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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

हिंदी भाषा एवं साहित्य से जुड़े तथ्य।।

📖 वस्तुनिष्ठ प्रश्न 💐❣ UGC NET ❣💐

Q. भूतकाल के कितने भेद होते हैं?
(A) पांच भेद
(B) छः भेद
(C) सात भेद
(D) नौ भेद

✅ Answer : छः भेद

Explanation : भूतकाल के छः भेद होते हैं– 
1. सामान्य भूत, 
2. आसन्न भूत, 
3. पूर्ण भूत, 
4. अपूर्ण भूत, 
5. संदिग्ध भूत और 
6. हेतुहेतुमद् भूत 

1. सामान्य भूत – सामान्य भूतकाल में साधारण रूप से क्रिया के हो चुकने का ज्ञान होता है। यह नहीं जाना जा सकता है कि क्रिया को समाप्त हुए थोड़ी देर हुई है या अधिक। जैसे–गाड़ी आई पानी बरसा।

2. आसन्न भूत – इस काल में यह स्पष्ट होता है कि कार्य निकट भूत में, अथवा अभी-अभी पूरा हुआ है। जैसे–मैंने पढ़ा है। राकेश ने पुस्तक पढ़ ली है, उसने भोजन कर लिया है।

3. पूर्ण भूत – इस काल से यह ध्वनित होता है कि कार्य को समाप्त हुए बहुत समय व्यतीत हो चुका है। इसमें कार्य निश्चित अवधि से पूर्व समाप्त हो जाता है। जैसे–वह पुस्तक पढ़ चुका था।

4. अपूर्ण भूत – इस काल से यह ज्ञात होता है कि कार्य भूतकाल में आरंभ किया गया था, किंतु वह समाप्त नहीं हुआ था। जैसे–राकेश पुस्तक पढ़ रहा था।

5. संदिग्ध भूत – जिससे कार्य के भूतकाल में होने का संदेह हो। जैसे–उसने पुस्तक पढ़ी होगी।

6. हेतुहेतुमद् भूत – यह क्रिया का वह रूप है जिसमें भूतकाल में होने वाली क्रिया का होना किसी दूसरी क्रिया के होने पर निर्भर हो। जैसे– यदि स्टेशन ठीस समय से पहुँच जाता तो गाड़ी न छूटती। यदि पानी बरस जाता तो फसल न सूखती।

Q. भविष्य काल के कितने भेद होते हैं?
(A) दो भेद
(B) तीन भेद
(C) चार भेद
(D) पांच भेद

✅ Answer : तीन भेद

Explanation : भविष्य काल के तीन भेद होते हैं– 
1. सामान्य भविष्य, 
2. संभाव्य भविष्य और 
3. हेतुहेतुमद् भविष्य। 

1. सामान्य भविष्य – जहाँ साधारण रूप में भविष्यत्काल में कार्य का होना पाया जाए। जैसे – सुरेश खाना खायेगा। कल वर्षा होगी।

2. संभाव्य भविष्यत् – जिसमें भविष्यत् काल में कार्य के होने में संदेह या संभावना हो। जैसे – संभव है आज धूप निकले। आज वह आ सकता है।

3. हेतुहेतुमद्भविष्य – इसमें एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया के होने पर निर्भर करता है। जैसे – वह आये तो मैं जाऊँ, जो बोये सो काटे।

Q. भारत (Bharat) का पर्यायवाची शब्द क्या होगा?
(A) भारतखंड
(B) हिंदुस्तान
(C) भारतवर्ष
(D) उपयुक्त सभी

✅ Answer : उपयुक्त सभी
भारत (Bharat) का पर्यायवाची शब्द होगा – इंडिया, भारतवर्ष, भारतखंड, भरतखंड, हिंद, हिंदुस्तान, हिंदुस्तां, आर्यावर्त आदि। 
किसी शब्द के समान अथवा लगभग समान अर्थ का बोध कराने वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं। चूंकि पर्यायवाची शब्दों के अर्थ में समानता होती है, लेकिन प्रत्येक शब्द की अपनी विशेषता होती है और भाव में एक-दूसरे से किंचित भिन्न होते हैं। जैसे पर्यायवाची शब्द फूल, पुष्प, सुमन, कुसुम, मंजरी, प्रसून इत्यादि। पर्यायवाची शब्दों को ‘प्रतिशब्द’ या ‘समानार्थी शब्द’ भी कहते हैं। पर्यायवाची शब्द किसी भी भाषा की सबलता के प्रतीक हैं जिस भाषा में जितने ही अधिक पर्यायवाची शब्द होंगे वह भाषा उतनी ही अधिक समृद्ध होगी। इस दृष्टिकोण से हिन्दी सम्पन्न भाषा है।

Q. ब्रजभाषा गद्य का सूत्रपात कब हुआ?
(A) संवत् 1200
(B) संवत् 1300
(C) संवत् 1400
(D) संवत् 1500

✅ Answer : संवत् 1400

Explanation : ब्रजभाषा गद्य का सूत्रपात संवत् 1400 के करीब हुआ। कृष्ण-भक्तिधारा के कवियों तथा भक्तों ने उसके विकास और संवर्द्धन में विशेष योग दिया। सत्रहवीं शताब्दी तक की लिखी हुई जो रचनाएँ उपलब्ध हैं, उनमें गोस्वामी विट्ठलनाथ का श्रृंगार रस-मंडन', गोकुलनाथजी के 'चौरासी वैष्णवन की वार्ता' और 'दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता', नाभादासजी का 'अष्टयाम', बैकुंठमणि शुक्ल के 'अगहन-माहात्म्य' और 'वैशाख-माहात्म्य' तथा लल्लूलाल कृत 'माधव-विलास' विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। 

ब्रजभाषा बोली का प्रभाव क्षेत्र भरतपुर, धौलपुर, मथुरा, अलीगढ़, आगरा, एटा, मैनपुरी, बुलंदशहर, ग्वालियर तथा बदायूँ, बरेली, नैनीताल, की तराई में फैला है। विस्तृत क्षेत्र के कारण स्थानीय प्रभाव के अंतर्गत इसकी कई उपबोलियाँ विकसित हो गई। धौलपुर और पूर्वी जयपुर की बोली डांगी; एटा, मैनपुरी, बदायूँ, बरेली जिलों की बोली, अंतर्वेदी तथा नैनीताल को बोली भूक्सा उपबोलियों के उदाहरण हैं। मथुरा, अलीगढ़ तथा आगरा की बोली ही आदर्श ब्रजभाषा है। ब्रजभाषी लोगों की संख्या दो करोड़ से अधिक है। ब्रजभाषा के प्रचुर साहित्य में सूरदास, बिहारी, भूषण, मतिराम, चिंतामणि, पद्माकर, भारतेंदु तथा जगन्नाथदास रत्नाकर के नाम प्रमुख हैं।

◾️ सहसा विदधीत न क्रियाम् किस सूक्ति में युक्त रचना है?
(A) शिशुपालवधम्
(B) किरातार्जुनीयम्
(C) नैषधीय चरितम्
(D) कुमार सम्भवं

✅ Answer : कुमार सम्भवं

Explanation : 'सहंसा विदधीत ने क्रियाम्' इस सूक्ति से युक्त रचना भारवि की 'किरातार्जुनीयम्' है। यह भारवि का अति प्रिय श्लोक था तथा उसे अपने शयन-कक्ष में लगा रखे थे। किसी समय पत्नी की आवश्यकता के लिए उन्हें एक वणिक से कुछ ऋण लेना पड़ा और धरोहर के रूप में उन्होंने सहसा विदधीत न क्रियाम् श्लोक रख दिया। उनका वास्तविक नाम दामोदर था और 'भारवी' उनकी उपाधि थी।

◾️ प्रगतिवाद के जन्म में किसका योगदान है?
(A) छायावादी रोमानियम एवं पलायनवादी प्रवृत्ति
(B) प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना
(C) मार्क्सवादी प्रभाव
(D) उपर्युक्त सभी

✅ Answer : उपर्युक्त सभी

Explanation : प्रगतिवाद के जन्म में छायावादी रोमानियम एवं पलायनवादी प्रवृत्ति, प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना और मार्क्सवादी प्रभाव इन सभी का योगदान है अर्थात् छायावादी रोमानियत एवं पलायनवादी प्रवृति ने भी प्रगतिवाद के जन्म में योगदान दिया। 1936 में सज्जाद जहीर और डॉ. मुल्कराज आनंद के प्रयास से प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना हो चुकी थी तथा प्रगतिवाद मार्क्सवादी दर्शन के आलोक में सामाजिक चेतना और भावबोध को अपना लक्ष्य बनाकर चला। 

◼️ कलम का सिपाही किसकी रचना है?
(A) प्रेमचंद
(B) विष्णु प्रभाकर
(C) अमृत राय 
(D) रामविलास शर्मा

✅ Answer : अमृत राय
Explanation : कलम का सिपाही अमृत राय की रचना है। 'कलम का सिपाही' प्रेमचंद की जीवनी है। अमृतराय का जन्म 1921 में वाराणसी में हुआ था। वह एक प्रसिद्ध उपन्यासकार, निबंधकार, समीक्षक तथा अनुवादक थे। वे प्रेमचंद के छोटे पुत्र थे। पिता की तरह अमृतराय मूलतः कहानीकार व उपन्यासकार थे। प्रेमचंद की जीवनी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया था। नाट्य-लेखन में भी सक्रिय रहे। अंग्रेज़ी, बंगला और हिन्दी पर अमृतराय को समान अधिकार प्राप्त था। उनका निधन इलाहाबाद में 14 अगस्त, 1996 को हुआ।

◾️ किरातार्जुनीयम् के प्रत्येक सर्ग का अंतिम पद क्या है?
(A) लक्ष्मी
(B) विभु
(C) शिव
(D) श्री

✅ Answer : लक्ष्मी
Explanation : 'किरातार्जुनीयम्' के प्रत्येक सर्ग का अंतिम पद 'लक्ष्मी' है। महाकवि भारवि संस्कृत साहित्य के देदीप्यामनरत्नों में से एक हैं। उनका महाकाव्य वृहत्रयी का प्रथम रत्न है। वस्तुत: भारवि संस्कृत-काव्यों में रीति-शैली के जन्मदाता हैं। उनके ग्रंथ के आरंभ में 'श्री' शब्द तथा सर्गान्त श्लोकों में 'लक्ष्मी' शब्द का प्रयोग उनकी प्रमुख विशेषता है। माघ ने 'शिशुपाल वध' में इसी शैली का अनुकरण किया है।

◼️ ठेठ हिंदी में उपन्यास लिखने वाले कौन है?
(A) निराला
(B) प्रेमचंद
(C) प्रसाद
(D) हरिऔध

✅ Answer : हरिऔध
Explanation : ठेठ हिंदी में उपन्यास लिखने वाले अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' जी हैं। इनके प्रसिद्ध उपन्यास ठेठ हिंदी का ठाठ (1899) तथा अधखिला फूल (1907) हैं। उपन्यासकार के रूप में प्रसाद की असफलता का प्रमुख कारण यह है कि उनकी भाषा बिल्कुल ही उपन्यासोचित नहीं है। प्रेमचंद के उपन्यासों की भाषा की खूबी यह है कि शब्दों के चुनाव तथा वाक्य-योजना की दृष्टि से उसे सरल और 'बोलचाल की भाषा' कहा जा सकता है। निराला ने जयशंकर प्रसाद की शैली का अनुकरण किया है।

■ सतसई काव्य-परंपरा को आगे बढ़ाने कौन है?
(A) गयाप्रसाद शुक्ल स्नेही
(B) अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
(C) वियोगी हरि
(D) अनूप शर्मा

✅ Answer : वियोगी हरि
Explanation : सतसई काव्य-परंपरा को आगे बढ़ाने वाले श्री वियोगि हरि जी हैं। ब्रजभूमि, ब्रजभाषा और ब्रजपति के वे अनन्य उपासक हैं। वियोगी हरि जी ने 'वीर सतसई' नामक एक बड़ा काव्य दोहों में लिखा है जिसमें भारत के प्रसिद्ध वीरों की प्रशस्तियाँ हैं। इनकी अन्य प्रमुख रचनाएँ हैं-प्रेतशतक, प्रेम पथिक, प्रेमांजलि, चरखे की गूंज, चरखा स्रोत, असहयोग वीणा आदि हैं।

