✅ ‘विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस’ डाउन सिंड्रोम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा की सिफ़ारिश से वर्ष 2012 से मनाया जा रहा है।
डब्ल्यूडीएसडी के लिए 21 क्रोमोसोम (गुणसूत्र) त्रयी (ट्रायसोमिक) की विशिष्टता को दर्शाने के लिए तीसरे महीने की 21 तारीख़ का चयन किया गया था, जिसके कारण डाउन सिंड्रोम का होता है।
डाउन सिंड्रोम नाम, ब्रिटिश चिकित्सक जॉन लैंगडन डाउन के नाम पर पड़ा, जिन्होंने इस सिंड्रोम (चिकित्सकीय स्थिति) के बारे में सबसे पहले 1866 में पता लगाया था। विश्व में अनुमानित 1000 में 1 से लेकर 1100 में से 1 बच्चा डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा होता है।
📌 थीम 2021 ➛ "हम कनेक्ट करें ताकि हम कर सकें"
यह विषय सभी सामाजिक पहलुओं के संदर्भ में भरपूर जीवन जीने के लिए डाउन सिंड्रोम से पीड़ित सभी लोगों को समान अवसर प्रदान करने पर जोर देता है। नकारात्मक दृष्टिकोण, निम्न अपेक्षाएं, भेदभाव और बहिष्करण डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को पीछे छोड़ देता हैं। ये दर्शाता है, कि अन्य लोग इन लोगों की चुनौतियों को समझ नहीं पाते है। उन्हें सशक्त बनाने के क्रम में हितधारकों को वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए अवसर सुनिश्चित करने चाहिए।
"कोई भी पीछे न छूटे" विषय का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्य के लिए संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 2030 के एजेंडे को पूरा करने में भी मदद करेगा।
🤔 डाउन सिंड्रोम क्या है?
डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक विकार है, जो कि क्रोमोसोम-21 में एक अतिरिक्त क्रोमोसोम के जुड़ने की उपस्थिति के कारण होता है। अधिकांश लोगों की सभी कोशिकाओं में 46 गुणसूत्र होते हैं, लेकिन डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में उनके 47 गुणसूत्र होते हैं और इसके कारण वे अलग दिखते हैं तथा अलग तरीके से सीखते हैं।
👤 डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों के लक्षण :
डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति में बहुत हल्के से गंभीर संज्ञानात्मक कमी का स्तर, मांसपेशी टोन में कमी, छोटी नाक व नाक की चपटी नोक, ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें, छोटे कान, मांसपेशियों में कमज़ोरी, सामान्य से परे लचीले जोड़, अंगूठा और उसके बगल की ऊँगली के बीच की दूरी अधिक होना तथा मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ जैसे लक्षण होते है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे विभिन्न दोषों जैसे कि जन्मजात हृदय रोग, सुनने में परेशानी, आंख की समस्याओं से प्रभावित होते हैं।
डाउन सिंड्रोम सभी जातियों और आर्थिक स्थिति के लोगों में पाया जाता है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चा किसी भी उम्र की मां से जन्म ले सकता है, हालांकि डाउन सिंड्रोम का ज़ोखिम मां की उम्र अधिक होने के साथ बढ़ता है। 35 वर्षीय महिला के डाउन सिंड्रोम से पीड़ित गर्भधारण की संभावना 350 में से 1 तथा 40 वर्ष की उम्र के बाद डाउन सिंड्रोम से पीड़ित गर्भधारण की संभावना 100 में से 1 होती है।
🗣 डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति की स्वास्थ्य देखभाल :
चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाली प्रगति के कारण डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति पहले से कहीं अधिक लंबा जीवन व्यतीत करते हैं। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को उनकी विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल की ज़रूरतों को पूरा करके बढ़ाया जा सकता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
• मानसिक और शारीरिक विकास की निगरानी के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा नियमित जांच-पड़ताल तथा भौतिक चिकित्सा, परामर्श या विशिष्ट शिक्षा के विभिन्न हस्तक्षेपों को समय-समय पर प्रदान करना।
• अभिवाहकों एवं समुदायों को चिकित्सीय दिशा-निर्देशन, पैतृक देखभाल और सहयोग के माध्यम से जीवन की सर्वोच्य गुणवत्ता तथा समुदाय आधारित सहयोग प्रणाली जैसे कि विशेष विद्यालय के लिए मार्गदर्शन देना है। यह मुख्यधारा के समाज में उनकी भागीदारी बढ़ाता है तथा उनके व्यक्तिगत सामर्थ्य को भी संतुष्टि प्रदान करता है।
👶🏻 राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) :
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एक नई पहल है, जिसका उद्देश्य 0 से 18 वर्ष बच्चों में चार प्रकार की परेशानियों की जांच करना है। इन परेशानियों में जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट की जांच शामिल है। बाल स्वास्थ्य स्क्रीनिंग और प्रारंभिक हस्तक्षेप सेवाओं की परिकल्पना तीस चयनित स्वास्थ्य स्थितियों (उनमें से डाउन सिंड्रोम एक है) की स्क्रीनिंग/जांच, शीघ्र रोग की पहचान और निशुल्क प्रबंधन के लिए की गयी है।
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