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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

अधिगम (Learning)।।

अधिगम की परिभाषाएं(Definetion of Learning)

1. वुडवर्थ के अनुसार -"सीखना विकास की प्रक्रिया (प्रक्रम) है"।(first grade 2014, 2020)

2. गेट्स व अन्य के अनुसार -"प्रशिक्षण व अनुभव द्वारा व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है"।(first grade 2012, 2014,2020)

 3. क्रो एंड क्रो के अनुसार -"आदत, ज्ञान व अभिवृत्तियों का अर्जन करना ही अधिगम है"।(first grade 2012, 2016, Reet 2015)

 4. गिलफोर्ड के अनुसार- "व्यवहार के कारण व्यवहार में परिवर्तन की अधिगम है"।( Kvs-2010)

 5. स्किनर के अनुसार- "व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया ही अधिगम है"।( Second grade 2017, PTI 2018)

6. पील के अनुसार- "व्यक्ति में परिवर्तन ही अधिगम हैं, जो वातावरण में परिवर्तन के अनुसरण में होता है"।( first grade 2014)

7. हिलगार्ड के अनुसार:- "अधिगम ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा क्रिया प्रारंभ होती है"।

8. स्मिथ के अनुसार:- "अधिगम प्रक्रिया में चालक, लक्ष्य व लक्ष्य के अवरोधक का होना आवश्यक है"।

अधिगम मानसिक प्रक्रिया है जिसमें बालक परिपक्वता की ओर बढ़ता हुआ अपने अनुभव से लाभ उठाता है| वह अपनी स्वाभाविक व्यवहार अनुभूति में प्रगतिशील परिवर्तन परिमार्जन करता है|
यह प्रक्रिया जीवन पर्यंत तथा सर्वत्र चलती रहती है|

वुडवर्थ- नवीन ज्ञान और नवीन प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया सीखने की प्रक्रिया है|

क्रो व क्रो - सीखना आदतों,ज्ञान और अभिवृत्ति का अर्जन है|

गिलफोर्ड - व्यवहार के फलस्वरुप व्यवहार में किसी प्रकार का परिवर्तन आना ही सीखना अथवा अधिगम है|

गेट्स एवं अन्य - अनुभव और प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार में परिवर्तन लाना ही अधिगम या सीखना है।

स्किनर - प्रगतिशील व्यवहार व्यवस्थापन की प्रक्रिया को सीखना कहते हैं|

अधिगम की विशेषताएं —

  • सीखना सार्वभौमिक है|
  • संपूर्ण जीवन पर्यंत चलता है|
  • सीखना विकास है|
  • सीखना परिवर्तन है|
  • सीखना अनुकूलन है|
  • सीखना अनुभवों का संगठन है|
  • सीखना उद्देश्यपूर्ण है|
  • सीखना सक्रिय है|
  • व्यक्तिगत और सामाजिक है|
  • सीखना वातावरण की उपज है|
  • सीखना खोज करना है|

सीखने की प्रक्रिया में सोपान —

सीखने की प्रक्रिया को निम्न चित्र द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है|
  • अभिप्रेरणा (M)
  • व्यक्ति(P)
  • विभिन्न अनुक्रिया(V)
  • सही अनुक्रिया (CR)
  • पुनर्बलन (R)
  • संगठन(O)
  • उद्देश्य(T)

सीखने की प्रक्रिया में सबसे पहले बालक में प्रेरणा जागृत होती है|
बालक द्वारा विभिन्न अनुक्रिया की जाती है|
अनुक्रिया करने पर बाधा उत्पन्न होती है|
बाधाओं का निराकरण कर सही अनुक्रिया की जाती है|
सही अनुक्रिया करने पर पुनर्बलन मिलता है|
पुनर्बलन के पश्चात आगे बढ़ता हुआ बालक सभी अनुक्रियाओं का संगठन करता हुआ अपने उद्देश्य को प्राप्त करता है|

अभिप्रेरणा —

उचित वातावरण - परिवार का वातावरण
विद्यालय का वातावरण
कक्षा का वातावरण
सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण
मनोवैज्ञानिक वातावरण
रुचि, इच्छा शक्ति, बुद्धि, आयु, अभ्यास
शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य
अधिगम की विधि
अध्यापक की भूमिका
परिपक्वता
शिक्षा के अनौपचारिक साधन
अधिगम का समय व थकान
विशेष सामग्री का स्वरूप

अधिगम के प्रकार —

1 ज्ञानात्मक अधिगम
2 भावात्मक अधिगम
3 क्रियात्मक अधिगम

1 ज्ञानात्मक अधिगम-

सीखने का यह तरीका बौद्धिक विकास तथा ज्ञान अर्जित करने की समस्त क्रियाओं पर प्रयुक्त होता है|
ज्ञानात्मक अधिगम को तीन भागों में बांटा जा सकता है|-
1 प्रत्यक्षात्मक सीखना- जब वस्तु को देखकर, सुनकर, या स्पष्ट करके उसका ज्ञान प्राप्त किया जाता है उसे प्रत्यक्षआत्मक सीखना कहते हैं|
इस तरह का सीखना शैशव अवस्था व बाल्यावस्था में होता है|

2 प्रत्यात्मक सीखना- इसमें जब बालक साधारण ज्ञान या अनुभव प्राप्त कर लेता है तो वह तर्क चिंतन और कल्पना के आधार पर सीखने लगता है इस प्रकार वह अनेक अमूर्त बातें सीखता है|

3 साहचर्यात्मक सीखना- जब पुराने ज्ञान तथा अनुभव के द्वारा किसी पक्ष को सिखा जाता है तो यह साहचर्य आत्मक सीखना होता है|

2 भावात्मक अधिगम

भावात्मक अधिगम का संबंध न तो ज्ञान प्राप्त करने से हैं नहीं कौशल को प्राप्त करने से है|
इसका संबंध बच्चों की कोमल भावनाओं से हैं|
इसमें बालक किसी दृश्य को देख कर किसी आवाज को सुनकर आनंद प्राप्त करता है|

3 क्रियात्मक अधिगम

इस अधिगम में किसी कला में निपुणता प्राप्त की जाती है|
इसमें कौशल विकसित होता है|

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