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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

कुछ ही घंटों में विकराल रूप में दिखेगा चक्रवात 'निवार'

चक्रवाती तूफान 'निवार' के चलते आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश हो रही है। साथ ही पुदुचेरी में भी तेज़ हवाओं के साथ भारी बारिश हो रही है। चेन्नई व आस-पास के तटीय शहरों में बारिश के चलते जनजीवन अस्तव्यस्त है। रात के 12 बजे के करीब चक्रवात निवार समुद्र तट से टकरायेगा, जिसकी वजह से अगले कुछ घंटों तक तूफान का विकराल रूप देखने को मिल सकता है। केंद्र के साथ मिलकर राज्य सरकारों ने परिस्‍थतियों से निपटने के लिए पूरी तैयारियां कर ली हैं।    

आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश हुई। नेल्लोर में तेज हवा के साथ भारी बारिश हुई। इस दौरान कई जगहों पर बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई। कई क्षेत्रों में पेड़ उखड़ कर रास्ते में गिरे। जिले में कई तालाब पानी से लबालब भर गए हैं। प्रकाशम जिले के तटवर्ती सीमा पर रात में समंदर 10 मीटर आगे आने की आधिकारिक पुष्टि हुई है । मछुआरों को समुंदर में ना जाने की हिदायत दी गई है।

बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना चक्रवात 

बंगाल की खाड़ी के ऊपर बने गहरे दबाव के चलते चक्रवाती तूफान 'निवार' के विकराल रूप धारण करने की आशंका है। मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि तूफान बुधवार को तमिलनाडु और पुद्दुचेरी के तट से बुधवार मध्यरात्रि के बाद या गुरुवार तड़के टकरा सकता है। विभाग ने कहा कि बुधवार को तमिलनाडु, पुद्दुचेरी और कराईकल के ज्यादातर हिस्सों में बारिश हुई है। 

चेन्नई, पुदुचेरी में भारी बारिश 

चेन्नई समेत तमिलनाडु के कई तटीय शहरों और पुदुचेरी में भारी बारिश जारी है। आपको बता दें कि इस तूफान को अत्यंत प्रचंड तूफान की श्रेणी में रखा गया है। मौसम विभाग का अनुमान है कि मध्‍य रात्रि से लेकर सुबह तड़के तक मौसम ऐसा ही बना रहेगा। इस तूफान का असर केरल के कुछ ह‍िस्सों में और कर्नाटक के कई ह‍िस्सों में देखा जा सकता है। बेंगलुरु में सुबह से ही बादल छाए हुए हैं। रात में बारिश होने की संभावना व्यक्त की गई है।   

शिक्षण संस्‍थानों में छुट्टी घोषित 

कल गुरुवार को आंध्र प्रदेश के चित्तूर, नेल्लोर प्रकाशम, गुंटूर, और कृष्णा जिले के शिक्षण संस्‍थानों में छुट्टी घोषित की गई है। विजयवाड़ा के गणनावरम हवाई अड्डे ने बयान जारी कर कहा कि चक्रवात निवार के कारण हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाली और आने वाली उड़ानें प्रभावित हो सकती हैं। हवाई अड्डे ने एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है जहां एयरलाइंस, राज्य प्रशासन समन्वय कर रहे हैं। 

निवार चक्रवात से दक्षिण आंध्र के जिलों विशेषकर तिरुपति में भारी बारिश हुई है। इस कारण कई इलाकों में जलजमाव देखेने का मिल रहा है। तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन प्राप्त करने वाले श्रद्धालुओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

अधिकारियों को किया गया अलर्ट 

आज देर शाम में भारी बारिश के तुरंत बाद सिंचाई मंत्री अनिल कुमार यादव ने स्थिति की समीक्षा की और अधिकारियों को यथाशीघ्र कार्रवाई करने के आदेश दिये। हालांकि तूफान की संभावना को देखते हुए लोगों और अधिकारियों को पहले से ही अलर्ट कर दिया गया था और हजारों की संख्या में जनता को पुनर्वास केंद्रों पर पहुंचा दिया गया था। इसी क्रम में निवार' की तीव्रता को देखते हुए कड़पा और चित्तूर जिले के लोगों को सतर्क कर दिया गया है।

