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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

भीमशिला : केदारनाथ घाटी का रहस्य

*भीमशिला !  यकीन करना मुश्किल है लेकिन सत्य है*
 
 
         
जब 2013 में # *केदारनाथ* की त्रासदी ने पूरे भारत को झकझोर दिया तब केवल एक चीज था जो *अडिग* खड़ा रहा..वह था *केदारनाथ मंदिर* ..।

 आपदा के समय यह पत्थर बाढ़ के साथ आकर मंदिर के ठीक पीछे स्थापित हो गया और बाढ़ के वेग को अत्यंत मंद कर दिया और फिर दुनियाँ ने देखा कि *केदारनाथ* में सबकुछ तबाह होने के बाद भी *हमारा मंदिर शौर्य* से खड़ा होकर दुनियाँ को चकित कर रहा था । शायद इसी को # *चमत्कार* कहते हैं ।

▪️ *आइए जानते हैं पूरी कहानी* 👇

 ▪️ *4मई* को एक बार फिर केदारनाथ के द्वार खुल गए। हालांकि कोरोना महामारी के चलते दर्शन करने का सौभाग्य वहां के स्थानीय श्रद्धालुओं को ही मिलेगा, वो भी कुछ पाबंदियों के साथ। बावजूद इसके, एक बार फिर भीम शिला का रहस्य बरकरार हैं। जाने आखिर क्या हुआ था उस समय और क्या है #भीम शिला…

▪️बात है  # *16जून2013* की केदारनाथ में एक भीषण बाढ़ आई थी। जून में बारी बारिश के दौरान वहां बादल फटे थे और कहते हैं कि केदारनाथ मंदिर से 5 किलोमीटर ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर के पास एक झील बन गई थी जिसके टूटने से उसका सारा पानी तेजी से नीचे आ गया था। यह बिल्कुल जल प्रलय जैसा ही दृश्य था। # *केदारनाथ मंदिर* के मुख्य तीर्थ # *पुरोहित* ने उस वक्त कहा था कि 16 जून को शाम करीब 8 बजे के बाद अचानक मंदिर के पीछे ऊपर वाले पहाड़ी भाग से पानी का तेज बहाव आता दिखा। इसके बाद # *तीर्थयात्रियों* ने मंदिर में शरण ली। रातभर लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधाते दिखे। मंदिर के चारों ओर जल प्रलय था।पानी, रेत, चट्टान, पत्थर और मिट्टी के सैलाब ने पूरी केदार घाटी के पत्ते-पत्ते को उजाड़ दिया। पहाड़ों में धंसी बड़ी-बड़ी मजबूत चट्टाने भी टूटकर पत्थर बन गई थी। सैलाब के सामने कोई नहीं टिक पाया था, मंदिर पर भी खतरा मंडरा रहा था।

▪️ # *केदारनाथ* के दो साधुओं की मानें तो एक चमत्कार ने मंदिर और शिवलिंग को बचाया। 16 जून को जब सैलाब आया तो इन दोनों साधुओं ने मंदिर के पास के एक खंबे पर चढ़कर रातभर जागकर अपनी जान बचाई थी। खंबे पर चढ़े साधुओं ने देखा कि मंदिर के पीछे के पहाड़ से बाढ़ के साथ *अनुमानित 100* की स्पीड से एक विशालकाय डमरूनुमा चट्टान भी मंदिर की ओर आ रही है, लेकिन अचानक वह चट्टान मंदिर के पीछे करीब 50 फुट की दूरी पर रुक गई। ऐसा लगा जैसे उसे किसे ने रोक दिया हो।

▪️उस चट्टान के कारण बाढ़ का तेज पानी दो भागों में कट गया और मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया। उस वक्त मंदिर में # *300से500* लोग शरण लिए हुए थे। साधुओं के अनुसार उस चट्टान को मंदिर की ओर आते देख उनकी रूह कांप गई थी। उन्होंने केदार बाबा का नाम जपना शुरू कर दिया और अपनी मौत का इंतजार करने लगे थे, लेकिन बाबा का चमत्कार की उस चट्टान ने मंदिर और उसके अंदर शरण लिए लोगों को बचा लिया।कहते हैं कि उस प्रलयकारी बाढ़ में लगभग 10 हजार लोग मारे गए थे। आज उस घटना को बीते 6 साल हो चुके हैं और वह शिला आज भी # *केदारनाथ* के पीछे आदि गुरु # *शंकराचार्य* की समाधी के पास स्थित है। आज इस शिला को भीम शिला कहते हैं। लोग इस शिला की पूजा करने लगे हैं।


