चिन्तन के उपकरण या साधन –विभिन्न विद्वानों ने अपने अध्ययनों के आधार पर चिन्तन प्रक्रिया के आधार स्तम्भ या उपकरण को निम्नलिखित भागों में प्रस्तुत किया है-
(1) प्रतिमाएँ (Images) मानव अनुभव प्रतिमाओं के आधार पर व्यक्त होता है। हम जो कुछ देखते हैं, करते हैं एवं सुनते हैं, सभी का आधार मन में विकसित प्रतिमा होती है। इसीलिए इनको स्मृति प्रतिमा, दृश्य प्रतिमा, कल्पना प्रतिमा आदि नाम देते हैं। ये प्रतिमाएँ वस्तु, व्यक्ति एवं विचार से निर्मित होती हैं। चिन्तन में इन्हीं को आधार बनाया जाता है।
(2) प्रत्यय (concept) – चिन्तन का महत्वपूर्ण साधन प्रत्यय भी माना जाता है। इसके द्वारा हमें ‘सम्पूर्ण ज्ञान‘ का बोध होता है; जैसे -हाथी शब्द को सुनकर हमारे मस्तिष्क में हाथी से सम्बन्धित संचित प्रत्यय जाग जाता है और सम्पूर्ण ज्ञान का अभ्यास होने लगता है।
(3) प्रतीक एवं चिन्ह (symbols and signs)–प्रतीक एवं चिन्ह मूक रहते हुए भी अपना अर्थ स्पष्ट या व्यक्त करने में समर्थ होते हैं। सड़क पर बने हुए प्रतीक या चिन्ह हमें सही गति एवं सुरक्षा को स्पष्ट करते हैं। इसी प्रकार गणित में + या x का चिन्ह अर्थ स्पष्ट करता है कि हमें क्या करना है?
(4) भाषा (Language) -विद्वानों ने भाषा के पीछे चिन्तन शक्ति को बतलाया है। सामाजिक विकास में भाषा संकेतों एवं इशारों से भी प्रकट होती है जैसे-मुस्कराना, भौंहें चढ़ाना तथा अँगूठा दिखाना आदि। इन सबका दैनिक जीवन में प्रयोग किया जाता है तथा बिना बोले अर्थ को लगाना या समझना प्रचलित है। इन सबके पीछे चिन्तन शक्ति है, जो अर्थों को स्पष्ट करती है।
(5) सूत्र (Formula) हमारी प्राचीन परम्परा है कि हम ज्ञान को छोटे-छोटे सूत्रों में एकत्रित करके संचित करते हैं। इसमें गणित, विज्ञान आदि के सूत्र आते हैं। भारतीय ज्ञान संस्कृत के श्लोकों में संचित है जिसकी व्याख्या से अपार ज्ञान प्रकट होता है। सूत्र को देखकर हमारी चिन्तन शक्ति उसमें निहित सम्पूर्ण ज्ञान को प्रकट करती है।
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