■ मात्रा की दृष्टि से दोहा के ठीक विपरीत क्या होता है?
(A) रोला
(B) छप्पय
(C) चौपाई
(D) सोरठा

✅ Answer : सोरठा
Explanation : मात्रा की दृष्टि से दोहा के ठीक विपरीत सोरठा होता है। सोरठा (चार चरण-11, 13, 11, 13 मात्राएँ) के पहले और तीसरे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं। जबकि दोहा (चार चरण-13, 11, 13, 11 मात्राएँ) के विषम चरणों में 13 और समचरणों में 11 मात्राएँ होती हैं। रोला के प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं। चौपाई के प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं तथा छप्पय जो कि मात्रिक विषम और संयुक्त छन्द है में 6 चरण, प्रथम 4 चरण रोला के तथा शेष दो चरण उल्लाला के होते हैं।

■ रामधारी सिंह दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार किस रचना पर मिला?
(A) उर्वशी
(B) कुरुक्षेत्र
(C) सामधेनी
(D) हुंकार

✅ Answer : उर्वशी
Explanation : रामधारी सिंह दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार उर्वशी रचना पर मिला था। 'उर्वशी' दिनकर की नवीनतम प्रबंध कृति है जो ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित है। इसमें कवि ने उर्वशी एवं पुरुवरा के प्राचीन आख्यान को एक नये अर्थ से जोड़ना चाहा है। 'उर्वशी' प्रेम और सौन्दर्य का काव्य है। दिनकर की प्रमुख कृतियाँ हैं-बारदोली विजय, प्रणभंग, रेणुका, हुँकार, रसवंती, कुरूक्षेत्र, रश्मिरथी, नील कुसुम, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, कोयला और कवित्व, मृत्तितिलक, हारे का हरिनाम, सीपी और शंख, आत्मा की आँखें (दोनों अनुदित) रश्मिलोक (कविता संकलन), संस्कृत के चार अध्याय तथा शुद्ध कविता की खोज (दोनों गद्य रचनाएँ), बुद्धदेव, कला तीर्थ, कलिंग विजय, हिमालय का संदेश (चारों कविताएँ हैं) आदि।

■ ‘आवारा मसीहा’ किसकी जीवनी से संबंधित है?
(A) शरतचंद्र
(B) बंकिमचंद्र
(C) अमृतलाल नागर
(D) विमल मित्र

✅ Answer : शरतचंद्र
Explanation : 'आवारा मसीहा' उपन्यासकार शरतचंद्र की जीवनी से संबंधित है। इसके लेखक विष्णु प्रभाकर हैं। अन्य साहित्यकारों की प्रशंसित जीवनियों में प्रेमचन्दाधारित 'कलम का सिपाही' (अमृत राय), निराला पर (रामविलास शर्मा कृत) 'निराला की साहित्य साधना', शांति जोशी कृत 'पंत की जीवनी' तथा भगवती प्रसाद सिंह द्वारा भगवती प्रसार सिंह प्रणीत कविनाथ गोपीराज की जीवनी 'मनीषी की लोकयात्रा' उक्त क्षेत्र का साहित्यिक श्रृंगार है।

■ नाखून क्यों बढ़ते हैं निबंध का क्या उद्देश्य है?
(A) सामाजिक बुराइयों से हार जाना
(B) हिंसा से ग्रसित होकर असभ्य बनना
(C) समाज के अपवाद
(D) हिंसा से मुक्त होकर सभ्य बनने का प्रयत्न

✅ Answer : हिंसा से मुक्त होकर सभ्य बनने का प्रयत्न
Explanation : नाखून क्यों बढ़ते हैं निबंध का उद्देश्य हिंसा से मुक्त होकर सभ्य बनने का प्रयत्न है। नाखून आदिम हिंसक मनोवृत्ति का प्रतीक है, इसे बार बार काट देना सभ्यता का प्रतीक है। जब मनुष्य के नाखून बार-बार बढते हैं और मनुष्य उन्हें बार-बार काट देता है तथा इस तरह वह सभ्य बनने का प्रयत्न करता है। इसी तरह मानव जीवन में आए दिन अनेक सामाजिक बुराइयों का सामना होता है। सभ्य समाज इसको नियंत्रित करने का प्रयत्न करता है, साधु-संत अपने उपदेशों द्वारा मानव की इन बुराइयों से दूर रहने के लिए सचेत करते रहते है। 'नाखून क्यों बढते है' हजारी प्रसाद द्विवेदी का प्रसिद्ध निबंध है। इनके अन्य प्रमुख निबन्ध हैं-अशोक के फूल, कल्पलता, आलोक पर्व, विचार और वितर्क, मध्यकालीन, धर्मसाधना, विचार प्रवाह तथा कुटज। सरलता के साथ व्यंग विनोद-प्रियता इनके निबन्धों की निजी विशेषता है।

■ मगही किस उपभाषा की बोली है?
(A) राजस्थानी
(B) पश्चिमी हिंदी
(C) पूर्वी हिंदी
(D) बिहारी

✅ Answer : बिहारी
Explanation : 'मगही' बिहारी उपभाषा की बोली है। बिहारी हिंदी की अन्य बोलियाँ भोजपुरी और मैथिली हैं। पश्चिमी हिंदी की बोलियाँ है-खड़ी बोली, हरियाणवी, ब्रजभाषा, बुन्देली तथा कन्नौजी। पूर्वी हिंदी की बोलियाँ हैं-अवधी, छत्तीसगढ़ी तथा बघेली जबकि राजस्थानी हिंदी की बोलियाँ हैं- मारवाड़ी, जयपुरी, मेवाती तथा मालवी।

■ आधुनिक एकांकी के जनक कौन माने जाते हैं?
(A) उदयशंकर भट्ट
(B) जयशंकर प्रसाद
(C) रामकुमार वर्मा
(D) जगदीशचंद्र माथुर

✅ Answer : रामकुमार वर्मा
Explanation : आधुनिक एकांकी के जनक रामकुमार वर्मा माने जाते है। हिंदी साहित्य का प्रथम एकांकी 1929 में प्रसाद कृत 'एक बूंट' माना जाता है। राम कुमार वर्मा आज के एकांकी के जन्मदाता हैं। इन्होंने ऐतिहासिक एवं सामाजिक एकांकी लिखे हैं और वे अधिकांश में दुखांत हैं। पृथ्वीराज की आँखे, रेशमी टाई, चारुमित्रा, सप्तकिरण एवं कौमुदी महोत्सव वर्मा की प्रसिद्ध एकाकियाँ हैं।

■ ‘उपसर्ग’ से संबंधित सूत्र कौन सा है?
(A) प्रादयः
(B) पर
(C) गतिश्च
(D) इनमें से कोई नहीं

✅ Answer : प्रादयः
Explanation : प्रादय:-यह उपसर्ग का सूत्र है । उपसर्ग को गतिसंज्ञक भी कहा जाता है। प्र, परा, अय, सम्, अनु, अव, मिस्, मिर्, दुस, दुर, वि, आङ, नि, अधि, अपि, अति, सु, उत्, अभि, प्रति, परि, उपये प्रादप या प्रदि कहलाते हैं । ये प्रादि जब क्रिया के साथ व्यवहत होते हैं तब इनकी उपसर्ग संज्ञा और गति संज्ञा होती है। कुछ उपसर्ग धातु के अर्थ को ही बदल देते हैं, जैसे-गच्छति (जाता है), आगच्छति (आता है)।

■ हंस पत्रिका के संस्थापक कौन थे?
(A) प्रेमचंद
(B) जयशंकर प्रसाद
(C) राजेंद्र यादव
(D) मार्कण्डेय

✅ Answer : प्रेमचंद
Explanation : 'हंस' पत्रिका के संपादक प्रेमचंद है। मुंशी प्रेमचंद द्वारा संपादित 'हंस' बनारस-1930 तत्कालीन साहित्यिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण माध्यम बनने में समर्थ हुआ। प्रकाशित होते ही 'हंस' समकालीन हिंदी-कथा-साहित्य का प्रतिनिधि पत्र बन गया। कथा-साहित्य के अतिरिक्त इसमें उच्च कोटि की कविताएँ, एकांकी, निबंध और आलोचनाएँ भी प्रकाशित होती थीं। प्रेमचंद की मृत्यु के बाद शिवदान सिंह चौहान, अमृतराव आदि ने 'हंस' का संपादन किया। इस युग का यह एक जागरूक मासिक पत्र था।

