यह बीमारी 65 वर्ष से अधिक उम्र के दस लोगों में से एक को और 85 साल के चार में से एक को प्रभावित करती है. 65 साल से कम उम्र के लोग भी बीमारी से ग्रस्त हैं जिसे अल्जाइमर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि डिमेंशिया क्या है, कितने प्रकार का होता है, इसके क्या लक्षण हैं आदि.
डिमेंशिया के लक्षण
- छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना
- भटक जाना
- किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है
- नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत
- समस्या हल करने या भाषा और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत का होना
- यहां तक कि डिमेंशिया लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते हैं. यानी मूड या व्यवहार का बदलना.
- पहल करने में झिजक का होना आदि
यह बीमारी सबसे हल्के चरण से गंभीरता में तबदील हो सकती है और इस अधिक गंभीर चरण में व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों के लिए भी दूसरों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाता है.
नोट: बहुत से लोग memory loss से ग्रस्त होते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनको अल्जाइमर या अन्य डिमेंशिया बिमारी है, memory loss होने के कई कारण हो सकते हैं.
डिमेंशिया के कारण
जब मस्तिष्क कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो डिमेंशिया हो सकता है. इसके कारण मस्तिष्क कोशिकाओं की एक दूसरे के साथ संवाद करने की क्षमता पर असर पड़ता है. पीड़ित व्यक्ति की सोच, व्यवहार और भावनाओं पर भी असर होता है.
डिमेंशिया सिर की चोट, स्ट्रोक, मस्तिष्क ट्यूमर या एचआईवी संक्रमण के कारण भी हो सकता है.
मस्तिष्क में अधिकांश परिवर्तन डिमेंशिया का कारण बनता है अर्थार्त समय के साथ स्थायी और खराब हो सकता है. यदि व्यक्ति को अवसाद, दवा के दुष्प्रभाव, थायराइड, विटामिन की कमी आदि जैसी स्थितियों का पता चलता है तो इसका समय पर इलाज कराया जाना चाहिए.
क्या आपको पता है, मस्तिष्क में “डिलीट” बटन होता है?
डिमेंशिया के प्रकार
- लेवी बॉडीज डिमेंशिया: यह डिमेंशिया का एक रूप है जो कोर्टेक्स में प्रोटीन alpha-synuclein के एकत्र होने के कारण होता है. याददाश्त में कमी और भ्रम के अलावा, लेवी बॉडीज डिमेंशिया कुछ अन्य स्थिति भी पैदा कर सकता है, जैसे कि- नींद संबंधी परेशानियां, वहम, असंतुलन, अन्य गतिविधियों में कठिनाई इत्यादि.
- पार्किंसंस रोग: यह रोग एक न्यूरोडीजेनेरेटिव अवस्था (ऐसी स्थिति जिसमें तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुँचती है) होती है जो डिमेंशिया पैदा कर सकती है और बाद के चरणों में अल्जाइमर के जैसे भी काम कर सकती है. इस बीमारी के कारण अन्य गतिविधियों और गाड़ी आदि चलाने में कठिनाई होने लगती है. मगर इसके कारण कुछ लोगों को डिमेंशिया भी हो जाता है.
- मिश्रित डिमेंशिया: इसका का मतलब है कि व्यक्ति को एक ही समय में अल्जाइमर और वैस्कुलर डिमेंशिया दोनों हो सकता है. लेकिन इसमें अन्य प्रकार के डिमेंशिया भी शामिल रहते हैं.
- फ्रंटोटेमपोरल डिमेंशिया: इसके एक समूह को दर्शाता है जो अक्सर व्यक्तित्व और व्यवहार में परिवर्तन का कारण होता है. इससे भाषा समझने या
बोलने में भी कठिनाई हो सकती है. पिक रोग (Pick's Disease) और प्रगतिशील सुपरन्यूक्लियर पाल्सी (Progressive Supranuclear Palsy) सहित कई परिस्थितियों के कारण फ्रंटोटेमपोरल डिमेंशिया हो सकता है.
सिर पर चोट लगना,, मस्तिष्क में ट्यूमर, संक्रमण, हार्मोन विकार जैसे थायरॉइड रोग, हाइपोक्सिया (खून में खराब ऑक्सीजनजन), मेटाबोलिक संबंधी विकार, नशे की लत आदि डिमेंशिया ने कुछ ऐसे कारण है जिससे इस रोग के होने का जिखिम बढ़ सकता है.
- अल्जाइमर और संबंधित डिसऑर्डर सोसाइटी ऑफ इंडिया (ARDSI) ने सरकार को अपनी योजना या नीति में डिमेंशिया को रखने की मांग की है जिसे सभी राज्यों में लागू किया जाना चाहिए और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित और निगरानी की जानी चाहिए.
- क्या आप जानते हैं कि ARDSI डिमेंशिया को केरल राज्य में शुरू करने में सफल रही है जो डिमेंशिया देखभाल और जागरूकता के लिए पहली सार्वजनिक-निजी साझेदारी है? केरल में इसलिए क्योंकि देश में वृद्ध व्यक्तियों का उच्चतम अनुपात यहीं है.
- यह अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में 47.5 मिलियन डिमेंशिया पीड़ित लोग हैं और हर 4 सेकंड में इससे पीड़ित एक लोग सामने आता है.
डिमेंशिया की पहचान करने के लिए प्रावधानों के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य और सामाजिक प्राथमिकता के रूप में डिमेंशिया को शामिल करने की तत्काल आवश्यकता है और इसके उपचार के लिए पर्याप्त सेवाओं को उपलब्ध करवाना. हम कह सकते हैं कि डिमेंशिया रोग ज्यादातर वृद्ध लोगों को प्रभावित कर रहा है लेकिन उम्र का बढ़न ही इसका सामान्य कारण नहीं है.
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