यदि आप टेबल पर रखा हुआ हॉट लाइन का रिसीवर देखेंगे तो आपको थोड़ा अजीब सा लगेगा। यह बिल्कुल एक टेलीफोन की तरह होता है। बस इसमें डायल करने की सुविधा नहीं होती। सामान्यतः दो मित्र देशों के बीच हॉट लाइन बिछाई जाती है। यह टेलीफोन की तरह कम्युनिकेशन के लिए होती है परंतु टेलीफोन लाइन से अलग होती है। यानी यदि टेलीफोन एक्सचेंज काम करना बंद कर देगा तब भी हॉटलाइन काम करती रहेगी।
यह दो देशों के बीच एक डायरेक्ट लाइन होती है। उदाहरण के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच हॉटलाइन बिछी हुई है। यदि भारत से हॉटलाइन का रिसीवर उठाया जाएगा तो पाकिस्तान में तत्काल रिंग करने लगेगा और वहां नियुक्त अधिकारी को उसे तत्काल रिसीव करना होगा। सरल शब्दों में हॉट लाइन का मतलब डायरेक्ट कनेक्शन। इसे इतना सुरक्षित बिछाया जाता है कि ना तो काटा जा सकता है और ना ही हॉट लाइन पर होने वाली बात को रिकॉर्ड किया जा सकता है।
दुनिया की कुछ महत्वपूर्ण हॉटलाइन
अमेरिका और रूस के बीच दुनिया की सबसे प्रसिद्ध हॉटलाइन सेवा संचालित है। दोनों देशों में इसे रेड टेलीफोन भी कहते हैं। इसकी शुरुआत 20 जून 1963 को हुई थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1943 से 1946 के बीच आपातकालीन स्थिति में कम्युनिकेशन के लिए हॉटलाइन सबसे सफल माध्यम साबित हुआ। जिसमें दुश्मन देश एक दूसरे के संदेशों को चुरा नहीं पाए।
भारत और पाकिस्तान के बीच 20 जून 2004 को संयुक्त राज्य अमेरिका के दखल के बाद परमाणु युद्ध की गलतफहमी को दूर करने के लिए ऑनलाइन सेवा शुरू की गई।
भारत और चीन के बीच अगस्त 2015 में हॉटलाइन सेवा शुरू करने पर सहमति बनी परंतु आज यानी 12 दिसंबर 2020 तक यह शुरू नहीं हो पाई थी।
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