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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

वस्तुनिष्ठ प्रश्न : हिन्दी

UGC NET हिंदी व्याकरण एवं उनसे जुड़े तथ्य  💐❣

1. स्वयं प्रकाश का जन्म कहां हुआ था?
(A) इलाहाबाद
(B) इंदौर
(C) सियालकोट
(D) दिल्ली

 Explanation : स्वयं प्रकाश का जन्म 20 जनवरी, 1947 को मध्य प्रदेश के इंदौर नामक शहर में हुआ। यं प्रकाश जी एक सशक्त उपन्यासकार तथा कहानीकार हैं। अब तक उनके तेरह कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें 'सूरज कब निकलेगा', 'आएँगे अच्छे दिन भी' तथा 'आदमी जात का आदमी' बहुचर्चित हैं। इनकी कहानियों का अनुवाद रूसी भाषा में भी हुआ है। उनके विनय और ईंधन उपन्यास भी अत्यंत लोकप्रिय हैं। हमसफ़रनामा' इनके रेखाचित्रों का संकलन है।

2. सुदर्शन का जन्म कहां हुआ था?
(A) इलाहाबाद
(B) सियालकोट
(C) काठमांडू
(D) दिल्ली

Explanation : सुदर्शन का जन्म सियालकोट (वर्तमान पाकिस्तान) में 1895 में हुआ था। इन्होंने उर्दू में प्रकाशित होने वाले दैनिक पत्र ‘आर्य-गजट' के संपादक के रूप में कार्य किया। मुंबई में 16 दिसंबर, 1967 को इनका निधन हो गया। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी था। इनकी पहली कहानी 'हार की जीत' थी, जो सन् 1920 में 'सरस्वती' में प्रकाशित हुई थी। 'पुष्पलता', 'सुप्रभात', 'सुदर्शन सुधा', 'पनघट' इनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह तथा परिवर्तन', भागवंती', 'राजकुमार सागर' प्रसिद्ध उपन्यास हैं। सुदर्शन की भाषा सहज, स्वाभाविक, प्रभावी तथा मुहावरेदार है। सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों में महारत हासिल थी। आपने अनेक फ़िल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे।

3. हार की जीत कहानी के लेखक कौन है?
(A) डॉ विजय सोनकर शास्त्री
(B) सुदर्शन
(C) श्रीमती मन्नू भंडारी
(D) धर्मवीर भारती

Explanation : हार की जीत कहानी के लेखक सुदर्शन है। सुदर्शन प्रेमचंद परम्परा के कहानीकार हैं। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी है। इनकी पहली कहानी 'हार की जीत' थी, जो सन् 1920 में 'सरस्वती' में प्रकाशित हुई थी। 'पुष्पलता', 'सुप्रभात', 'सुदर्शन सुधा', 'पनघट' इनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह तथा परिवर्तन', भागवंती', 'राजकुमार सागर' प्रसिद्ध उपन्यास हैं। सुदर्शन की भाषा सहज, स्वाभाविक, प्रभावी तथा मुहावरेदार है। सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों में महारत हासिल थी। आपने अनेक फ़िल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे।
 
4. सुदर्शन की पहली कहानी कौन सी है?
(A) पुष्पलता
(B) सुदर्शन सुधा
(C) हार की जीत
(D) सुप्रभात

Explanation : सुदर्शन की पहली कहानी 'हार की जीत' है, जो सन् 1920 में 'सरस्वती' में प्रकाशित हुई थी। 'पुष्पलता', 'सुप्रभात', 'सुदर्शन सुधा', 'पनघट' इनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह तथा परिवर्तन', भागवंती', 'राजकुमार सागर' प्रसिद्ध उपन्यास हैं। सुदर्शन की भाषा सहज, स्वाभाविक, प्रभावी तथा मुहावरेदार है। सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों में महारत हासिल थी। आपने अनेक फ़िल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे।

5. सुदर्शन ने किस लेखक की लेखन परंपरा को आगे बढ़ाया है?
(A) गोस्वामी तुलसीदास
(B) सूर्यकांत त्रिपाठी
(C) मुंशी प्रेमचंद
(D) सूरदास

Explanation : सुदर्शन ने मुंशी प्रेमचंद लेखक की लेखन परंपरा को आगे बढ़ाया है। सुदर्शन प्रेमचंद परम्परा के कहानीकार हैं। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी है। सुदर्शन जी का वास्तविक नाम बदरीनाथ था। इनका जन्म सियालकोट (वर्तमान पाकिस्तान) में सन् 1895 में हुआ था। इन्होंने उर्दू में प्रकाशित होने वाले दैनिक पत्र ‘आर्य-गजट' के संपादक के रूप में कार्य किया। मुंबई में 16 दिसंबर, 1967 को इनका निधन हो गया।

