इस रविवार को कृपया नजदीकी चिकन शॉप चले जाएँ। आप अगर शाकाहारी हैं तो अवश्य जाएँ और देखें। अगर आप खानेवाले हैं तो ध्यान से देखें। शाकाहारी लोग, किसी खानेवाले मित्र के साथ चले जाएँ ताकि दुकानदार आप से ये न कहे कि टाइम खराब मत करो।
यह इसलिए कह रहा हूँ कि जो बतानेवाला हूँ, आप स्वयं अपनी आँखों से भी देख सकें। स्वयं देखी हुई बात का वजन अधिक होता है।
चिकन शॉप में आप को पिंजड़े में रखी ब्रोईलर मुर्गियाँ दिखेंगी। कसाई जब पिंजड़ा खोलेगा तब जिस मुर्गी के पास से उसका हाथ जाएगा वही चिल्लाएगी, बाकी सिमटकर दूर खिसकने का प्रयास करेंगी। वह भी बिना आवाज किए। फिर वो जिसकी गर्दन पकड़कर बाहर निकालेगा वह जी जान से चिल्लाएगी, लेकिन बाकी शांत रहेंगी, और कोई भी कसाई के हाथ को काटने की कोशिश नहीं करेंगी। अगर बाहर निकाली मुर्गी को कस्टमर नकारता है तो कसाई उसे वापस पिंजरे में फेंकता है । वो तब तक चिल्लाती रहेगी लेकिन जब पिंजरे में अंदर जाएगी तो शांत हो जाएगी। यही दूसरी मुर्गी के साथ रिपिट होगा लेकिन पहली मुर्गी कसाई का प्रतिकार करने की बिलकुल भी कोशिश नहीं करेगी।
जो मुर्गी फाइनली कटती है वह ऑफ कोर्स चिल्लाती है, और जब कसाई उसकी गर्दन पर छुरी फेरकर उसे बंद पीपे में तड़पने के लिए फेंक देता है ताकि दुकान में खून बहाती न दौड़े - उसकी अंतिम छटपटहट सब को सुनाई देती हैं, लेकिन बाकी मुर्गियों से कोई आवाज नहीं होता।
ठीक इसी तरह पंजाब महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में फंसे आम लोगो के साथ हो रहा है इस बैंक की 6 राज्यो में कुल 337 शाखाओ में आम लोगो के पैसे फस गए है बैंक बन्द हो गई और आम जनता के 4355करोड़ की राशि पूरी तरह दुब गई है
लेकिन केवल वे लोग ही फड़फड़ा रहे है जिनकी रकम दुब गई है बाकी लोग उसको महज एक न्यूज के रूप में ले रहे है कल यदि फिर किसी बैंक में यही घटना हुई और उसमें हमारा अकाउंट भी लॉक हो जाएगा तब क्या करेंगे
इसीलिए पूरे देश से आवाज उठानी चाहिए कि अभी अभी सरकार ने जो रिजर्व बैंक से 3लाख करोड़ रुपैये लिए है उसी पैसे से जनता की डुबी राशि का भुकतान किया जाए और फिर बाद में दोषियों से वसूल किया जाए
आखिर देश ने पिछले 70 वर्षों में रिजर्व बैंक में जो पैसा रिजर्व किया था ओ ऐसी ही आपात कालीन समय से निपटने के किया गया है
एक ओर बात क्या कोई व्यक्ति अपने ही पुरखो की अर्जित सम्पत्ति को बेचकर अपने ही परिवार को आगे बढ़कर ये बोल सकता है कि ये मेने कमाया है और विकास किया है
अगर वह ऐसा करेगा तो परिवार के सदस्य जरूर बोलेंगे की ये विकास नही बल्कि पुरखो की सम्पत्ति से प्राप्त पैसे से किया कारनामा है जब एक व्यकि ये करेगा तो ओ गलत ही होगा तो फिर एक देश ऐसा करने पर सही कैसे हो सकता है ये जनता को सोचना चाहिए आज देश मे यही सब कुछ हो रहा है निजीकरण के नाम पर
देश की जनता ने दूरदर्शन देखना छोड़ा, प्राइवेट ऑपरेटरों ने 500 रुपये महीने निकाल लिए, BSNL छोड़ा प्राइवेट वाले दोगुना लेने की तैयारी में ताल ठोंकने लगे हैं, तुम सरकारी रेडियो आकाशवाणी नही सुनोगे तो प्राइवेट FM वाले तुम्हे एक ही गाना और सिर्फ गाना सुनाकर खुद करोडों कमाएंगे, सरकारी रेल की बजाय "तेजस" जैसी कारपोरेट निजी ट्रेन के आने पर ताली पीटोगे तो उसका महंगा किराया भी तुम ही दोगे, BPCL, इंडियन ऑयल जिस दिन नही रहेंगे उस दिन यही रिलायंस महंगा तेल बेचेगा, सार्वजनिक बैंक नही रहेंगे तो प्राइवेट बैंक वाले तुम्हारे ही पैसे रखने के तुमसे चार्ज लेंगे, सरकारी अस्पतालों के इलाज पर भरोसा नही करोगे तो प्राइवेट वाले मरते दम तक तुम्हारा पैसा चूसेंगे, जान जाएगी सो अलग, सरकारी शिक्षा संस्थानों के कमजोर हो जाने पर प्राइवेट शिक्षा संस्थानों को तुम मुंहमांगी फीस दे ही रहे हो, ... यानि, कुल मिलाकर तुम लोग जो सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं को कमज़ोर करने की बहस या वकालत सोशल मीडिया पर करते हो, सरकारी संस्थाओं में भर्तियां न होने पर कई गुना काम के बोझ से दबे कर्मचारियों को गाली देते हो और उन्हें नीचा साबित करते हो, इन सभी में कहीं न कहीं नुकसान तुम्हारा ही है... सरकारी संस्थाओं और उनके कर्मचारियों का सहयोग कीजिए, उन संस्थाओं को आगे बढ़ाने में मदद कीजिये... इसी में राष्ट्रहित भी है और आपका हित भी...अन्यथा आपका हाल भी चूहे कबूतर ओर बकरे की कहानी के समान के समान होने वाला है जिसमे
एक चूहा एक व्यापारी के घर में बिल बना कर रहता था.
