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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

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राष्‍ट्रीय हथकरघा दिवस : बदल रही है बुनकरों की तस्वीर।

देश के कुटीर उद्योग पर नज़र डालें तो हथकरघा सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला उद्योग है। देश के तमाम शहरों में छोटे-छोटे घरों में आप हथकरघा का हुनर देख सकते हैं। राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी हथकरघा को उद्योग बनाकर युवाओं को स्वावलंबी बनाने का सपना देखा था। एक समय आया, जब हथकरघा उद्योग ने ऊंचाईयां छुईं, लेकिन फिर धीरे-धीरे इस उद्योग का ग्राफ नीचे जाने लगा। लेकिन बीते पांच वर्षों में बुनकरों में एक नई उम्मीद जगी और वो उस उम्मीद का ही नतीजा है कि आज भारत के हैंडलूम को पंख लग चुके हैं। और तमाम उत्पादों ने लोकल से ग्लोबल की उड़ान भरना शुरू कर दी है।  

आज देश में राष्‍ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है। हथकरघा पर बने परिधानों को लोकप्रिय बनाने और बुनकर समुदाय को मदद पहुंचाने के लिए हर साल राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस मनाया जाता है। आज 6वां राष्‍ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है। इस बार हथकरघा दिवस कुछ ज्यादा खास है क्योंकि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बाद देश आत्मनिर्भर की ओर कदम बढ़ा रहा है। ऐसे में तमाम सूक्ष्म और लघु उद्योग से जुड़े हथकरघा बुनकर आत्म निर्भर भारत के तहत योजनाओं से जुड़ चुके हैं। पीएम मोदी ने भी वोकल फॉर लोकल का नारा दिया। साथ भी मन की बात कार्यक्रम में भी पीएम ने हथकरघा से बने मास्क का प्रयोग करने की अपील की।  

भारत सरकार ने 29 जुलाई, 2015 को अधिसूचना जारी की थी कि देश में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य हथकरघा उद्योग के महत्व एवं आमतौर पर देश के सामाजिक आर्थिक योगदान में इसके योगदान के बारे में जागरूकता फैलाना और हथकरघा को बढ़ावा देना, बुनकरों की आय को बढ़ाना और उनके गौरव में वृद्धि करना है। हथकरघा दिवस मनाने के लिए 7 अगस्‍त का दिन भारतीय इतिहास में विशेष महत्‍व का होने के कारण चुना गया है। इसी दिन 1905 में स्‍वदेशी आंदोलन शुरू हुआ था। आंदोलन का उद्देश्‍य घरेलू उत्‍पादों और उत्‍पादन इकाइयों को पुनर्जीवित करना था। 

हथकरघा के लिए चलायी गई योजनायें

2015 में हथकरघा उद्योग और बुनकरों की कला को वैश्वविक पहचान देने के लिए इंडिया हैंडलूम' ब्रांड लॉन्च किया गया। इसके लॉन्च के बाद से 184 उत्पाद श्रेणियों के तहत 1333 रजिस्ट्रेशन कराये गये। जिससे 861.93 करोड़ की आय हुई। आलम यह है कि कई हथकरघा बुनकरों को पहचान मिली और उन्होंने खुद का अपना नया ब्रांड भी बनाया।

देश में चौथी अखिल भारतीय हथकरघा जनगणना (2019-20) के अनुसार, 26,73,891 हथकरघा बुनकर और 8,48,621 संबद्ध श्रमिक हैं। हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनायें भी चलाई जा रही हैं। जिनमें राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (NHDP), व्यापक हथकरघा क्लस्टर विकास योजना (CHCDS), हथकरघा बुनकरों की व्यापक कल्याण योजना (HWCWS), यार्न आपूर्ति योजना (YSS), राष्ट्रीय आवास विकास कार्यक्रम (NHDP) शामिल है। बुनकरों को अलग-अलग योजना के तहत आर्थिक सहायता भी मुहैया कराने की योजना है।

पिछले चार वर्षों में खर्च किए 1441 करोड़  

केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत 1441.29 करोड़ रुपए बुनकरों के उत्थान, उनके रोजगार को आगे बढ़ाने, उनके उत्पादों की ब्रांडिंग, आदि के लिए खर्च किए। लोकसभा से प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (NHDP), व्यापक हथकरघा क्लस्टर विकास योजना (CHCDS), हथकरघा बुनकरों की व्यापक कल्याण योजना (HWCWS), यार्न आपूर्ति योजना (YSS) योजनाओं के तहत 2016-17 में कुल 505.59 करोड़ रुपए आवंटित किए, जिनमें से 481.58 करोड़ रुपए केंद ने रिलीज़ किए। वहीं 2017-18 में 397.74 करोड़ रुपए में से 391.69 करोड़ रुपए खर्च किए गए, 2018-19 में 325.49 करोड़ में से 264 करोड़ इस मद में खर्च हुए। वहीं 2019-20 में 353.95 करोड़ में से 16 मार्च 2020 तक 304.02 करोड़ रुपए हैंडलूम क्षेत्र में खर्च किए गए। 

इस बार ऑनलाइन लगेगा मेला

इसके अलावा हैंडलूम उत्पादों के ई-मार्केटिंग को बढ़ावा देने के लिए, एक पॉलिसी तैयार की गई है, जिसके तहत अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले इच्छुक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म हैंडलूम उत्पादों की ऑनलाइन मार्केटिंग में भाग ले सकते हैं। इसके बाद, 23 ई-कॉमर्स इकाइयां हथकरघा उत्पादों की ऑन-लाइन मार्केटिंग के लिए लगी हुई हैं। ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से 80.76 करोड़ की बिक्री हुई। इसके साथ बी शहरों यानी टियर-2 शहरों में हाट, बजार के माध्यम से हथकरघा सामान की बिक्री के लिए छोटे-छोटे आय़ोजन भी कराये जाते हैं।

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