु दो प्रकार का अनुकरण होता है –
(अ) रूपरेखा अनुकरण- मुद्रित पुस्तिकाएँ जिनमें अक्षर या वाक्य बिन्दू रूप में लिखे होते है। बालक उन बिन्दुओं पर पेन्सिल या बालपैन फेरता है और अभ्यास करके अक्षरों या शब्दों को लिखना सीख जाता है, जैसे क्।
(ब) स्वतंत्र अनुकरण- अध्यापक श्यामपट्ट पर, स्लेट पर या अभ्यास पुस्तिका पर अक्षर लिख देता है और बालक से कहता है कि वह नीचे स्वयं उसी प्रकार के अक्षर लिखे जैसे- ‘क’ को देखकर बालक भी ऐसा ही लिखने का प्रयास करें।
2. उच्चारण अनुकरण :
उच्चारण अनुकरण प्राथमिक स्तर पर छात्रों को शुद्ध बोलना सीखाने हेतु उपयोगी है। इस पद्धति में अध्यापक एक-एक शब्द कहता जाता है और बालक उस शब्द की ध्वनि का अनुकरण करते चलते है। अनुकरण विधि उन भाषाओं के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है जहाँ पर एक अक्षर की एक से अधिक ध्वनियों होती है अथवा जहाँ पर लिखा कुछ जाता है और पढ़ा कुछ जाता है।3. रचना अनुकरण विधि :
⇒माध्यमिक स्तर पर छात्रों को रचना जैसे- प्रार्थना पत्र, निबंध आदि सीखानें हेतु उपयोगी है।⇒ छात्र दिये हुए विषय पर उसी के अनुरूप रचना करने का प्रयास करते हैं, उदाहरणार्थ दीपावली का लेख बताकर होली पर लेख लिखवाना।
⇒ यह विधि पूर्णतः अमनोवैज्ञानिक।
⇒ इसमें छात्रों की भाषा तो अपनी होती है किन्तु शैली के लिए उन्हें आदर्श रचना पर ही निर्भर रहना पङता है।
⇒ यह विधि उच्च कक्षाओं के लिए ही उपयुक्त हो सकती है।
विशेषताएँ:
⇒ अनुकरण वाचन के बाद उच्चारण अभ्यास करवाया जाता है।
⇒ बुनियादी शिक्षा में अनुकरणात्मक विधि सफलतम विधि है।
⇒ अनुकरणात्मक विधि में अध्यापक को अच्छे आदर्श प्रस्तुत करने होते है।
⇒ अनुकरण विधि में बालक अपने शिक्षक का अनुकरण कर लिखना, पढ़ना व नवीन रचना करना सीखता है।
अनुकरण और अनुसरण में अंतर क्या है ?
करण में करने का और सरण में चलने का, पीछे जाने का भाव है। सरण की रिश्तेदारी सरणि यानी मार्ग से है। सड़क शब्द भी इसी कड़ी में आता है।
अनुसरण और अनुगमन समानार्थी हैं। अनुगामी यानी पीछे चलने वाला।
अनुसार शब्द का अर्थ होता है "...की तरह से" "...के मुताबिक"
अनुकरण में किसी के जैसा करने का भाव है।
अनुसरण और अनुगमन में किसी की शैली को अपनाने का भाव है।
किसी के साथ-साथ चलने के संदर्भ में भी अनुसरण शब्द का प्रयोग होता है। पर किसी के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम करने को अनुकरण नहीं कहा जा सकता, यही सूक्ष्म फ़र्क है दोनों में वर्ना व्यावहारिक तौर पर दोनों में किसी के समान आचरण करने का ही भाव है। वाक्य या संदर्भ के अनुसार ही दोनों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
अनुसरण और अनुगमन समानार्थी हैं। अनुगामी यानी पीछे चलने वाला।
अनुसार शब्द का अर्थ होता है "...की तरह से" "...के मुताबिक"
अनुकरण में किसी के जैसा करने का भाव है।
अनुसरण और अनुगमन में किसी की शैली को अपनाने का भाव है।
किसी के साथ-साथ चलने के संदर्भ में भी अनुसरण शब्द का प्रयोग होता है। पर किसी के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम करने को अनुकरण नहीं कहा जा सकता, यही सूक्ष्म फ़र्क है दोनों में वर्ना व्यावहारिक तौर पर दोनों में किसी के समान आचरण करने का ही भाव है। वाक्य या संदर्भ के अनुसार ही दोनों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
यदि आप सरल शब्दों में समझें तो,अनुकरण का मतलब है किसी की नकल करना, अर्थात जैसा किसी ने किया है ठीक वही करना।
या कहें तो अनुकरण किसी काम, कृत्य का किया जाता है, जबकि
अनुसरण निर्देशों, शिक्षाओं, मार्गदर्शन का होता है।
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