पृथ्वी पर वैसे तो बहुत सारी प्राकृतिक घटनाएँ होती रहती हैं उन्ही में से एक है, भूकंप जिसकी की भविष्यवाणी करना बहुत ही कठिन कार्य है तथापि इसके लिए दो विधियाँ प्रयोग की जाती हैं-
(I) भूकंप आने से ठीक पहले होने वाले विभिन्न प्रकार के भौतिक परिवर्तनों का मापन तथा;
(II) भूकंप की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि अर्थात प्रभावित क्षेत्र का दीर्घकालीन भूकंपीय इतिहास।
भूकंप के समय होने वाले भौतिक परिवर्तन निम्नलिखित हैं:
1. “पी” तरंग वेग: बहुत से छोटे-छोटे भूकंप “पी” तरंगों के वेग में परिवर्तन कर देते हैं जो कि किसी बड़े भूकंप के ठीक पहले सामान्य हो जाते हैं। इन परिवर्तनों को भूकंपलेखी द्वारा मापा जाता है।
2. भूमि उत्थान: भूकंप से पहले भूखंड के धीमी गति से खिसकने से एक बड़े क्षेत्र की चट्टानों में असंख्य छोटी-छोटी दरारें पड़ जाती हैं। इन नवनिर्मित दरारों में भूमिगत जल प्रवेश कर जाता है। जल की उपस्थिति द्रवचालित जैक की भांति कार्य करती है जिससे चट्टानों में उभार उत्पन्न हो जाती है। अतः बड़े भूकंप से पहले भूमि गुंबदाकार आकृति में फूल जाती है अथवा ऊपर उठ जाती है। इस परिवर्तन को दाबखादिता (Dilatancy) कहते हैं।
3. रैडन निकास (Radon Emission): रैडन गैस का निकास किसी बड़े भूकंप के आने से पूर्व बढ़ जाता है। अतः रैडन गैस के निकासी पर नजर रखने से किसी बड़े भूकंप के आने की चेतावनी मिल सकती है।
4. पशुओं का आचरण: प्रायः ऐसा देखा जाता है कि किसी बड़े भूकंप के आने से पहले जीव-जन्तु विशेषतया बिलों में रहले वाले जीव-जन्तु असाधारण ढंग से व्यवहार करने लगते हैं। चींटियां, दीमक तथा अन्य बिलों में रहने वाले जीव अपने छिपने के स्थानों से बाहर निकल आते हैं। चिड़ियां जोर-जोर से चहचहाती हैं तथा कुत्ते एक अलग तरीके से भौंकते एवं रोते हैं।
भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquakes)
भूकंप हमेशा मनुष्य के लिए अभिशाप ही साबित होता है लेकिन कभी-कभी यह वरदान भी साबित होता है।
भूकंप के कारण होने वाली प्रमुख हानि तथा लाभ निम्नलिखित हैं:
भूकंप से हानियां
1. भूकंप के कारण जन-धन की अपार हानि होती है। पृथ्वी के धरातल पर सबसे अधिक कम्पन अधिकेन्द्र पर होता है और सबसे अधिक क्षति भी अधिकेन्द्र के आस-पास ही होती है। नगरों या घनी बस्तियों के पास भूकंप बहुत हानि पहुंचाते हैं। वर्ष 1935 में क्वेटा में भूकंप से बहुत से भवन नष्ट हो गए थे और लगभग 25,000 लोगों की जानें गई थी। गुजरात के भुज इलाके में 26 जनवरी, 2001 को बहुत ही भयंकर भूकंप आया था जो रिक्टर पैमाने पर 7।9 मापा गया था। इस भूकंप के झटके भारत, पाकिस्तान और नेपाल में भी महसूस किए गए थे। इस भूकंप के कारण लगभग 1 लाख लोगों की जानें गई थी और बहुत-से नगर मलबे के ढेर बन गए थे।
2. कई बार भूकंप के कारण नदियों के मार्ग में रुकावट पड़ जाती है और उनका प्रवाह रुक जाता है। जिसके कारण नदी का जल आस-पास के इलाकों में फैल जाता है और बाढ़ आ जाती है। वर्ष 1950 में असम में आए भूकंप से ब्रह्मपुत्र तथा उसकी सहायक नदियों में इसी प्रकार बाढ़ आई थी।
3. जब समुद्री भाग में भूकंप आता है तो बड़ी-बड़ी लहरें उठती हैं, जिससे जलयानों को भारी क्षति पहुंचती है। इसके अलावा तटीय भागों में समुद्री जल फैलकर भारी नुकसान पहुंचाता है। समुद्र में भूकंप आने से सुनामी उत्पन्न होती है, जिसका विकराल रूप 2004 में हिन्द महासागर में देखने को मिला था।
4. भूकंप के कारण भू-पटल पर बड़े-बड़े भ्रंश पड़ जाते हैं, जिससे यातायात में बाधा उत्पन्न होती है। वर्ष 1891 में जापान में आए भीषण भूकंप ने चौड़ी घाटियों के तल पर बनी कई सड़कों को नष्ट कर दिया था। वर्ष 1906 में कैलिफोर्निया में आए भूकंप से सैकड़ों किलोमीटर विशाल भ्रंश का निर्माण हो गया था।
5. भूकंप के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में काफी भू-स्खलन (Landslides) होता है, जिससे काफी क्षति होती है।
6. भूकंप के कारण कई बार भीषण आग लग जाती है, जिससे जान-माल का काफी नुकसान होता है।
भूकंप से लाभ
1. भूकंपीय तरंगों से हमें भू-गर्भ का ज्ञान प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
2. भूकंप के कारण भू-स्खलन की क्रिया होती है जो अपक्षय में सहायक होती है। इससे मिट्टी के निर्माण में सहायता मिलती है और कृषि को प्रोत्साहन मिलता है।
3. भूकंप के कारण भू-पटल पर बड़े पैमाने पर बलन या भ्रंश पड़ जाते हैं, जिससे पर्वत, पठार, घाटियां आदि कई नई स्थलाकृतियों का जन्म होता है।
4. समुद्र तटीय भागों में भूकंप आने से कई बार तटीय भाग नीचे धंस जाते हैं और गहरी खाड़ियों का निर्माण होता है। इनसे अच्छे सुरक्षित बंदरगाह का निर्माण होता है जो व्यापार में सहायक होते हैं। इसके विपरीत कई बार भूकंप के कारण बहुत सारे जलमग्न भाग समुद्र से बाहर आ जाते हैं और नए स्थलीय भाग का निर्माण होता है।
5. भूकंपों के कारण धरातल पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ जाती हैं जिससे कई खनिज पदार्थ सुगमता से मिल जाते हैं।
6. भूकंप के कारण भू-भागों के धंसने से बड़े-बड़े झीलों का निर्माण होता है जो मनुष्य के लिए उपयोगी सिद्ध होते हैं।
7. कई बार भूकंपीय भ्रंशों से जल-स्रोतों का जन्म होता है जो मनुष्य के लिए लाभकारी साबित होते हैं।
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