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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

मेघालय के बिजली वितरण क्षेत्र के लिए भारत और एशियन डेवलपमेंट बैंक ने किया ऋण समझौता।।

 भारत सरकार ने मेघालय में बिजली वितरण क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए 01 दिसंबर, 2020 को एशियन विकास बैंक (ADB) के साथ 133 मिलियन डॉलर के एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

इस समझौते पर आर्थिक मामले विभाग में अतिरिक्त सचिव, CS महापात्र और एशियन विकास बैंक के इंडिया रेजिडेंट मिशन के कंट्री डायरेक्टर, टेको कोनीशी ने हस्ताक्षर किए हैं.

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किये गये एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ऋण में कमी के लिए गरीबी उन्मूलन के लिए बैंक के जापान फंड से 02 मिलियन डॉलर का अनुदान प्राप्त किया जाएगा जो नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का वित्तपोषण करेगा.

उद्देश्य

वित्त मंत्रालय ने यह बताया कि, एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) द्वारा दिये गये इस ऋण का उपयोग मेघालय में बिजली वितरण नेटवर्क को आधुनिक बनाने और उद्योगों, घरों और कारोबारों को आपूर्ति की जाने वाली बिजली की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए किया जाएगा.

ADB द्वारा वित्त पोषित विद्युत वितरण परियोजनाएं: मुख्य विवरण

भारत सरकार के साथ मिलकर ADB के फंड राज्य की ‘सभी के लिए 24X7 बिजली’ पहल का समर्थन करेंगे.

यह ऋण 45 सबस्टेशनों के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण, 23 सबस्टेशनों के निर्माण, और 2,214 किमी वितरण लाइनों और संबंधित सुविधाओं को स्थापित करने और अपग्रेड करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं के लिए धन की व्यवस्था करेगा.

इस वित्तपोषित परियोजना के तहत स्थापित किए जाने वाले स्मार्ट मीटरों से लगभग 1,80,000 परिवारों को लाभ होने की उम्मीद है.

ऋण में से 02 मिलियन डॉलर का अनुदान सामाजिक रूप से वंचित समूहों की सहायता करने के अलावा, बिजली की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा मिनी ग्रिड्स के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान करेगा.

सुदूर गांवों में बिजली की कटौती

मेघालय के विद्युत वितरण नेटवर्क के लिए ADB के ऋण समझौते के बारे में जानकारी देते हुए, वित्त मंत्रालय ने यह कहा कि, भले ही इस राज्य ने 100% विद्युतीकरण का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है, फिर भी पूर्वोत्तर राज्य के दूरदराज के गांवों में ओवरलोडेड वितरण नेटवर्क और यहां के सबस्टेशनों के द्वारा भी पुरानी तकनीक का उपयोग के कारण, अभी भी इन गावों में बिजली कटौती की समस्या बनी हुई है.
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