Follow Us 👇

Sticky

तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

गण्डमूल नक्षत्र में जन्म

ज्योतिष के नक्षत्रों में से कुछ नक्षत्र ऐसे माने गए हैं, जिनमें बालक जन्म होना अशुभ अथवा अनिष्टकर माना जाता है ! इन नक्षत्रों में जन्म होना 'गण्डमूल' दोष कहलाता है ! गण्डमूल नक्षत्र में उत्पन्न बालक अपने माता-पिता तथा मामा आदि के लिए कष्टकारी होता है ! ये नक्षत्र इस प्रकार से हैं !

         गण्डमूल नक्षत्र में जन्म होने पर पिता को अपने बालक का चेहरा देखना अनिष्टप्रद होता है ! निम्न नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र हैं -

1. अश्विनी

2. आश्लेषा

3. मघा

4. ज्येष्ठा

5. मूल

6. रेवती

      ये छह नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र कहलाते हैं ! इन नक्षत्रों में से किसी एक में जन्म होने पर इनकी शांति कराना पमावश्यक है ! गण्डमूल नक्षत्र में उत्पन्न बालक यदि शुभ प्रभाव में है, तो वह सामान्य बालक से कुछ अलग विचारों वाला होगा !

        और यदि गण्डमूल नक्षत्र में उत्पन्न बालक अशुभ प्रभाव में है, तो बालक क्रोधी, रोगी, ईर्ष्यालु तथा लम्पट होगा !

        गण्डमूल नक्षत्र में जन्म होने पर तत्काल निम्न उपाय करने चाहिए -

* गण्डमूल में जन्मे बच्चे के ठीक 27 वें दिन गण्डमूल पूजन तथा शांति करवानी चाहिए ! इसके अतिरिक्त ब्राह्मणों को दान-दक्षिणादि देनी चाहिए तथा उन्हें भोजन भी कराना चाहिए !

* बालक का जन्म होते ही तुरंत पिता की जेब में 'फिटकरी' का टुकड़ा रख देना चाहिए !

* बालक के जन्म के पश्चात 27 दिन तक प्रतुदिन 27 मूली(पत्तों वाली) बच्चे के सिर की तरफ रख देनी चाहिए तथा दूसरे दिन इसे चलते जल में प्रवाहित कर देना चाहिए ! यह क्रिया 27 दिनों तक नियमित रूप से करनी चाहिए !

* जिस जन्म नक्षत्र में जन्म हुआ है, उस नक्षत्र से सम्बन्धित देवता तथा ग्रह का पूजन करना चाहिए !

* अश्विनी, मघा तथा मूल नक्षत्र में जन्मे जातको को 'श्री गणेश जी' का पूजन करना चाहिए !

* आश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र में जन्मे जातकों को बुध ग्रह की आराधना करनी चाहिए तथा बुधवार के दिन हरि वस्तुओं जैसे - 'हरा धनिया, हरी सब्जी तथा हरा घास आदि का दान करना चाहिए !

                                  

0 comments: