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स्वस्थ लोग ही स्वस्थ भारत की पहचान हैं। स्वस्थ भारत ही देश के विकास की नींव है। इसमें कोई शक नहीं है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत बहुत तेजी से प्रगति कर रहा है। और सभी जानते हैं कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए चाहिए अच्छा पोषण। 2022 तक भारत को कुपोषण मुक्त बनाने के लक्ष्य पर देश निरंतर आगे बढ़ रहा है।
कुपोषण के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिये हर साल 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह सामान्य रूप से लोगों को आवश्यक संतुलित आहार का सेवन करने ने के लिए जागरूक करता है। बाल्यावस्था के दौरान उचित पोषण बच्चों को जीवन में बढ़ने, विकास करने, सीखने, खेलने, भाग लेने और समाज में योगदान करने योग्य बनाता है।
भारत में खाद्य और पोषण बोर्ड द्वारा वर्ष 1982 में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की शुरुआत की गई थी। बोर्ड ने सितंबर महीने के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाने का फैसला किया। लगभग चार दशकों से, राष्ट्रीय पोषण सप्ताह ने लोगों को उनके स्वास्थ्य और पोषण के बारे में विभिन्न तरीकों से जागरूक करने का काम किया है। इसमें सभी तक समाना रूप से सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्व - प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, विटामिन मिले।
केंद्र सरकार का 2022 तक कुपोषण मुक्त भारत का लक्ष्य
इसी के तहत द 8 मार्च, 2018 को, पीएम नरेंद्र मोदी ने 2022 तक भारत को कुपोषण मुक्त बनाने के दृष्टिकोण के साथ, राजस्थान के झुंझनू से पोषण अभियान शुरू किया। पोषण अभियान तीन साल के लिये एक अभियान है, इसके लिये सरकार ने के लिए सरकार ने 3 साल के लिए बजट आबंटित किया है। महिला और बाल विकास मंत्रालय सहित सभी संबंधित मंत्रालयों के लिए वर्ष 2020-21 के पोषण संबंधी कार्यक्रमों के लिए 35,600 करोड़ दिया गया।
इस अभियान के तहत बड़े पैमाने पर चलने वाला अभियान है, जो की बच्चे, बालिग बालिकाएं, गर्भवती महिलायें एवं स्तनपान कराने वाली माताओं में पोषण की कमी को सुधारना है। इस प्रोग्राम के तहत 10 करोड़ बच्चे और महिलाओं को लाभ प्राप्त होगा।
पोषण अभियान के तहत सरकार ने लक्ष्य निर्धारित
> इस योजना के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इसका संचालन नीति आयोग द्वारा किया जाता है।
> 0-6 वर्ष के आयु के बच्चों मे ठिगनेपन के 34.6 % को कम कर 25 % करना है।
> ऐसी संस्थाओं को पुरष्कृत किया जाएगा जिन्होंने राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत रक्त की कमी एवं पोषण की कमी मे सुधार करने मे विशेष योगदान दिया हो।
> आंगनवाड़ी के कर्मियों को इस योजना के तहत घर-घर जाकर सही जानकारी जुटानी है, उसकी सूची बनाना, कुपोषण से अवगत कराना, जेसे कार्यों के लिए उन्हे प्रोत्साहन रूप 500 रुपए प्रदान किए जाएगे।
> इस मिशन के अंतर्गत जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं मे प्रति वर्ष कम से कम 2% की कमी लाना। यानि की इसका मुख्य उद्देश्य छोटे बच्चो, महिलाओ और किशोरिओ के कुपोषण को कम करना है|
भारत में पोषण के क्या कहते हैं आकड़ें
ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2018 के अनुसार दुनिया के सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे भारत में रहते हैं। हांलाकि कुपोषण के शिकार बच्चों का अनुपात वर्ष 2005-06 के 48 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2015-16 में 38.4 प्रतिशत हो गया और 2018 में 31 फीसद रह गया है। जिसे 2022 में 25 फीसदी पर लाने का लक्ष्य है। इसी तरह कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 42.5 प्रतिशत से घटकर 35.7 प्रतिशत हो गया। 6-59 महीने के बच्चों में एनीमिया की स्थिति 69.5 प्रतिशत से घटकर 58.5 प्रतिशत रह गई।
शरीर के लिये संतुलित और पोषण युक्त आहार जरूरी
जैसा की कहा जाता है कि "तुम वही बनते हो जो तुम खाते हो"। नियमित शारीरिक गतिविधि के साथ अच्छा पोषण युक्त आहार अच्छे स्वास्थ्य की नींव है। स्वस्थ बच्चे जल्दी सीखते हैं और ज्यादा कार्यशील होते हैं। दूसरी ओर, खराब पोषण होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है, बीमारी की संभावना बढ़ सकती है, शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो सकता है और उत्पादकता कम हो सकती है।
पोषण युक्त भोजन के लिये कुछ विशेष तथ्य
एक अध्ययन के अनुसार किसी अस्वस्थ व्यक्ति को 21 दिन में स्वस्थ्य किया जा सकता है। इसके लिये पोषण युक्त आहार की जरूरत होती है। जिसके तहत कम से कम ताजा भोजन खाएं। जब भी संभव हो कच्चे फल और सब्जियां खाएं क्योंकि खाना पकाने से कई पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, इसके लिये जरूरी है कि फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं। जब तक उन्हें खाने के लिए तैयार नहीं हो जाते, तब तक फलों और सब्जियों को न काटें, न धोएं। फास्ट फूड की तुलना में पारंपरिक, घर का बना खाना खाये। चीनी का भी बहुत अधिक सेवन से बचें।
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