आने वाले 05 वर्षों की अवधि में 10 क्षेत्रों के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित वित्तीय परिव्यय लगभग 2 लाख करोड़ रुपये है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 11 नवंबर, 2020 को भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए, फार्मास्यूटिकल दवाओं, ऑटो कम्पोनेंट्स और ऑटोमोबाइल सहित दस प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना को मंजूरी दी है.
आने वाले 05 वर्षों की अवधि में 10 क्षेत्रों के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित वित्तीय परिव्यय लगभग 2 लाख करोड़ रुपये है. केंद्रीय मंत्री, प्रकाश जावड़ेकर ने यह भी बताया कि, यह उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना रोजगार पैदा करने में भी मदद करेगी. उन्होंने आगे यह भी कहा कि, विनिर्माण GDP का 16% है और अब इसे बढ़ाने की आवश्यकता है.
PLI योजना के तहत आने वाले 10 प्रमुख क्षेत्र:
क्षेत्र
05 वर्ष की अवधि में स्वीकृत वित्तीय परिव्यय
एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी
18,000 करोड़ रुपये
प्रौद्योगिकी/ इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद
5, 000 करोड़ रुपये
ऑटोमोबाइल और ऑटो कम्पोनेंट्स
57,042 करोड़ रुपये
फार्मास्यूटिकल और दवायें
15, 000 करोड़ रुपये
दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद
12, 195 करोड़ रुपये
कपड़ा उत्पाद
10,683 करोड़ रुपये
खाद्य उत्पाद
10, 900 करोड़ रुपये
उच्च क्षमता वाले सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल्स
4, 500 करोड़ रुपये
सफेद सामान (एलईडी और एसी)
6, 238 करोड़ रुपये
स्पेशल्टी स्टील
6, 322 करोड़ रुपये
विनिर्माण के लिए PLI योजना का महत्व
केंद्रीय मंत्री, प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान यह बताया कि, हमारी अर्थव्यवस्था में यह कमी है कि, भारत में विनिर्माण GDP का केवल 16% है.
यह PLI योजना भारत में निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी, निवेश आकर्षित करेगी और जिसके परिणामस्वरूप हमारा निर्यात बढ़ेगा.
जबकि वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण ने यह कहा कि, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अधिक PLI तैयार करने का फैसला किया है ताकि अधिक रोजगार सृजन, भारत को आत्मनिर्भर और वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनाने के साथ ही सूर्योदय क्षेत्रों को बढ़ावा देना सुनिश्चित हो सके.
PLI योजना के तहत कवर किए गए क्षेत्र
इस PLI योजना के तहत जिन 10 क्षेत्रों को कवर किया गया है, वे प्रौद्योगिकी-गहन, कार्यनीतिक और भारत में रोजगार सृजन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था इन चयनित क्षेत्रों के लिए न केवल घरेलू बाजार के दृष्टिकोण से, बल्कि इन उत्पादों के लिए भारत को एक प्रमुख निर्यात केंद्र बनाने के लिए भी एक बड़ा अवसर प्रदान करती है. फिक्की की अध्यक्ष, डॉ. संगीता रेड्डी के अनुसार, इस तरह की प्रगतिशील योजनाएं देश में और अधिक महत्त्वपूर्ण (आर्थिक) क्षेत्रों के लिए भी लागू की जा सकती हैं.
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