शोधकर्ताओं ने दुनिया का सबसे छोटा मेमोरी डिवाइस बना लिया है. इस विकास से कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और ब्रेन-इंस्पायर्ड कंप्यूटिंग के लिए तेज, छोटे और अधिक ऊर्जा-कुशल इलेक्ट्रॉनिक चिप्स का निर्माण हो सकता है.
शोधकर्ताओं ने उस पदार्थ विज्ञान को भी खोज लिया है जो इन छोटे उपकरणों के लिए गहन मेमोरी स्टोरेज क्षमताओं को अनलॉक करता है. इस शोध को हाल ही में 'नेचर नैनो टेक्नोलॉजी' नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया था. इसके शोधकर्ता टेक्सास विश्वविद्यालय, ऑस्टिन के हैं.
मुख्य विशेषताएं
वैज्ञानिकों ने क्रॉस-सेक्शन क्षेत्र को केवल एक वर्ग नैनोमीटर तक सिकोड़कर सबसे छोटे और पतले मेमोरी स्टोरेज डिवाइस का आकार कम कर दिया है.
शोधकर्ताओं के अनुसार, इन उपकरणों में अधिकतम मेमोरी स्टोरेज क्षमता को पैक करने वाले पदार्थ विज्ञान को खोजने पर, वे इस डिवाइस को बहुत छोटा और पतला बनाने में सक्षम हो गये हैं.
उन्होंने कहा कि उच्च-घनत्व मेमोरी स्टोरेज क्षमता को तैयार करने में इस पदार्थ में मौजूद अल्ट्रास्मॉल छिद्रों ने मदद की है.
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में प्राथमिक नैनोमेट्री के तौर पर कंपाउंड मोलिब्डेनम डीसल्फ़ाइड का उपयोग किया, जिसे MoS2 के तौर पर भी जाना जाता है.
उनका यह मानना है कि, यह खोज सैकड़ों संबंधित पतले परमाणु मैटेरियल्स पर भी लागू हो सकती है.
लाभ
शोधकर्ताओं ने यह कहा है कि, छोटे प्रोसेसर अधिक कॉम्पैक्ट कंप्यूटर और फोन बनाने में निर्माताओं को सक्षम बनाते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि, इन चिप्स के आकार को कम करने से इनकी ऊर्जा-मांग घट जाती है और कार्य क्षमता भी बढ़ जाती है.
इसका मतलब है कि, तेज़ और स्मार्ट डिवाइसेस संचालन के लिए कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं.
पृष्ठभूमि
शोधकर्ताओं द्वारा "एटमरिस्टर" नामक यह मूल उपकरण, उस समय के सबसे पतले मेमोरी स्टोरेज डिवाइस के रूप में दर्ज किया गया था, जिसकी मोटाई सिर्फ एकल परमाणु परत जितनी थी.
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