यह दिन देश में लड़कियों को समर्थन, नए अवसर प्रदान करता है. यह समाज में लड़कियों के साथ होने वाली असमानता जैसे भेदभाव, शोषण के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. असमानता, शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल, संरक्षण, बाल विवाह, स्वतंत्रता, इत्यादि के संदर्भ में हो सकती है. इसमें कोई संदेह नहीं, राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के पीछे भारत सरकार का यह कदम युवा लड़कियों और बच्चे के रूप में लड़कियों के महत्व को भी बढ़ावा देना है.
राष्ट्रीय बालिका दिवस: इतिहास
राष्ट्रीय बालिका दिवस पहली बार 2008 में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली विषमताओं को उजागर करना है, जिसमें बालिकाओं के अधिकारों, शिक्षा के महत्व, स्वास्थ्य और पोषण सहित जागरूकता को बढ़ावा देना है. आजकल लैंगिक भेदभाव भी एक बड़ी समस्या है जिसका सामना लड़कियों या महिलाओं को जीवन भर करना पड़ता है.
राष्ट्रीय बालिका दिवस: उद्देश्य
- लोगों की चेतना बढ़ाने और समाज में बालिकाओं को नए अवसर प्रदान करने के लिए.
- बालिकाओं के सामने आने वाली सभी असमानताओं को दूर करना.
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि बालिकाओं को देश में उनके सभी मानवाधिकारों, सम्मान और मूल्य मिले.
- लैंगिक भेदभाव के बारे में काम करना, लोगों को शिक्षित करना.
- भारत में घटते बाल लिंगानुपात के खिलाफ काम करने के लिए और एक लड़की के रूप में लड़की के बारे में लोगों की सोच को बदलने के लिए.
- बालिकाओं के महत्व और भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना.
- लड़की को अवसर प्रदान करना और उनकी बेहतरी के लिए अधिकार प्रदान करना.
- लोगों को लड़की के स्वास्थ्य और पोषण के बारे में शिक्षित करना.
- समान अधिकार प्रदान करने और उन्हें देश के किसी भी हिस्से में स्थानांतरित करने की अनुमति.
महिला सशक्तिकरण के लिए भारत सरकार की योजनाएं
भारत में बालिका के अधिकार
भारत सरकार द्वारा बालिकाओं के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं का उल्लेख किया गया है. कुछ योजनाएं इस प्रकार हैं:
- गर्भावस्था के दौरान क्लीनिक में सेक्स का निर्धारण सरकार द्वारा अवरुद्ध किया गया है.
- बालिकाओं का बाल विवाह अब प्रतिबंधित है.
- सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए "Save the Girl Child" योजना शुरू की गई है.
- 14 वर्ष की आयु तक लड़के और लड़कियों दोनों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा ने बालिका शिक्षा में सुधार किया है.
- समाज में कुपोषण, उच्च अशिक्षा, गरीबी और शिशु मृत्यु दर से लड़ने के लिए, सभी गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसवपूर्व देखभाल आवश्यक है.।
- सरकार द्वारा महिलाओं को रोजगार और महिलाओं को दर्जा दिलाने के लिए एंटी-सती, एंटी-एमटीपी जैसे कई कानून बनाए गए हैं.
- लड़कियों को उनके बेहतर भविष्य के लिए समान अधिकार और अवसर देने के लिए सरकार द्वारा कई नियम बनाए गए हैं.
- भारत में पिछड़े राज्यों की शिक्षा की स्थिति को देखने के लिए सरकार द्वारा पंचवर्षीय योजनाएँ बनाई गई हैं.
- सरकार द्वारा लड़कियों के लिए 'ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड' बनाया गया है जिसके द्वारा हर शिक्षक उच्च शिक्षा प्राप्त कर छात्रों को शिक्षा में बेहतर बना सकता है.
- बच्चों की देखभाल के लिए भी कई बलवाड़ी क्रेच खोले गए हैं और उन्हें प्राथमिक स्कूलों का दौरा करने के लिए भी बनाया गया है.
- सरकार ने ग्रामीण लड़कियों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए SHG और Self Help Groups शुरू किए हैं.
- पिछड़े वर्गों की लड़कियों के लिए ओपन लर्निंग सिस्टम स्थापित किया गया है.
राष्ट्रीय बालिका दिवस कैसे मनाया जाता है?
समाज में शिक्षा, समान स्थिति इत्यादि को बढ़ावा देने के लिए बालिका दिवस पर पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. साथ ही, भारत सरकार ने भारतीय समाज में बालिकाओं के बारे में लोगों में चेतना बढ़ाने के लिए कई अभियान भी चलाए हैं. इस अभियान के माध्यम से, भारत सरकार बालिकाओं से संबंधित विषमताओं और समस्याओं पर प्रकाश डालती है. सरकार द्वारा टीवी चैनलों, स्थानीय समाचार पत्रों और रेडियो स्टेशनों पर "सेव द गर्ल चाइल्ड" संदेश देकर कई विज्ञापन भी दिया जाता है. यहां तक कि गैर सरकारी संगठन या गैर सरकारी संगठन समारोह में भाग लेते हैं और समाज में बालिकाओं के साथ समान व्यवहार करने और उन्हें शिक्षित करने इत्यादि के लिए जागरूकता फैलाते हैं.
24 जनवरी 2020 को, मध्य प्रदेश बेटी बचाओ-बेटी पढाओ योजना के तहत "जागरूक बालिका-समर्थ मध्यप्रदेश" विषय पर राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाएगा. इस दिन, राज्य सरकार लड़कियों के स्वास्थ्य की भी जांच करेगी और लड़कियों और बेटियों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करेगी. 24 से 30 जनवरी तक महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राष्ट्रीय बालिका सप्ताह का भी आयोजन किया जाएगा.
2019 में राष्ट्रीय बालिका दिवस का थीम "एक उज्जवल कल के लिए लड़कियों का सशक्तीकरण" था.
देश का प्रत्येक बच्चा लड़का हो या लड़की दोनों महत्वपूर्ण हैं और देश का भविष्य हैं. साथ ही इस बात पर भी ध्यान देना अनिवार्य है कि बालिकाओं के साथ समान व्यवहार हो और उनके कल्याण के लिए भी नए अवसर प्रदान किए जाए.
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