Follow Us 👇

Sticky

तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

जजों की नियुक्ति पर यह गतिरोध जितना लंबा खिंचेगा, आम लोगों की तकलीफ उतनी ही बढ़ेगी!

[सरकार और न्यायपालिका, दोनों को और ज्यादा एकजुटता का परिचय देते हुए जजों की नियुक्ति पर इस गतिरोध को दूर करना होगा. द टाइम्स ऑफ इंडिया की संपादकीय टिप्पणी]

👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇

भारत जैसे देश में एक आधुनिक और कारगर न्यायव्यवस्था होनी चाहिए. लेकिन इसके बजाय हम आज भी एक ऐसी व्यवस्था में फंसे हुए हैं जो न सिर्फ काफी हद तक अप्रभावी है बल्कि लंबित मामलों के विशाल बोझ तले कराह भी रही है. यह संकट भी बढ़ ही रहा है. हाल ही में मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि जजों की नियुक्तियों में देरी करक सरकार न्यायपालिका को रोकने का काम कर रही है.


तू डाल-डाल मैं पात-पात वाली यह स्थिति उस टकराव के चलते पैदा हुई है जो जजों को नियुक्तियों को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रहा है. कॉलेजियम व्यवस्था की जहां अपारदर्शिता और पक्षपात के चलते आलोचना हो रही है तो संसद ने जो राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाया था उसे शीर्ष अदालत ने 2015 में रद्द कर दिया. अब हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए सरकार और कॉलेजियम को एक नया मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर तैयार होना है. इसमें जितनी देर होगी न्याय की प्रतीक्षा कर रहे नागरिकों की प्रताड़ना उतनी ही बढ़ेगी. देश भर के उच्च न्यायालयों में अभी करीब 46 फीसदी पद खाली पड़े हैं. लंबित मामलों की संख्या 40 लाख तक जा पहुंची है.

ऐसे हालात में न्याय हासिल करने की कोई भी कोशिश अपने आप में एक मुसीबत और कइयों के लिए दीवाला निकालने वाली साबित होती है. जैसा कि मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘जब तक किसी अपील की सुनवाई की जा सके, आरोपित आजीवन कारावास भुगत चुका होता है.’ साफ है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच चल रहे इस अहं का टकराव ने स्थितियों को बदतर ही किया है. यह भी याद रखा जाना चाहिए कि जब शीर्ष अदालत ने प्रस्तावित एनजेएसी की समीक्षा की तो उस दौरान भी करीब एक साल तक नियुक्तियों का काम रुका हुआ था.

इसलिए कोशिश यह होनी चाहिए कि अपनी-अपनी जिद पर अड़े रहकर कानूनी गतिरोध बनाए रखने के बजाय, सरकार और न्यायपालिका कहीं ज्यादा एकजुटता का परिचय दें ताकि न सिर्फ जजों की नियुक्ति पर एक नई प्रक्रिया का गठन किया जा सके बल्कि न्यायिक देरी की समस्या को दुरुस्त करने के लिए व्यापक सुधारों को भी लागू किया जा सके.
The times of india editorial in hindi.. 
15-08-2016

0 comments: