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Chandrayaan-2: भारत ने रचा इतिहास, इसरो ने सफलतापूर्वक लाँन्च किया चंद्रयान-2 🚀

💁‍♂ चन्द्रयान-2 (Chandrayaan-2) मिशन 22 जुलाई 2019 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरीकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया.

भारत इससे पहले 15 जुलाई को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग करने वाला था, लेकिन क्रॉयोजेनिक इंजन में लीकेज के कारण इसे 22 जुलाई तक के लिए रोक दिया गया था.

◆ मिशन का उद्देश्य

मिशन का सबसे पहला उद्देश्य चांद की सतह पर सुरक्षित उतरना और फिर सतह पर रोबोट रोवर संचालित करना है. इसका मुख्य उद्देश्य चांद की सतह का नक्शा तैयार करना, खनिजों की मौजूदगी का पता लगाना, चंद्रमा के बाहरी वातावरण को स्कैन करना और किसी न किसी रूप में पानी की उपस्थिति का पता लगाना है. इस मिशन  एक और उद्देश्य चांद को लेकर हमारी समझ को और बेहतर करना और मानवता को लाभान्वित करने वाली खोज करना है.

◆ विभिन्न प्रयोगों का संचालन करने वाला चौथा राष्ट्र

इस तरह भारत पूर्व सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमरीका और चीन के बाद यहां उतरने वाला और सतह पर रहकर चांद की कक्षा, सतह और वातावरण में विभिन्न प्रयोगों का संचालन करने वाला चौथा राष्ट्र बन जाएगा.

◆ मिशन की जरूरत क्यों?

चंद्रयान 1 की खोजों को आगे बढ़ाने के लिए चंद्रयान-2 को भेजा गया है. चंद्रयान-1 दवारा खोजे गए पानी के अणुओं के साक्ष्यों के बाद आगे चांद की सतह पर, सतह के नीचे और बाहरी वातावरण में पानी के अणुओं के वितरण की सीमा का अध्ययन करने की जरूरत है. इस मिशन में ऑर्बिटर चांद के आसपास चक्कर लगाएगा, विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी धुव्र के पास सुरक्षित और नियंत्रित लैंडिंग करेगा और प्रज्ञान चांद की सतह पर जाकर प्रयोग करेगा.

◆ चंद्रयान-1 साल 2008 में लॉन्च हुआ था

भारत ने इससे पहले चंद्रयान-1 साल 2008 में लॉन्च किया था. यह भी मिशन चाँद पर पानी की खोज में निकला था. भारत ने साल 1960 के दशक में अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू किया था.

◆ पृथ्वी से चाँद की औसत दूरी

पृथ्वी से चाँद की औसत दूरी 3, 84, 000 किलोमीटर है. चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चँद्रमा पर 48वें दिन उतरेगा. और यह यात्रा आज से शुरू हो गई है.

◆ स्पेसक्राफ्ट तीन हिस्से में

इस मिशन पर भेजे गये स्पेसक्राफ्ट तीन हिस्से में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर (नाम विक्रम, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक कहलाने वाले विक्रम साराभाई के नाम पर है) और एक छह पहियों वाला रोबोट रोवर (प्रज्ञान) हैं. इसरो ने ये सभी स्पेसक्राफ्ट के हिस्से बनाए हैं.

◆ जीएसएलवी एमके-3 का इस्तेमाल

इस मिशन के लिए भारत के सबसे शक्तिशाली 640 टन के रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 का इस्तेमाल किया गया. यह 3890 किलो के चंद्रयान-2 को लेकर गया. स्पेसक्राफ्ट 13 भारतीय और एक नासा के वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया है. इनमें से तीन उपकरण आठ ऑर्बिटर में, तीन लैंडर में और दो रोवर में हैं.

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