जल्द खराब होने वाली वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति के लिए देश की पहली किसान स्पेशल पार्सल ट्रेन शुक्रवार को पटरी पर उतरी। इस ट्रेन में यात्री सफर नहीं करेंगे, न ही किसी का बैगेज या औद्योगिक माल की ढुलाई होगी। दरअसल इस ट्रेन में केवल कृषि उत्पाद एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाए जाएंगे वो भी सुपर फास्ट स्पीड से। खास बात यह है यह ट्रेन न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने का एक जरिया बनेगी, बल्कि लाखों टन अनाज, फल और सब्जियां जो किसानों के घरों पर या गोदामों में रखे-रखे खराब हो जाते हैं, उनकी डिलवीरी समय पर सुनिश्चित करेगी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अगर किसान रेल ने 50 प्रतिशत खाद्य उत्पादों को भी खारब होने से बचा लिया तो करीब 45 हजार करोड़ रुपए की हानि रोकी जा सकेगी।
एक नज़र किसान रेल की खूबियों पर
देश की पहली किसान स्पेशल महाराष्ट्र के देवलाली से दूसरे पहर 11 बजे रवाना हुई। ट्रेन बिहार के दानापुर के बीच फल-सब्जियां, मछली-मांस और दूध जैसी जल्द खराब होने वाली वस्तुओं की ढुलाई करेगी। यह ट्रेन करीब 32 घंटे में 1,519 किलोमीटर की दूरी तय कर 8 अगस्त की शाम दानापुर पहुंचेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने इस ट्रेन की घोषणा बजट में की थी।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि उनके मंत्रालय का उद्देश्य किसान रेल के जरिये खेती करने वालों की आमदनी दुगुना करना है। किसान रेल में वातानुकूलित डिब्बे बनाये गए हैं और इसके जरिये देश भर में मछली, मांस और दूध सहित जल्द खराब होने वाली कई वस्तुएं निर्बाध रूप से पहुंचाई जा सकेंगी। उन्होंने कहा, "सन् 1853 में मुंबई से पहली रेलगाड़ी चली थी। इसी तरह रेलवे की प्रगति के सोपान के बीच आज प्रधानमंत्री का किसानों के लिए रेल चलाने का सपना साकार हुआ है। किसानों के सम्मान में भारतीय रेल भी उतर आया, यह पीएम मोदी ने सुनिश्चित किया है।"
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "यह ट्रेन पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई यह ट्रेन चार राज्यों से होकर चलेगी। आज किसानों की एक बड़ी अनिवार्य आवश्यकता को भारत सरकार ने पूरा किया है। किसान रेल का यह रूट अत्यंत उपयोगी है। नासिक में पैदावार ज्यादा होने से प्याज खराब न हो, इसकी चिंता सभी को रहती है। किसानों को उनका उचित मूल्य मिल सकें व उपभोक्ताओं को प्याज सहित सभी खाद्य सामग्री की पर्याप्त उपलब्धता हो सके, इसके लिए तथा किसानों को समृद्ध बनाने के लिए किसान रेल रामबाण सिद्ध होगी। उन्होंने देशभर के किसानों की ओर से प्रधानमंत्री का आभार मानते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में किसानों की आय दोगुनी हो सकेगी, जिसमें रेल मंत्रालय का भी योगदान होगा।"
खराब हो जाते थे 92 हजार करोड़ के खाद्य उत्पाद
अब अगर दूध, मीट, मछली, अंडा, अनाज, फल, सब्जी, आदि खाद्य उत्पादों की बात करें तो इस पर सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्ट-हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPHET) ने 9 अगस्त 2016 को एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार देश भर में हर साल औसतन 40,811 करोड़ रुपए के खाद्य उत्पाद खराब हो जाते हैं।
संस्थान ने खाद्य उत्पादों के खराब होने के कारण भी बताए, जिनमें ट्रांसपोर्टेशन के दौरान हानि, खेत से गोदाम तक होने वाली हानि, कोल्ड स्टोरेज या गोदाम में बारिश, गर्मी, आदि की वजह से होने वाली हानि शामिल हैं। सीफेट के अनुमान के मताबिक हर साल 92 हजार के खाद्य उत्पाद खराब हो जाते हैं। जिनमें सबसे ज्यादा मीट, मछली, फल और सब्जी खराब होते हैं।
कौन सी चीज कितनी खराब होती है (CIPHET की रिपोर्ट में वार्षिक आंकलन )
उत्पाद खराब होने की प्रतिशत औसतन हानि (रुपए में)
दुग्ध उत्पाद : 0.92 % 4409 करोड़
मीट : 2.71 % 1235 करोड़
समुद्री मछली: 10.52 % 4315 करोड़
नदी मछली: 5.23 % 3766 करोड़
अंडे : 7.19 % 1320 करोड़
पोल्ट्री मीट : 6.74 % 3942 करोड़
मोटा अनाज : 4.65-5.99 % 20698 करोड़
दालें : 6.36-8.41 % 3877 करोड़
तिलहन : 3.08-9.96 % 8278 करोड़
फल, सब्जी : 4.58-15.88 % 40811 करोड़
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कुल हानि 92651 करोड़
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