वर्ण
मौखिक भाषा की मूल ध्वनियों को व्यक्त करने वाले चिन्हों को वर्ण कहते हैं। यह भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है, जिसके खंड नहीं हो सकते। वर्ण शब्द का प्रयोग ध्वनि और ध्वनि - चिन्ह दोनों के लिए होता है और ये मौखिक और लिखित दोनों रूपों के प्रतिक हैं। शुद्ध उच्चारण ही शुद्ध लेखन-प्रक्रिया मैं सहायक होता है। अतः ध्वनि- संकेतों या लिपि-चिन्हों और उनके उच्चारण का ज्ञान होना आवश्यक है।निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से पढ़िए -
क) रमन चल।
ख ) सीता कहती है।
ग ) यह विद्यालय है।
प्रथम वाक्य में 'रमन' एक पद है और 'चल' दूसरा पद है। इन पदों का विश्लेषण करने पर मूल ध्वनि स्पष्ट हो जाएँगी जो 'वर्ण' कहलाती हैं ; जैसे :- 'रमन ' शब्द का विश्लेषण करने पर हमें र , म और न ध्वनियाँ मिलती हैं। 'चल' इसके विश्लेषण से च और ल ध्वनियाँ प्राप्त होती हैं। इसी प्रकार च् + अ, ल् + अ ध्वनियाँ प्राप्त होती हैं। इसी प्रकार अन्य वाक्यों से भी निम्न लिखित ध्वनियाँ प्राप्त होंगी। जैसे :-
सीता -स् +अ +ई ,त् +अ + आ।
खाती है :- ख् +अ +आ, त् +अ +ई, ह्+अ +ए।
यह :- य् +अ + ह् +अ।
विद्यालय है :- व् +अ +इ, द + अ +य् +आ, ल् + अ +आ, य् +अ + ह् +अ +ऐ।
वर्ण का लक्षण :- वह मूल ध्वनि, जिसके खंड न हो सकें, वर्ण कहलाती है। जैसे :- अ , इ, उ, क्, न्, च्, इत्यादि।
अक्षर और वर्ण में अंतर
अक्षर - जो ध्वनि उच्चारण अवयवों से निकलकर आकाश में व्याप्त होकर स्थिर हो जाती है, उसे 'अक्षर' कहते हैं।---------------------------
वर्ण - उच्चारण अवयवों से निकली हुई ध्वनियों को लिखित रूप देने के लिए उन्हें जो स्वरुप दिया जाता है, उसे 'वर्ण' कहते हैं ।
वर्णमाला
प्रत्येक भाषा की मूल ध्वनियों (वर्णों) के क्रमबद्ध समूह को वरदमाला कहते हैं। जैसे :- अ, उ, इ, ए, क्, च्, प्, फ्, इत्यादि।
मानक देवनागिरी वर्णमाला
स्वर : अ, आ, इ, ई, उ, ऊ (ॠ), ए, ऐ, ओ, औ।
(मात्राएँ) ा, ि, ी, ु, ू, ृ, े, ै, ो, ौ।
अनुस्वार : ं (अं )
विसर्ग : : (अः)
व्यंजन : क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ, ञ
ट, ठ, ड, ढ, ण, (ड़, ढ़)
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, भ, म
य, र, ल, व, श, ष, स, ह
गृहीत : ऑ, ज़, फ़
संयुक्त व्यंजन : क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
हल् चिन्ह ( ्) :- सभी व्यंजन वर्णों के लिपि-चिन्हों में 'अ' स्वर होता है। जैसे- क = क् +अ। जब स्वर के बिना व्यंजन का प्रयोग करना होता है तो उसके निचे हल् ( ्) चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
वर्णों के दो रूप - हिंदी में कुछ वर्णो का दो रूपों में प्रयोग किया जाता है, जो उचित नहीं है। अतः भाषा को एकरूपता, स्थिररता स्पष्टता प्रदान करने के लिए वर्णो के मानक रूप निर्धारित किए हैं। वर्णों के मानक रूपों का ही भाषा के लिखित रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए।
हल् चिन्ह ( ्) :- सभी व्यंजन वर्णों के लिपि-चिन्हों में 'अ' स्वर होता है। जैसे- क = क् +अ। जब स्वर के बिना व्यंजन का प्रयोग करना होता है तो उसके निचे हल् ( ्) चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
वर्णों के दो रूप - हिंदी में कुछ वर्णो का दो रूपों में प्रयोग किया जाता है, जो उचित नहीं है। अतः भाषा को एकरूपता, स्थिररता स्पष्टता प्रदान करने के लिए वर्णो के मानक रूप निर्धारित किए हैं। वर्णों के मानक रूपों का ही भाषा के लिखित रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए।
मानक रूप अमानक रूप
अ
ऋ ॠृ
ख
छ
ण
ध
भ
ल ळ
श
क्ष
अ
ऋ ॠृ
ख
छ
ण
ध
भ
ल ळ
श
क्ष
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