■ ग्वालियर की बोली कौन सी है?
(A) बुंदेली
(B) ब्रजभाषा
(C) खड़ी बोली
(D) कन्नौजी

✅ Answer : बुंदेली
Explanation : ग्वालियर की बोली 'बुंदेली' है। इसके अलावा यह बोली उत्तर प्रदेश के झाँसी, उरई, जालौन, हम्मीरपुर, बाँदा तथा मध्य प्रदेश में ओड़छा, पन्ना, दतिया, चरखारी, सागर, टीकमगढ़, दमोह, नृसिंहपुर, सिउनी, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, बालाघाट तथा भोपाल में बुन्देली बोली जाती है। ग्वालियर मध्य प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक एवं प्रमुख नगर है। यह शहर गुर्जर प्रतिहार राजवंश, तोमर तथा बघेल कछवाहों की राजधानी रहा है। इनके द्वारा छोड़े गये प्राचीन चिन्ह स्मारकों, किलों, महलों के रूप में मिल जाएंगे। वर्तमान में ग्वालियर एक आधुनिक शहर है और एक जाना-माना औद्योगिक केंद्र है। ग्वालियर को गालव ऋषि की तपोभूमि भी कहा जाता है।

◾️ रीति संप्रदाय से संबंधित काव्य शास्त्रीय ग्रंथ कौन सा है?
(A) काव्यालंकार सूत्र 
(B) काव्यालंकार
(C) काव्यालंकार सूत्रवृत्ति
(D) काव्यादर्श

✅ Answer : काव्यालंकार सूत्र
Explanation : रीति संप्रदाय से संबंधित काव्य शास्त्रीय ग्रंथ काव्यालंकार सूत्र है। रीति संप्रदाय-काव्यलंकार सूत्रकार आचार्य वामन रीति संप्रदायक प्रवर्तक हैं। उन्होंने रीति को काव्य की आत्मा स्वीकार किया है। 'रीतिरात्मा काव्यस्य' रीति क्या वस्तु है? वामन विशिष्ट पद रचना को रीति बताते हैं। रीति संप्रदाय को गुण संप्रदाय भी कहते हैं। वामन के पूर्व दंडी ने रीति का वर्णन किया है तथा दस गुणों को वैदर्भ मार्ग का प्राण बताया है-"इति वैदर्भ मार्गस्य प्राणादश गुण : स्मृतः।" वामन के पश्चात् कुंतक ने रीति का मार्ग की संज्ञा दी है और कवि प्रस्थान हेतु भी कहा है। आनंदवर्धन ने रीति को संघटना और राजशेखर ने वचन विन्यास क्रम की संज्ञा दी है। इस प्रकार रीति को काव्यशास्त्र का प्रमुख संप्रदाय माना जाता है।

◼️ मौर्य विजय किसकी रचना है?
(A) मैथिलीशरण गुप्त
(B) सियाराम शरण गुप्त
(C) श्याम नारायण पांडेय
(D) इनमें से कोई नहीं

✅ Answer : सियाराम शरण गुप्त
Explanation : मौर्य विजय सियाराम शरण गुप्त की रचना है। ये राष्ट्रीय कविता के गायक मैथिली शरण गुप्त के छोटे भाई हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-अनाथ, आर्द्रा, विषाद, पूर्वादल, पाथेय, मृण्मयी, बापू, उन्मुक्त, अकुल, नोआखाली में, जयहिन्द आत्मोत्सर्ग, दैनिकी, गोपिका, गोद और नारी, अंतिम आकांक्षा, मानुषी तथा पुण्यपर्व आदि। सियारामशरण गुप्त (Siyaram Sharan Gupt) का जन्म 4 सितंबर 1895 को हुआ था। गाँधीवाद से प्रभावित इन्हें एक कवि के रुप में विशेष ख्याति मिली। इनकी भाषा शैली सहज, सरल साहित्यिक खड़ीबोली हिंदी थी। इन्होंने व्यावहारिक शब्दावली का प्रयोग अपनी रचनाओं में किया है। लंबी बीमारी के चलते 29 मार्च 1963 को इनका निधन हो गया।

