*अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय और शिक्षक विद्यायकों की भूमिका का वर्तमान विश्लेषण* -----इन माध्यमिक विद्यालयों में 1986 तक लगभग 138000शिक्षक थे लेकिन 1986 में वित्तीय सर्वेक्षण के नाम पर सरकार ने 48000 शिक्षकों के पद समाप्त कर दिए गए।2013 में जनशक्ति के नाम लगभग 16000पद समाप्त कर दिए गए।वर्तमान में 74000शिक्षकों के पद बचे हैं *जिसे सरकार की टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर 40000पद और भी समाप्त करने की फूल प्रूफ योजना* है।इन पदों के समाप्त होने के बात शिक्षको की संख्या लगभग 34000 बचेगी।
*जागो शिक्षक जागो,जागो जागों*
*यदि समय रहते शिक्षक समुदाय जागृत नहीं होता तो माध्यमिक विद्यालयों एवम् माध्यमिक शिक्षकों का केवल इतिहास ही शेष रह जायेगा*।।
हमारे द्वारा भेजे गए पहरेदार(M.L.C) सो गए हैं।हमें अपनी लड़ाई स्वयं लड़नी होगी।हमारे *कुछ शिक्षक संगठन कहते हैं कि हम "शून्य से शिखर तक पहुँच गए हैं"जो कभी सत्य भी था हमने 1982 तक आशा से भी कहीं अधिक उपलब्धियां प्राप्त की थी*।किन्तु क्या हम *आज शिखर पर हैं?विचारणीय है*-
1-परिवार नियोजन भत्ते सहित 6 भत्ते 22 अगस्त 2019 को समाप्त कर दिया गया।
2- *सरकार के विधान परिषद् में अल्पमत होने के पश्चात् भी उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक(शिक्षक कर्मचारियों का डेथ वारन्ट है) 25 जुलाई 2019 को बहुमत से हमारे 08शिक्षक विधायकों एवम् 08 स्नातक विधयकों के सदन में रहते हुए भी पास हो गया*।
3-1अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त कर्मचारियों एवम् शिक्षकों का सामूहिक वीमा समाप्त कर दिया गया।
4-हमारा स्वतन्त्र सेवा चयन बोर्ड है लेकिन कभी भी समय पर नियुक्तियां नही कर पता हैं।अब सरकार एक नवीन आयोग बना रहा है,यह आयोग प्राथमिक शिक्षक,माध्यमिक शिक्षक एवम् उच्च शिक्षा के अध्यापकों की नियुक्ति करेगा। *आप स्वयं विचार कीजिए कितने समय पर नियुक्तियां कर पायेगा*। *इस आयोग के गठन के पश्चात् हमें जो अधिनियम 1921 संशोधन अधिनियम 1982 में प्राप्त सुरक्षा कवच भी समाप्त होने की पूर्ण सम्भावना* है।
4- *इन पहरेदारों के रहते हुए भी 1अप्रैल2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों की पुरानी पेंशन भी समाप्त हो गयी।बदले में मिली NPS भी 14 वर्ष बीत जाने के बाद भी ठीक ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाया है*।
*इन सभी बिंदुओं पर विचार करने के पश्चात् हम किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि"शिक्षक शून्य से शिखर पर हैं।"अथवा"शिखर से शून्य की ओर हैं*।"
।। धन्यवाद।।
*जागो शिक्षक जागो,जागो जागों*
*यदि समय रहते शिक्षक समुदाय जागृत नहीं होता तो माध्यमिक विद्यालयों एवम् माध्यमिक शिक्षकों का केवल इतिहास ही शेष रह जायेगा*।।
हमारे द्वारा भेजे गए पहरेदार(M.L.C) सो गए हैं।हमें अपनी लड़ाई स्वयं लड़नी होगी।हमारे *कुछ शिक्षक संगठन कहते हैं कि हम "शून्य से शिखर तक पहुँच गए हैं"जो कभी सत्य भी था हमने 1982 तक आशा से भी कहीं अधिक उपलब्धियां प्राप्त की थी*।किन्तु क्या हम *आज शिखर पर हैं?विचारणीय है*-
1-परिवार नियोजन भत्ते सहित 6 भत्ते 22 अगस्त 2019 को समाप्त कर दिया गया।
2- *सरकार के विधान परिषद् में अल्पमत होने के पश्चात् भी उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक(शिक्षक कर्मचारियों का डेथ वारन्ट है) 25 जुलाई 2019 को बहुमत से हमारे 08शिक्षक विधायकों एवम् 08 स्नातक विधयकों के सदन में रहते हुए भी पास हो गया*।
3-1अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त कर्मचारियों एवम् शिक्षकों का सामूहिक वीमा समाप्त कर दिया गया।
4-हमारा स्वतन्त्र सेवा चयन बोर्ड है लेकिन कभी भी समय पर नियुक्तियां नही कर पता हैं।अब सरकार एक नवीन आयोग बना रहा है,यह आयोग प्राथमिक शिक्षक,माध्यमिक शिक्षक एवम् उच्च शिक्षा के अध्यापकों की नियुक्ति करेगा। *आप स्वयं विचार कीजिए कितने समय पर नियुक्तियां कर पायेगा*। *इस आयोग के गठन के पश्चात् हमें जो अधिनियम 1921 संशोधन अधिनियम 1982 में प्राप्त सुरक्षा कवच भी समाप्त होने की पूर्ण सम्भावना* है।
4- *इन पहरेदारों के रहते हुए भी 1अप्रैल2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों की पुरानी पेंशन भी समाप्त हो गयी।बदले में मिली NPS भी 14 वर्ष बीत जाने के बाद भी ठीक ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाया है*।
*इन सभी बिंदुओं पर विचार करने के पश्चात् हम किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि"शिक्षक शून्य से शिखर पर हैं।"अथवा"शिखर से शून्य की ओर हैं*।"
।। धन्यवाद।।
0 comments:
Post a Comment