▪️ # *तारणहार इसी शिला ने बाढ़ त्रासदी में बाबा केदारनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर की रक्षा की थी। आज भी इस शिला का रहस्य बरकरार है कि मंदिर की चौड़ाई के बराबर यह शिला आई कहां से और कैसे यह अचानक मंदिर के कुछ दूरी पर ही रुक गई? आखिर यह चमत्कार कैसे हुआ। क्या यह चमत्कार आदि गुरु शंकराचार्य का था? जिनकी समाधी मंदिर के पीछे ही स्थित है, या कि यह महज एक संयोग था। शिला का प्रकट होना और अचानक रुक जाना निश्चित ही बाबा की कृपा ही कही जाएगी।आज इस शिला के चमत्कार को सभी लोग नमस्कार कर रहे हैं, क्योंकि इस शिला ने सही समय पर और सही जगह रुककर मंदिर को सुरक्षित किया था। पूरी बाढ़ के पानी तथा उसके साथ आने वाले बड़े-बड़े पत्थरों को इसी शिला ने रोककर केदारनाथ मंदिर की रक्षा की थी। डमरूनुमा # *भीमशिला* की चौड़ाई लगभग मंदिर की चौड़ाई के बराबर है जिसने प्रलय का अभिमान चकनाचूर कर मंदिर को लेशमात्र भी क्षतिग्रस्त नहीं होने दिया।


▪️कुछ लोग कहते हैं कि सर्वप्रथम यह मंदिर पांडवों ने बनवाया था। यहीं भीम ने भगवान शंकर का पीछा किया था। प्रलय के समय ऐसा लगा जैसे भीम ने अपनी गदा गाड़कर महादेव के मंदिर को बचाया हो। संभवत: इसीलिए इस शिला को लोग *भीम शिला* कहने लगे हैं। भोलेनाथ की महिमा तो भोलेनाथ ही जानें।

▪️पौराणिक कथाओं में इस बारे में बताया गया है कि भगवान शिव के द्वादश ज्‍योर्तिलिंगों में से केदारनाथ की खोज सबसे पहले # *पांडवों ने की थी। माना जाता है कि वे अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भोलेबाबा को ढूंढ़ते हुए केदारनाथ तक आ पहुंचे थे। *वांडवों के वंशज जनमेजय ने यहां केदारनाथ मंदिर में नींव रखी थी। उसके बाद # *आठवीं सदी में आदिगुरु* # *शंकराचार्य* ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उसके बाद यहां आदिकाल से भगवान शिव की आराधना होती आ रही है।इस मंदिर की कहानी द्वापरयुग से  जुड़ती है 🚩

।। *दूसरी थ्योरी मंदिर निर्माण की* 👇

▪️इस मन्दिर की आयु के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, पर एक हजार वर्षों से केदारनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा रहा है। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये १२-१३वीं शताब्दी का है। ग्वालियर से मिली एक राजा भोज स्तुति के अनुसार उनका बनवाय हुआ है जो १०७६-९९ काल के थे।एक मान्यतानुसार वर्तमान मंदिर ८वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया जो पांडवों द्वारा द्वापर काल में बनाये गये पहले के मंदिर की बगल में है। मंदिर के बड़े धूसर रंग की सीढ़ियों पर पाली या ब्राह्मी लिपि में कुछ खुदा है, जिसे स्पष्ट जानना मुश्किल है। फिर भी इतिहासकार डॉ शिव प्रसाद डबराल मानते है कि शैव लोग आदि शंकराचार्य से पहले से ही केदारनाथ जाते रहे हैं।

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,वैसे भी भारत में इसी प्रकार के मंदिर है जो अपने रहस्यों से  अपनी वास्तुकला शैली से पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों और लोगों को रोमांचित और आकर्षित कर देते हैं अभी भी रहस्यमई शक्तियां हैं भारत में  ,,# *अदभुतभारत #अतुल्यभारत*

बाकी भगवान # *शिव* की महिमा अपरम्पार है, #हरहरमहादेव
 #जय केदारनाथ
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