☞"चन्द्रगुप्त मौर्य साम्राज्य के संस्थापक और अखंड भारत निर्माण करने वाले प्रथम सम्राट थे | उन्होंने 324 ई. पूर्व तक राज किया और बाद में बिन्दुसार ने मौर्य साम्राज्य की कमान संभाली थी | चन्द्रगुप्त मौर्य भारत के इतिहास में एक निर्णायक सम्राट था | उसने नन्द वंश के बढ़ते अत्याचारों को देखते हुए चाणक्य के साथ मिलकर नन्द वंश का नाश किया | उसने यूनानी साम्राज्य के सिकन्दर महान के पूर्वी क्षत्रपों को हराया और बाद में सिकन्दर के उत्तराधिकारी सेल्यूकस को हराया | यूनानी राजनयिक मेगास्थिनिज ने मौर्य इतिहास की काफी जानकारी दी| आइये अब आपको चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन के बारे में विस्तार से बताते है
✅️"चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रारम्भिक जीवन-
☞"326 इसा पूर्व में जब सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था तब चन्द्रगुप्त किशोरावस्था में थे | सिकंदर ने Khyber Pass को पार कर राजा पुरु को हरा दिया था जबकि उसकी सेना बहुत बड़ी थी | उस समय राजा पुरु की सेना में 30 हाथी थे जिन्होंने सिकन्दर के घोड़ो और घुड़सवारो को रौंद दिया था | अब विजेता सिकन्दर का अगला निशाना नन्द साम्राज्य था जिसके पास 6000 हाथी और विशाल सेना थी |सिकन्दर जान गया था कि वो इस सेना को नही जीत पायेंगे इसलिए सिकन्दर की सेना गंगा के मैदानों से ही वापस लौट गयी | विश्व विजेता सिकन्दर ने नन्द साम्राज्य के आगे घुटने टेक दिए | इस घटना के पांच साल बाद सिकन्दर के भारत की जीत के स्वप्न को चन्द्रगुप्त मौर्य ने पूरा किया
☞"चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 इसा पूर्व बिहार राज्य के पटना जिले में माना जाता है | उसके जन्म के वास्तविक समय के बारे में अभी भी विवाद है | उदाहरण स्वरुप कुछ ग्रन्थ बताते है कि चन्द्रगुप्त के पिता एक क्षत्रिय थे और एक दुसरे ग्रन्थ में ये बताया गया है कि चन्द्रगुप्त के पिता तो राजा थे लेकिन माँ शुद्र जाति की एक दासी थी. चन्द्रगुप्त के बचपन के बारे में इतिहास में अधिक जानकारी नही है केवल नन्द साम्रज्य से जुडी उनकी कुछ कहानिया इतिहास में है कि किस प्रकार उन्होंने नन्द साम्राज्य का पतन कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी |
✅️"नंद साम्राज्य का विनाश और मौर्य साम्राज्य की स्थापना
☞"नन्द साम्राज्य के पतन से पूर्व नन्द साम्राज्य का आपको इतिहास बताना चाहते है क्योंकि ये वही वंश था जिसने विश्व विजेता सिंकन्दर को भारत में आने से रोका था | नन्द साम्राज्य में मगध पर राज करने वाले नौ भाई थे लेकिन उन सबमे महापदम् नंदा सबसे प्रसिद्ध था जिसे उग्रसेन नंदा भी कहते थे | उसका छोटा भाई धन नंदा था जो इस वंश का अंतिम शाषक था | धन नंदा के पास एक विशाल सेना थी जिसमे 200,000 पैदल सेना , 20,000 घुड़सवार सेना , 2,000 रथ and 3,000 युद्ध हाथी थे |धन नंदा के शाषन के समय 326 ई. पूर्व में सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण कर दिया और नंदा की मजबूत सेना ने उसे परास्त कर उसके अभियान को गंगा के मैदानों और सिंध तक सिमित कर दिया |
☞"धन नंदा एक निरंकुश शासक था जिसने प्रतिदिन की वस्तुओ पर भी कर लगा दिया था जिसकी वजह से उसके खिलाफ असंतोष पनपने लगा | उस समय भारत विघटित होना शुर हो गया था और नंदा इस मामले में बहुत लापरवाह था इसलिए जनता के आक्रोश छा गया था | उस समय चाणक्य तक्षशिला का प्रख्यात शिक्षक था और भारत पर विदेशी आक्रमणों के सिलसिले में बात करने मगध के दरबार में गया | नंदा ने ना केवल उसके प्रस्ताव को अस्वीकृत किया बल्कि उसका अपमान भी किया |
☞"चाणक्य ने अपनी शिखा खोलकर उसी समय बदला लेने की शपथ खाई |उसने चन्द्रगुप्त मौर्य को नंदा के विरुद्ध युद्ध करने के लिए तैयार किया |चन्द्रगुप्त को नन्द साम्राज्य से उस समय देश निकाला मिला था तो चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को नन्द साम्राज्य के स्थान पर उसे सिंहासन पर बिठाने का आश्वासन देकर अपने साथ किया |
☞"चाणक्य को नन्द वंश के राजा ने जो अपमानित किया था उसका प्रतिशोध वो नन्द वंश को समाप्त कर लेना चाहता था तो चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को हिन्दू सूत्रों के अनुसार कई तकनीके सिखाई और सेना बढाई
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