24 दिसम्बर
क्यों : भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम विधेयक (1986) पारित होने के अवसर पर घोषित।
उद्देश्य : यह अधिनियम उपभोक्ताओं के अधिकारों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने हेतु संयुक्त मार्गदर्शी सिद्धांतों के आधार पर वर्ष 1986 में लागू हुआ था।
• वर्ष 2000 - भारत में पहली बार राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया गया।
◾️भारत में उपभोक्ता आंदोलन :
• 1966 - मुंबई (महाराष्ट्र) से प्रारंभ हुआ।
• 1974 - अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत (पूना, महाराष्ट्र) की स्थापना के साथ ही विभिन्न राज्यों में उपभोक्ता हितों के लिए संस्थाओं के गठन के साथ बढ़ता गया।
• 9 दिसंबर 1986 - तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित हुआ।
• 24 दिसंबर 1986 - उपभोक्ता संरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति मिली।
◾️उपभोक्ता। संरक्षण अधिनियम संशोधन :
• वर्ष 1991 तथा 1993
• दिसम्बपर, 2002 - (इस संसोधन का उद्देश्य अधिनियम को अधिकाधिक कार्यरत व प्रयोजनपूर्ण बनाना था जिसे 15 मार्च 2003 से लागू किया गया।)
• इसी आधार पर उपभोक्ता संरक्षण नियम, 1987 को संशोधित कर, 5 मार्च 2004 को अधिसूचित किया गया।
◾️अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत :
• इसका मूल ध्येय ग्राहक को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना एवं उसे उचित मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता, सही नाप, विक्रय पश्चात सेवा एवं अच्छा व्यवहार दिलवाना है।
◾️उपभोक्ता की सुनवाई :
• प्रत्येक ग्राहक को सुरक्षा, चयन, सुनवाई, क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार है। इसी उद्देश्य से उपभोक्ता अदालतों का गठन हुआ।
• जिला उपभोक्ता फोरम - 20 लाख तक की खरीददारी पर ग्राहक जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कर सकता है।
• राज्य स्तरीय उपभोक्ता फोरम - 1 करोड़ तक की खरीददारी पर शिकायत की जा सकती है।
• राष्ट्रीय आयोग - 1 करोड़ से अधिक की राशि के मामले हेतु।
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