◾️ सरसी छंद में कितनी मात्राएँ होती है?
(A) 27 मात्राएँ, 16, 11 पर यति, अंत में लघु-गुरु
(B) 28 मात्राएँ, 16, 12 पर यति, अंत में लघु-गुरु
(C) 28 मात्राएँ, 16, 12 पर यति, अंत में गुरु-लघु
(D) 27 मात्राएँ, 16, 11 पर यति, अंत में गुरु-लघु

✅ Answer : 27 मात्राएँ, 16, 11 पर यति, अंत में गुरु-लघु
Explanation : सरसी छंद के प्रत्येक चरण में 27 मात्राएँ होती हैं। 16 और 11 पर यति होती है और अंत में गुरू-लघु होता है। पहली 16 मात्राओं की लय चौपाई की तरह तथा शेष 11 मात्राओं की लय दोहे के दूसरे चरण की तरह ही होती है। उदाहरण–
अंशुमालि के शुभागमन की बेला समझ समीप। नभी में बुझा चुके थे सुर भी अपने घर के दीप।।

◾️ वैशाली की नगरवधू के लेखक कौन है?
(A) वृंदावन लाल वर्मा
(B) आचार्य चतुरसेन शास्त्री
(C) इलाचंद्र जोशी
(D) यशपाल

✅ Answer : आचार्य चतुरसेन शास्त्री (Acharya Chatursen Shastri)
Explanation : वैशाली की नगरवधू उपन्यास के लेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री है। इनके अन्य प्रमुख उपन्यास हैं-वयं रक्षामः, सोमनाथ, आलमगीर, सोना और खून, रक्त की प्यास, आत्मदाह, अमर अभिलाषा, मन्दिर की नर्तकी, अपराजिता आदि। हालांकि उनके उपन्यासों में जो शोहरत 'वैशाली की नगरवधू', 'वयं रक्षामः' और 'सोमनाथ' को मिली, वह अन्य को हासिल नहीं है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त, 1891 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के चंदोख में हुआ था। उन्होंने 32 उपन्यास लिखे। इनके अलावा लगभग साढ़े चार सौ कहानियां लिखीं। उनके जीवनकाल में ही उनकी प्रकाशित रचनाओं की संख्या 186 हो चुकी थी जो अपने आपमें एक ​कीर्तिमान था। 2 फरवरी, 1960 को जब उनका देहांत हुआ।

◾️ दूसरी परंपरा की खोज के लेखक कौन है?
(A) रामविलास शर्मा
(B) शिवदास सिंह चौहान
(C) नामवर सिंह
(D) देवीशंकर अवस्थी

✅ Answer : नामवर सिंह
Explanation : 'दूसरी परंपरा की खोज' के लेखक डॉ. नामवर सिंह हैं। ये मार्क्सवाद के समर्थक होते हुए भी रामविलास शर्मा की तरह मार्क्सवादी आलोचक नहीं हैं। इनके अन्य प्रमुख ग्रंथ हैं-कहानी और नयी कहानी, छायावाद, कविता के नए प्रतिमान, इतिहास और आलोचना तथा आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां। नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई, 1926 को बनारस जिले की चंदौली तहसील, जो अब जिला बन गया है, के जीयनपुर गांव में हुआ था। उन्होंने कविता से लेखकीय जीवन की शुरुआत 1941 में की। नामवर सिंह की पहली कविता बनारस की 'क्षत्रियमित्र’ पत्रिका में छपी। नामवर सिंह ने वर्ष 1949 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से बी.ए. और 1951 में वहीं से हिंदी में एम.ए. किया। वर्ष 1953 में वह बीएचयू में ही टेंपरेरी लेक्चरर बन गए।

◾️ सहसा विदधीत न क्रियाम् किस सूक्ति में युक्त रचना है?
(A) शिशुपालवधम्
(B) किरातार्जुनीयम्
(C) नैषधीय चरितम्
(D) कुमार सम्भवं

