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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

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जानिए सरोजिनी नायडू के जन्मदिन पर क्यों मनाते हैं महिला दिवस।।



भारत में सरोजनी नायडू के जन्म तिथि 13 फ़रवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. सरोजिनी नायडू भारत की पहली महिला राज्यपाल थीं और 'भारत कोकिला' के नाम से भी प्रसिद्ध थीं. सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था. उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए ‘भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन’ में सक्रिय रूप से भाग लिया था. यह सरोजिनी नायडू का 141वां जन्म दिवस है.
भारत में महिलाओं के विकास के लिए सरोजनी नायडू द्वारा किए गए कार्यों को मान्यता देने हेतु उनके जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय महिला दिवस’ के रूप में चयनित किया गया था. यह दिवस पहली बार 13 फरवरी को साल 2014 में शुरू हुआ था. यह दिवस का प्रस्ताव भारतीय महिला संघ और अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्यों द्वारा किया गया था.
• सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था.

• वे भारत की ‘भारत कोकिला’ के नाम से जानी जाती हैं. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष रहीं.

• वे ना केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थीं, बल्कि वे संयुक्त प्रांत, वर्तमान उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल भी बनीं थीं.

• वे गोपालकृष्ण गोखले को अपना 'राजनीतिक पिता' मानती थीं.

• उन्होंने साल 1919 में जलियांवाला बाग के हत्याकांड से दुःखी होकर कविता लिखना बंद कर दिया था.

• सरोजिनी नायडू ने साल 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुईं.

• ब्रिटिश सरकार ने साल 1928 में भारत में प्लेग महामारी के दौरान उनके काम के लिए सरोजनी नायडू को ‘कैसर-ए –हिंद’ से सम्मानित किया था.

• सरोजिनी नायडू का निधन 02 मार्च 1949 को हुआ.




सरोजनी नायडू का साहित्य में योगदान
साल 1905 में ‘द गोल्डन थ्रेशोल्ड’ साल 1912 में ‘द बर्ड ऑफ टाइम’ और साल 1917 में ‘ब्रोकन विंग’ के नाम से उनकी कविताओं के तीन संग्रह प्रकाशित किए गए. उन्होंने केवल 13 साल की उम्र में 1300 पंक्तियों की कविता 'द लेडी ऑफ लेक' लिखी थी. विदित हो कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रति वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है.


सरोजिनी नायडू के जीवन से जुड़ी प्रमुख बातें जानें

मात्र 12 साल की उम्र में की साहित्यिक जीवन की शुरुआत - सरोजिनी नायडू ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत मात्र 12 साल की उम्र में की थी. उन्होंने अपने नाटक 'माहेर मुनीर' से पहचान हासिल की.

16 साल की उम्र में मिली स्कॉलरशिप- सरोजिनी को हैदराबाद के निज़ाम की ओर से छात्रवृत्ति मिली. इसके बाद वह लंदन किंग्स कॉलेज में पढ़ाई करने चली गईं.

कैसर-ए-हिंद सम्मान लौटा दिया- सरोजिनी नायडू को भारत में प्लेग महामारी के दौरान किए गए काम के लिए 'कैसर-ए-हिंद' पदक से सम्मानित किया था. लेकिन जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने विरोध स्वरूप यह सम्मान लौटा दिया था.

स्वतंत्रता प्राप्त करने के 2 साल बाद हुआ निधन- सरोजिनी नायडू का निधन आजादी के दो साल बाद 2 मार्च 1949 को लखनऊ के गवर्नमेंट हाउस में कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुआ. वे अपने आखिरी समय में अपने कार्यालय में काम कर रही थीं.

सरोजिनी नायडू के निधन के करीब 12 साल बाद साल 1961 में उनकी बेटी बद्मा ने उनके कविताओं का एक संग्रह प्रकाशित कराया. इस संग्रह का नाम, 'द फेदर ऑफ द डॉन' था.

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