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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

जग है सारा प्रेरणा, प्रभाव सिर्फ राम है

जग है सारा प्रेरणा,प्रभाव सिर्फ राम हैं।
भाव सूचियां बहुत हैं,भाव सिर्फ राम हैं।।

कामनाएं त्याग पुण्य काम की तलाश में,
राजपाठ त्याग पुण्य काम की तलाश में,
तीर्थ खुद भटक रहे थे धाम की तलाश में,
न तो दाम न किसी ही नाम की तलाश में,
राम वन गये थे अपने राम की तलाश में,
आपमें से ही आपका चुनाव सिर्फ राम है।
भाव सूचियां बहुत हैं भाव सिर्फ राम है।।

ढाल में ढले समय की शस्त्र में ढले सदा,
सूर्य थे मगर वो सरल दीप से जले सदा,
ताप में तपे स्वयं की स्वर्ण से गले सदा,
राम ऐसा पथ थे जिसपे राम ही चले सदा,
दुःख में भी अभाव का अभाव सिर्फ राम हैं,
भाव सूचियां बहुत हैं भाव सिर्फ राम हैं।।

ऋण थे जो मनुष्यता के वो उतारते रहे,
जन को तारते रहे तो मन को मारते रहे,
एक भरी सदी का दोष खुद पे धारते रहे,
जानकी तो जीत गई राम हारते रहे,
दुःख की सब कहानियां हैं घाव सिर्फ राम हैं,
भाव सूचियां बहुत हैं भाव सिर्फ राम हैं।।

सबके अपने दुःख थे सबके सारे दुःख छले गए,
वो जो आस दे गए थे वो ही साँस ले गए,
राम राज की ही आस में दीए जले गए,
राम राज आ गया तो राम ही चले गए,
हर घडी नया नया स्वभाव सिर्फ राम है,
भाव सूचियां बहुत हैं भाव सिर्फ राम है।।

जग की सब पहेलियों का दे के कैसा हल गए,
लोक के जो प्रश्न थे वो शोक में बदल गए,
सिद्ध कुछ हुए न दोष दोष सारे टल गए,
सीता आग में न जली राम जल में जल गए,
सीता माँ का हर जनम बचाव सिर्फ राम है,
भाव सूचियां बहुत है भाव सिर्फ राम है।।

सारा जग है प्रेरणा प्रभाव सिर्फ राम है,
भाव सूचियां बहुत हैं भाव सिर्फ राम है।।

🌹🌹जय श्री सीताराम🌹🌹


सारा जग है प्रेरणा, प्रभाव सिर्फ राम हैं, 

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