एक दिन चूहे ने देखा कि उस व्यापारी ने और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं. चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है.
उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक चूहेदानी थी. ख़तरा
भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है.
कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या?
मुझे कौनसा उस में फँसना है?
निराश चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया.
मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… जा भाई..ये मेरी समस्या नहीं है.
हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।
उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई जिस में एक ज़हरीला साँप फँस गया था.
अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस व्यापारी की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डंस लिया.
तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने वैद्य को बुलवाया. वैद्य ने उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी.
कबूतर अब पतीले में उबल रहा था ।
खबर सुनकर उस व्यापारी के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन मुर्गे को काटा गया.
कुछ दिनों बाद उस व्यापारी की पत्नी सही हो गयी…
तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो बकरे को काटा गया..
चूहा दूर जा चुका था…बहुत दूर ……….
शयदा ये कहानी मात्र लगे आपको लेकिन ये वो कड़वा सत्य है जो हम सभी पीना नही चाहते।
अगली बार कोई आप को अपनी समस्या बातये और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है तो रुकिए और दुबारा सोचिये….
समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है…
अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये.
स्वयंम तक सीमित मत रहिये. .
समाजिक बनिये…
और राष्ट्र धर्म के लिए एक बनें..
यह इसलिए कह रहा हूँ कि जो बतानेवाला हूँ, आप स्वयं अपनी आँखों से भी देख सकें। स्वयं देखी हुई बात का वजन अधिक होता है।
चिकन शॉप में आप को पिंजड़े में रखी ब्रोईलर मुर्गियाँ दिखेंगी। कसाई जब पिंजड़ा खोलेगा तब जिस मुर्गी के पास से उसका हाथ जाएगा वही चिल्लाएगी, बाकी सिमटकर दूर खिसकने का प्रयास करेंगी। वह भी बिना आवाज किए। फिर वो जिसकी गर्दन पकड़कर बाहर निकालेगा वह जी जान से चिल्लाएगी, लेकिन बाकी शांत रहेंगी, और कोई भी कसाई के हाथ को काटने की कोशिश नहीं करेंगी। अगर बाहर निकाली मुर्गी को कस्टमर नकारता है तो कसाई उसे वापस पिंजरे में फेंकता है । वो तब तक चिल्लाती रहेगी लेकिन जब पिंजरे में अंदर जाएगी तो शांत हो जाएगी। यही दूसरी मुर्गी के साथ रिपिट होगा लेकिन पहली मुर्गी कसाई का प्रतिकार करने की बिलकुल भी कोशिश नहीं करेगी।
जो मुर्गी फाइनली कटती है वह ऑफ कोर्स चिल्लाती है, और जब कसाई उसकी गर्दन पर छुरी फेरकर उसे बंद पीपे में तड़पने के लिए फेंक देता है ताकि दुकान में खून बहाती न दौड़े - उसकी अंतिम छटपटहट सब को सुनाई देती हैं, लेकिन बाकी मुर्गियों से कोई आवाज नहीं होता।
ठीक इसी तरह पंजाब महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में फंसे आम लोगो के साथ हो रहा है इस बैंक की 6 राज्यो में कुल 337 शाखाओ में आम लोगो के पैसे फस गए है बैंक बन्द हो गई और आम जनता के 4355करोड़ की राशि पूरी तरह दुब गई है
लेकिन केवल वे लोग ही फड़फड़ा रहे है जिनकी रकम दुब गई है बाकी लोग उसको महज एक न्यूज के रूप में ले रहे है कल यदि फिर किसी बैंक में यही घटना हुई और उसमें हमारा अकाउंट भी लॉक हो जाएगा तब क्या करेंगे
इसीलिए पूरे देश से आवाज उठानी चाहिए कि अभी अभी सरकार ने जो रिजर्व बैंक से 3लाख करोड़ रुपैये लिए है उसी पैसे से जनता की डुबी राशि का भुकतान किया जाए और फिर बाद में दोषियों से वसूल किया जाए
आखिर देश ने पिछले 70 वर्षों में रिजर्व बैंक में जो पैसा रिजर्व किया था ओ ऐसी ही आपात कालीन समय से निपटने के किया गया है