आंध्र प्रदेश सचिवालय से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में राज्य सरकार के आपदा निवारण के प्रबंधन(डिजास्टर मैनेजमेंट कमिश्नर ने कहा है रात 12 घंटे से (बुधवार की रात) या गुरुवार तड़के चक्रवाती तूफान ‘निवार’ विकराल रूप धारण कर तमिलनाडु और पुडुचेरी के बीच तट से टकराएगा। इस तूफान का असर भारतीय रेल सेवा पर पड़ा है, जिसके चलते दक्षिण रेलवे और दक्षिण मध्य रेलवे ने 6 अन्य ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द किया है। 

(इनपुट- हिन्दुस्थान समाचार)

तीन दिन पहले (22 नवंबर को) सोमालिया में जो चक्रवाती तूफ़ान आया था उसे भारत ने नाम दिया था. इसे 'गति' नाम दिया गया था जिसका आशय रफ़्तार से है.

एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) और विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) ने साल 2000 में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने चक्रवातों को नाम देने की पद्धति शुरू की.

इसके तहत बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों के एक समूह ने बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाले चक्रवातों के लिए 13 नामों की एक सूची सौंपी. 2018 में इन देशों के पैनल में ईरान, क़तर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन का नाम भी जुड़ गया. इस पैनल का काम चक्रवातों के नाम तय करना है.

इन देशों की ओर से सुझाए गए नाम देश के नाम की वर्णमाला के हिसाब से सूचीबद्ध किए जाते हैं. इस सूची की शुरुआत बांग्लादेश से होती है.

फिर इसके बाद इसमें भारत, ईरान, मालदीव, ओमान, पाकिस्तान का नाम आता है.

इस क्रम के हिसाब से ही चक्रवातों के नाम रखे जाते हैं. निवार के बाद जिन चक्रवातों के नाम सुनाई पड़ने वाले हैं वो हैं बुरेवी (मालदीव), तौकते (म्यांमार), यास (ओमान) और गुलाब (पाकिस्तान). अप्रैल 2020 में इन नामों वाली नई सूची सदस्य देशों की ओर से स्वीकृत की गई है.

इमेज स्रोत,REUTERS/FRANCIS MASCARENHAS
चक्रवात के नाम रखने के पीछे मक़सद

पूरी दुनिया में क्षेत्रवार छह विशेष मौसम केंद्र और पाँच चक्रवात चेतावनी केंद्र हैं. इन केंद्रों का काम चक्रवात से संबंधित दिशा-निर्देश जारी करना और उनके नाम रखना है. छह विशेष मौसम केंद्रों में से एक भारतीय मौसम विभाग भी है जो चक्रवात और आंधी को लेकर एडवायज़री जारी करता है.

नई दिल्ली स्थित इस केंद्र का काम उत्तर हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का नामकरण करना भी है. उत्तर हिंद महासागर के तहत ही बंगाल की खाड़ी और अरब सागर आते हैं.

चक्रवातों के नाम रखने की वजह से वैज्ञानिक समुदाय, आपदा प्रबंधकों, मीडिया और आम लोगों में हर चक्रवात को अलग-अलग पहचानने में मदद मिलती है. इससे जागरूकता फैलाने में भी आसानी होती है.

क्षेत्र में एक ही वक़्त पर दो चक्रवात आने की स्थिति में कोई उलझन नहीं पैदा होती है. किस चक्रवात की बात हो रही है इसे आसानी से याद किया जा सकता है. चक्रवात से संबंधी चेतावनी को बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुँचाने में मदद मिलती है.

इसलिए अलग-अलग महासागरीय क्षेत्र में आने वाले चक्रवात का नामकरण उस क्षेत्र में मौजूद विशेष मौसम केंद्र या चक्रवात चेतावनी केंद्र करते हैं. मस्कत में साल 2000 में ईएससीएपी और डब्लूएमओ के 27वें सम्मेलन के बाद चक्रवातों के नाम रखने को लेकर सैद्धांतिक तौर पर रज़ामंदी हुई है और साल 2004 के सितंबर महीने से सदस्य देशों के बीच लंबे विमर्श के बाद इसकी शुरुआत हुई.

