अप्रैल_25_2019
भारतीय सेना ने पहली बार सैन्य पुलिस के तहत सैनिकों के रूप में महिलाओं की भर्ती हेतु ऑनलाइन पंजीकरण आरंभ कर दिया है. इस परियोजना को जनरल बिपिन रावत द्वारा सेना प्रमुख का पदभार ग्रहण करने के उपरांत मूर्त रूप में लाया गया था. साथ ही, रक्षा मंत्रालय द्वारा इस परियोजना को अंतिम मंजूरी दे दी गई है.
भारतीय सेना में महिलाओं की भर्ती के लिए सभी जानकारियां भारतीय सेना की आधिकारिक वेबसाइट www.joinindianarmy.nic.in पर दी गई हैं. वेबसाइट पर दी गई जानकारी में कहा गया है कि इच्छुक महिला अभ्यर्थी 25 अप्रैल 2019 से 8 जून 2019 तक आवेदन कर सकती हैं. यह आवेदन भारतीय सेना भर्ती 2019 की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर की जा सकती है.
#मुख्य_बिंदु
• सेना में महिलाओं के लिए सैनिक जनरल ड्यूटी (महिला सैन्य पुलिस) के लिए 100 पद पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुर किए गए हैं.
• इस पद के लिए न्यून्तम शैक्षिक योग्यता मैट्रिक, दसवीं एवं एसएसएलसी या समकक्ष डिग्री है.
• आवेदक के प्रत्येक विषयों में 45 प्रतिशत अंको के साथ कुल 33 प्रतिशत अंकों का होना अनिवार्य है.
• अभ्यर्थी की न्यूनतम ऊंचाई 142 सेंटीमीटर, आयु सीमा 17-21 वर्ष निर्धारित की गई है.
• भारतीय सेना की आधिकारिक वेबसाइट में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के बाद अभ्यार्थियों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा.
• शॉर्टलिस्ट हुए अभ्यार्थियों को फिटनेस और लिखित परीक्षा के लिए बुलाया जाएगा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 25 अप्रैल से शुरु हो गए हैं, एवं इसकी अंतिम तिथि 08 जून 2019 है.
#भारतीय_थलसेना_के_बारे_में_जानकारी
भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है. भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं. पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आज तक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है. भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई. भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये हैं.
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