6. फिल्म ‘रजनीगंधा’ लेखिका मन्नू भंडारी की किस रचना पर आधारित है?
(A) एक इंच मुस्कान
(B) आँखों देखा झूठ
(C) यही सच है
(D) महाभोज

Explanation : फिल्म 'रजनीगंधा' लेखिका मन्नू भंडारी की 'यही सच है' रचना पर आधारित है। इस फ़िल्म को 1974 की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार प्राप्त हुआ। श्रीमती मन्नू भंडारी को हिंदी अकादमी दिल्ली का 'शिखर सम्मान', राजस्थान संगीत नाटक अकादमी 'व्यास सम्मान' से विभूषित किया गया तथा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत किया गया। मन्नू भंडारी हिन्दी की लोकप्रिय कथाकारों में से हैं। नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उद्घाटित करने वाले उनके उपन्यास महाभोज (1979) पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था।

7. मन्नू भंडारी का जन्म कब हुआ था?
(A) डॉ विजय सोनकर शास्त्री
(B) गणेश शंकर विद्या​र्थी
(C) 3 अप्रैल 1931
(D) धर्मवीर भारती

Explanation : मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को मध्य प्रदेश में मंडसौर जिले के भानपुरा नामक ग्राम में हुआ था। इनका बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर में हुई। काशी हिंदु विश्वविद्यालय से आपने हिंदी में एम.ए. करने के बाद यह कलकता में अध्यापन कार्य करने लगी। कुछ समय बाद आपकी नियुक्ति दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापिका के पद पर हो गई। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं–'एक प्लेट सैलाब', 'मैं हार गई', 'तीन निगाहों की एक तस्वीर', 'यही सच है', 'त्रिशंकु', 'आँखों देखा झूठ'-कहानी संग्रह; 'आपका बंटी', 'एक इंच मुसकान', 'महाभोज'-उपन्यास तथा 'बिना दीवारों का घर'-नाटक हैं।

8. एक इंच मुस्कान किसकी रचना है?
(A) डॉ विजय सोनकर शास्त्री
(B) गणेश शंकर विद्या​र्थी
(C) श्रीमती मन्नू भंडारी
(D) धर्मवीर भारती

Explanation : एक इंच मुस्कान श्रीमती मन्नू भंडारी की रचना है। इनकी प्रमुख रचनाऐं हैं– 'एक प्लेट सैलाब', 'मैं हार गई', 'तीन निगाहों की एक तस्वीर', 'यही सच है', 'त्रिशंकु', 'आँखों देखा झूठ'-कहानी संग्रह; 'आपका बंटी', 'महाभोज'- पन्यास और 'बिना दीवारों का घर'-नाटक। मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल, 1931 ई. को मध्य प्रदेश में मंडसौर जिले के भानपुरा नामक ग्राम में हुआ। इनका बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था।

9. शिक्षा का उद्देश्य निबंध के लेखक कौन है?
(A) डॉ विजय सोनकर शास्त्री
(B) गणेश शंकर विद्या​र्थी
(C) डॉ. संपूर्णानंद
(D) धर्मवीर भारती

Explanation : शिक्षा का उद्देश्य निबंध के लेखक डॉ. संपूर्णानंद है। इनका जन्म 1890 ई. में काशी के एक संभ्रात कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम विजयानंद था। संपूर्णानंद ने वाराणसी से बी.एस-सी. तथा इलाहाबाद से एल.टी. की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। इन्होंने सर्वप्रथम प्रेम विद्यालय, वृन्दावन में अध्यापक तथा बाद में डूंगर कॉलेज, डूंगर में प्रधानाचार्य के पद पर कार्य किया। सन् 1921 ई. में ये राष्ट्रीय आंदोलन से प्रेरित होकर काशी में ‘ज्ञानमंडल’ में कार्य करने लगे। इन्होंने हिंदी की ‘मर्यादा’ मासिक पत्रिका तथा ‘टुडे’ अंग्रेजी दैनिक का संपादन किया और काशी नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष तथा संरक्षक भी रहे। वाराणसी में स्थित सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इनकी ही देन है।

10. लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) श्लेष अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए में उत्प्रेक्षा अलंकार है। इस पंक्ति में लट-लटकनि उपमेय और मधुपगन उपमान है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है.
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