उस वक़्त सूची में आठ देशों की ओर से सुझाए गए नाम शामिल थे. इस सूची में अब तक इस्तेमाल हुए लगभग सभी नाम थे सिर्फ़ आख़िरी अम्फन को छोड़कर.

2018 में ईएससीएपी और डब्लूएमओ के 45वें सम्मेलन में चक्रवातों के नाम वाली नई सूची तैयार की गई. इसमें पाँच नए सदस्य देशों के भी सुझाए गए नाम शामिल किए गए थे.

ये देश थे ईरान, क़तर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन. इसके बाद कुल 13 सदस्य हो गए थे. इस सम्मेलन में भारतीय मौसम विभाग के डॉक्टर मृत्युंजय मोहापात्रा को विभिन्न सदस्य देशों के बीच समन्वय स्थापित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई ताकि सभी तय मापदंडों का पालन करते हुए चक्रवातों का नामकरण किया जा सके.

उनकी तैयार की गई रिपोर्ट को म्यांमार में हुए 46वें सम्मेलन में पेश किया गया और फिर उस पर विचार-विमर्श करने के बाद अप्रैल 2020 को मंज़ूर किया गया.

नामकरण में किन मापदंडों का पालन किया जाता है?
- प्रस्तावित नाम किसी भी राजनीतिक पार्टी, शख्सियत, धर्म, संस्कृति और लिंग के आधार पर नहीं होने चाहिए.

- नाम ऐसा होना चाहिए जिससे किसी समूह या तबक़े की भावना आहत न हो.

- यह सुनने में बहुत क्रूर या रुखा नहीं लगना चाहिए.

- यह कम शब्दों का और आसानी से बोला जाने वाला होना चाहिए और किसी भी सदस्य देशों के लिए आपत्तिजनक नहीं होना चाहिए.

- यह अंग्रेज़ी के सिर्फ़ आठ अक्षरों का होना चाहिए.

- प्रस्तावित नाम उसके उच्चारण और वॉयस ओवर के साथ होने चाहिए.

- पैनल के पास किसी भी नाम को ख़ारिज करने का अधिकार है, अगर किसी मापदंड पर वो नाम खड़ा नहीं उतरता है.

- किसी तरह की आपत्ति दर्ज करने की स्थिति में तय नामों की फिर से वार्षिक सम्मेलन में पैनल की मंज़ूरी से समीक्षा की जा सकती है.

- एक नाम का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इसलिए हर बार नया नाम होना चाहिए. प्रस्तावित नाम दिल्ली स्थित केंद्र के अलावा दुनिया के किसी भी मौसम केंद्र में दर्ज नहीं होना चाहिए.

आठ देशों ने 2004 में जो सूची तैयार की थी, उसमें दर्ज नाम अम्फन तूफ़ान के आने तक समाप्त हो गए थे.

भारतीय मौसम विभाग के डायरेक्टर जनरल कहते हैं कि उत्तर हिंद महासागर के क्षेत्र में हर साल आम तौर पर पाँच चक्रवात उठते हैं तो उस हिसाब से अगले 25 सालों तक जो नई सूची तैयार हुई है, उसमें शामिल नामों से ही काम चलता रहेगा.

नई सूची में प्रत्येक देश ने 13 नाम दिए हैं. अर्नब (बांग्लादेश), शाहीन और बहार (क़तर), लुलु (पाकिस्तान) और पिंकू (म्यांमार) इस सूची में शामिल कुछ ऐसे ही नाम हैं.

भारत की ओर से प्रस्तावित तूफ़ानों के नाम हैं गति, तेज़, मुरासु (तमिल का एक वाद्य यंत्र), आग, नीर, प्रभांजन, घुरनी, अंबुद, जलाधि और वेगा.

इमेज स्रोत,GETTY IMAGES
हर महासागरीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली समिति ही उसके नाम का निर्धारण करती है. वो अपनी सालाना बैठकों में यह तय करते हैं. ये वो पांच चक्रवात संबंधित क्षेत्रीय समितियाँ हैं जो इसके नाम का निर्धारण करती हैं.

1. ईएससीएपी/डब्लूएमओ चक्रवात समिति

2. चक्रवात पर डब्ल्यूएमओ/ईएससीएपी पैनल

3. आरए I चक्रवात समिति

4. आरए IV तूफ़ान समिति

5. आरए V चक्रवात समिति

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