▪️ तिथि : 21 मार्च
विश्व कठपुतली दिवस (World Puppetry Day) प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। 'कठपुतली' का खेल अत्यंत प्राचीन नाटकीय खेल है, जो समस्त सभ्य संसार में प्रशांत महासागर के पश्चिमी तट से पूर्वी तट तक-व्यापक रूप प्रचलित रहा है।
▪️ शुरुआत :
कठपुतली का इतिहास बहुत ही पुराना है यह रंगमंच पर खेले जाने वाले प्राचीनतम खेलों में से एक है। इस दिवस को मनाने का विचार ईरान के कठपुतली प्रस्तोता जावेद जोलपाघरी के मन में आया था, वर्ष 2000 में माग्डेबुर्ग में 18वीं Union Internationale de la Marionnette, (UNIMA) सम्मेलन के दौरान दादी पुदुमजी के प्रस्ताव पर आधिकारिक तारीख "21 मार्च" को 2002 में अटलांटा में UNIMA काउंसिल की बैठक में प्रस्तुत किया गया था। काउंसिल द्वारा सहर्ष स्वीकार कर लिया गया प्रथम बार इसे वर्ष 2003 में नई दिल्ली में मनाया गया।
▪️ कठपुतली कला :
भारत में पारंपरिक पुतली नाटकों की कथावस्तु में पौराणिक साहित्य, लोककथाएँ और किवदंतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। पहले अमर सिंह राठौड़, पृथ्वीराज, हीर-रांझा, लैला-मजनूं और शीरीं-फ़रहाद की कथाएँ ही कठपुतली खेल में दिखाई जाती थीं।
कुछ समय पहले तक लोग कठपुतली कला को केवल मनोरंजन का एक साधन मानते थे, परंतु अब यह कला करियर का रूप लेती जा रही है। अब यह मनमोहक कला भारत के साथ-साथ विदेशों में भी लोकप्रिय होती जा रही है। कठपुतली का खेल दिखाने वाले को कठपुतली कलाकार या पपेटियर कहते हैं। वर्तमान में कठपुतली शो टेलीविजन एवं फिल्मों में काफ़ी लोकप्रिय हो रहे हैं जैसे एनडीटीवी का पपेट शो 'गुस्ताखी माफ' तथा स्टार वन के लाफ्टर शो का रेंचो आदि।
▪️ विशेष :
UNIMA (यूनियन इंटरनेशनेल डी ला मैरियोनेट (Union Internationale de la Marionnette) - इंटरनेशनल पपेट्री एसोसिएशन) की स्थापना 1929 में प्राग में की गई थी (तत्कालीन चेकोस्लोवाक पत्रिका Loutkar वर्ष 1929-1930 में UNIMA की पहली आधिकारिक पत्रिका थी)। 1981 में, फ्रांसीसी कठपुतली जैक्स फेलिक्स ने 1972 से यूएनआईएमए के मुख्यालय को चारलेविले-मेज़िएरेस, फ्रांस, फेस्टिवल मोंडियल डेस थियेट्रेस डी मैरियननेट्स में स्थानांतरित कर दिया। UNIMA यूनेस्को से संबद्ध है और यह अंतर्राष्ट्रीय थिएटर संस्थान का सदस्य है।
🪦 स्थापना : वर्ष 1929
🤔 विश्व कठपुतली दिवस कब मनाया जाता है?
दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को ‘विश्व कठपुतली दिवस’ मनाया जाता है। दुनियाभर में कठपुतली दिवस पर अनेक प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन किये जाते है।
⌛️ विश्व कठपुतली दिवस का इतिहास :
विश्व कठपुतली दिवस की शुरूआत 21 मार्च 2003 को फ्रांस में की गई थी। इस दिवस को मनाने का विचार ईरान के कठपुतली प्रस्तोता जावेद जोलपाघरी के मन में आया था वर्ष 2000 में माग्डेबुर्ग में 18वीं यूनआईएमए सम्मेलन के दौरान यह प्रस्ताव विचार के हेतु रखा गया, 2 वर्षों पश्चात इसे वर्ष 2002 के जून माह में अटलांटा में काउंसिल द्वारा सहर्ष स्वीकार कर लिया गया था। प्रथम बार इसे वर्ष 2003 में मनाया गया, तब से यह दिवस भारत सहित विश्व के अन्य सभी देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
कठपुतली का इतिहास बहुत पुराना है। ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में पाणिनी की अष्टाध्यायी में नटसूत्र में पुतला नाटक का उल्लेख मिलता है। कुछ लोग कठपुतली के जन्म को लेकर पौराणिक आख्यान का ज़िक्र करते हैं कि शिवजी ने काठ की मूर्ति में प्रवेश कर पार्वती का मन बहलाकर इस कला की शुरुआत की थी। कहानी ‘सिंहासन बत्तीसी’ में भी विक्रमादित्य के सिंहासन की बत्तीस पुतलियों का उल्लेख है। सतवध्दर्धन काल में भारत से पूर्वी एशिया के देशों इंडोनेशिया, थाईलैंड, म्यांमार, जावा, श्रीलंका आदि में इसका विस्तार हुआ। आज यह कला चीन, रूस, रूमानिया, इंग्लैंड, चेकोस्लोवाकिया, अमेरिका व जापान आदि अनेक देशों में पहुंच चुकी है। इन देशों में इस विधा का सम-सामयिक प्रयोग कर इसे बहुआयामी रूप प्रदान किया गया है। वहां कठपुतली मनोरंजन के अलावा शिक्षा, विज्ञापन आदि अनेक क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
✍ विश्व कठपुतली दिवस का उद्देश्य :
इस दिवस का उद्देश्य प्राचीन लोक कला को जन-जन तक पहुंचना तथा आने वाली पीढ़ी को इससे अवगत करना है, क्योंकि कठपुतली कला सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है बल्कि लोगों को जागरुक करने का एक सशक्त माध्यम भी है।
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