✅ Answer : कुमार सम्भवं
Explanation : 'सहंसा विदधीत ने क्रियाम्' इस सूक्ति से युक्त रचना भारवि की 'किरातार्जुनीयम्' है। यह भारवि का अति प्रिय श्लोक था तथा उसे अपने शयन-कक्ष में लगा रखे थे। किसी समय पत्नी की आवश्यकता के लिए उन्हें एक वणिक से कुछ ऋण लेना पड़ा और धरोहर के रूप में उन्होंने सहसा विदधीत न क्रियाम् श्लोक रख दिया। उनका वास्तविक नाम दामोदर था और 'भारवी' उनकी उपाधि थी।

◾️ प्रगतिवाद के जन्म में किसका योगदान है?
(A) छायावादी रोमानियम एवं पलायनवादी प्रवृत्ति
(B) प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना
(C) मार्क्सवादी प्रभाव
(D) उपर्युक्त सभी

✅ Answer : उपर्युक्त सभी
Explanation : प्रगतिवाद के जन्म में छायावादी रोमानियम एवं पलायनवादी प्रवृत्ति, प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना और मार्क्सवादी प्रभाव इन सभी का योगदान है अर्थात् छायावादी रोमानियत एवं पलायनवादी प्रवृति ने भी प्रगतिवाद के जन्म में योगदान दिया। 1936 में सज्जाद जहीर और डॉ. मुल्कराज आनंद के प्रयास से प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना हो चुकी थी तथा प्रगतिवाद मार्क्सवादी दर्शन के आलोक में सामाजिक चेतना और भावबोध को अपना लक्ष्य बनाकर चला। 

◼️ कलम का सिपाही किसकी रचना है?
(A) प्रेमचंद
(B) विष्णु प्रभाकर
(C) अमृत राय 
(D) रामविलास शर्मा

✅ Answer : अमृत राय
Explanation : कलम का सिपाही अमृत राय की रचना है। 'कलम का सिपाही' प्रेमचंद की जीवनी है। अमृतराय का जन्म 1921 में वाराणसी में हुआ था। वह एक प्रसिद्ध उपन्यासकार, निबंधकार, समीक्षक तथा अनुवादक थे। वे प्रेमचंद के छोटे पुत्र थे। पिता की तरह अमृतराय मूलतः कहानीकार व उपन्यासकार थे। प्रेमचंद की जीवनी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया था। नाट्य-लेखन में भी सक्रिय रहे। अंग्रेज़ी, बंगला और हिन्दी पर अमृतराय को समान अधिकार प्राप्त था। उनका निधन इलाहाबाद में 14 अगस्त, 1996 को हुआ।

◾️ किरातार्जुनीयम् के प्रत्येक सर्ग का अंतिम पद क्या है?
(A) लक्ष्मी
(B) विभु
(C) शिव
(D) श्री

✅ Answer : लक्ष्मी
Explanation : 'किरातार्जुनीयम्' के प्रत्येक सर्ग का अंतिम पद 'लक्ष्मी' है। महाकवि भारवि संस्कृत साहित्य के देदीप्यामनरत्नों में से एक हैं। उनका महाकाव्य वृहत्रयी का प्रथम रत्न है। वस्तुत: भारवि संस्कृत-काव्यों में रीति-शैली के जन्मदाता हैं। उनके ग्रंथ के आरंभ में 'श्री' शब्द तथा सर्गान्त श्लोकों में 'लक्ष्मी' शब्द का प्रयोग उनकी प्रमुख विशेषता है। माघ ने 'शिशुपाल वध' में इसी शैली का अनुकरण किया है।

◼️ ठेठ हिंदी में उपन्यास लिखने वाले कौन है?
(A) निराला
(B) प्रेमचंद
(C) प्रसाद
(D) हरिऔध

✅ Answer : हरिऔध
Explanation : ठेठ हिंदी में उपन्यास लिखने वाले अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' जी हैं। इनके प्रसिद्ध उपन्यास ठेठ हिंदी का ठाठ (1899) तथा अधखिला फूल (1907) हैं। उपन्यासकार के रूप में प्रसाद की असफलता का प्रमुख कारण यह है कि उनकी भाषा बिल्कुल ही उपन्यासोचित नहीं है। प्रेमचंद के उपन्यासों की भाषा की खूबी यह है कि शब्दों के चुनाव तथा वाक्य-योजना की दृष्टि से उसे सरल और 'बोलचाल की भाषा' कहा जा सकता है। निराला ने जयशंकर प्रसाद की शैली का अनुकरण किया है।

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