एक ओर बात क्या कोई व्यक्ति अपने ही पुरखो की अर्जित सम्पत्ति को बेचकर अपने ही परिवार को आगे बढ़कर ये बोल सकता है कि ये मेने कमाया है और विकास किया है
अगर वह ऐसा करेगा तो परिवार के सदस्य जरूर बोलेंगे की ये विकास नही बल्कि पुरखो की सम्पत्ति से प्राप्त पैसे से किया कारनामा है जब एक व्यकि ये करेगा तो ओ गलत ही होगा तो फिर एक देश ऐसा करने पर सही कैसे हो सकता है ये जनता को सोचना चाहिए आज देश मे यही सब कुछ हो रहा है निजीकरण के नाम पर
देश की जनता ने दूरदर्शन देखना छोड़ा, प्राइवेट ऑपरेटरों ने 500 रुपये महीने निकाल लिए, BSNL छोड़ा प्राइवेट वाले दोगुना लेने की तैयारी में ताल ठोंकने लगे हैं, तुम सरकारी रेडियो आकाशवाणी नही सुनोगे तो प्राइवेट FM वाले तुम्हे एक ही गाना और सिर्फ गाना सुनाकर खुद करोडों कमाएंगे, सरकारी रेल की बजाय "तेजस" जैसी कारपोरेट निजी ट्रेन के आने पर ताली पीटोगे तो उसका महंगा किराया भी तुम ही दोगे, BPCL, इंडियन ऑयल जिस दिन नही रहेंगे उस दिन यही रिलायंस महंगा तेल बेचेगा, सार्वजनिक बैंक नही रहेंगे तो प्राइवेट बैंक वाले तुम्हारे ही पैसे रखने के तुमसे चार्ज लेंगे, सरकारी अस्पतालों के इलाज पर भरोसा नही करोगे तो प्राइवेट वाले मरते दम तक तुम्हारा पैसा चूसेंगे, जान जाएगी सो अलग, सरकारी शिक्षा संस्थानों के कमजोर हो जाने पर प्राइवेट शिक्षा संस्थानों को तुम मुंहमांगी फीस दे ही रहे हो, ... यानि, कुल मिलाकर तुम लोग जो सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं को कमज़ोर करने की बहस या वकालत सोशल मीडिया पर करते हो, सरकारी संस्थाओं में भर्तियां न होने पर कई गुना काम के बोझ से दबे कर्मचारियों को गाली देते हो और उन्हें नीचा साबित करते हो, इन सभी में कहीं न कहीं नुकसान तुम्हारा ही है... सरकारी संस्थाओं और उनके कर्मचारियों का सहयोग कीजिए, उन संस्थाओं को आगे बढ़ाने में मदद कीजिये... इसी में राष्ट्रहित भी है और आपका हित भी...अन्यथा आपका हाल भी चूहे कबूतर ओर बकरे की कहानी के समान के समान होने वाला है जिसमे
एक चूहा एक व्यापारी के घर में बिल बना कर रहता था.
एक दिन चूहे ने देखा कि उस व्यापारी ने और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं. चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है.
उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक चूहेदानी थी. ख़तरा
भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है.
कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या?
मुझे कौनसा उस में फँसना है?
निराश चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया.
मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… जा भाई..ये मेरी समस्या नहीं है.
हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।
उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई जिस में एक ज़हरीला साँप फँस गया था.
अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस व्यापारी की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डंस लिया.
तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने वैद्य को बुलवाया. वैद्य ने उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी.
कबूतर अब पतीले में उबल रहा था ।
खबर सुनकर उस व्यापारी के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन मुर्गे को काटा गया.
कुछ दिनों बाद उस व्यापारी की पत्नी सही हो गयी…
तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो बकरे को काटा गया..
चूहा दूर जा चुका था…बहुत दूर ……….
शयदा ये कहानी मात्र लगे आपको लेकिन ये वो कड़वा सत्य है जो हम सभी पीना नही चाहते।
अगली बार कोई आप को अपनी समस्या बातये और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है तो रुकिए और दुबारा सोचिये….
समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है…
अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये.
स्वयंम तक सीमित मत रहिये. .
समाजिक बनिये…
और राष्ट्र धर्म के लिए एक बनें..
0 comments:
Post a Comment