मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में भारत की निम्नलिखित 13 अमूर्त विरासतें हैं ↴
➥ कुडियट्टम (संस्कृत नाट्यकला), 2008 में सम्मिलित ➞ यह केरल में चकयारों (हिन्दुओं की एक उप-जाति) द्वारा किया जाने वाला नृत्य एवं नाटक का समावेश है जिसमें वे पुरुष की भूमिका निभाते हैं।
➥ रामलीला, 2008 में सम्मिलित ➞ यह उत्तर प्रदेश क्षेत्र की लोकप्रिय लोक अभिनय कला है। इसमें दशहरे से पहले रामायण को गीतों, नृत्यों और संवादों के रूप अभिनीत किया जाता है।
➥ वेदपाठ की परम्परा ➠ 2008 में सम्मिलित ➞ वेदों की वाचिक परंपरा में वेद मंत्रों के पाठ अनेक प्रकार से किए जाते हैं।
➥ रम्मन ➠ 2009 में सम्मिलित ➞ यह एक धार्मिक उत्सव तथा गढ़वाल क्षेत्र की पारंपरिक रीतिगत नाट्यकला है। इसे उत्तराखण्ड के चमोली जिले में पैखंडा घाटी के सलूर डुंगरा-गांव में हिन्दू समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
➥ मुडियेट्टू ➠ 2010 में सम्मिलित ➞ मुडियेट्टू एक पारम्परिक रीतिगत नाट्य कला है जो केरल राज्य में सम्पन्न किया जाने वाला लोक नृत्य और नाटक है। यह देवी काली और दारिका राक्षस के बीच युद्ध की पौराणिक कथा को चित्रित करता है।
➥ कालबेलिया ➠ 2010 में सम्मिलित ➞ राजस्थान राज्य में कलबेलिया नाम की ही जनजाति द्वारा प्रदर्शित किए जाने वाले इस नृत्य का संचालन सर्प से मेल खाता है।
➥ छऊ ➠ 2010 में सम्मिलित ➞ यह एक जनजातीय युद्ध कला नृत्य है जिसे प्रमुख रूप से ओडिशा, झारखण्ड तथा पश्चिम बंगाल में प्रदर्शित किया जाता है। उत्पत्ति और विकास स्थान के आधार पर इस नृत्य की तीन उप – शैलियाँ हैं – पुरुलिया छऊ (पश्चिम बंगाल), सरायकेला छऊ (झारखंड) और मयूरभंज छऊ (ओडिशा)।
➥ लद्दाख का बौद्ध पाठ ➠ 2012 में सम्मिलित ➞ इसका संदर्भ ट्रांस-हिमालयी लद्दाख क्षेत्र में पवित्र बौद्ध ग्रन्थों के पाठ से है। लद्दाख में बौद्ध धर्म मुख्य रूप से दो उप-संप्रदायों महायान और वज्रयान से संबंधित है। मंत्रों का जाप नृत्य के साथ घर के भीतर या मठों के पुजारियों के साथ किया जाता है।
➥ संकीर्तन ➠ 2013 में सम्मिलित ➞ यह मणिपुर की रीतिगत गायन, ढोल वादन और नृत्य कला है। यह कला रूप मणिपुरी वैष्णवों के जीवन में धार्मिक अवसरों और विभिन्न अवस्थाओं को चिन्हित करने के लिए प्रदर्शित की जाती है।
☞ पंजाब में जडियाला गुरु के ठठेरों द्वारा पारम्परिक पीतल और ताम्बे के बर्तन बनाने की शिल्प को 2014 में सम्मिलित किया गया – यह एक मौखिक परम्परा है जिसे ठठेरा समुदाय पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता जा रहा है।
➥ नवरोज ➠ 2016 में सम्मिलित ➞ यह पारसियों के नववर्ष के आरम्भ को इंगित करता है तथा इसे कश्मीरी समुदाय द्वारा वसंत-उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। यह पर्यावरण के प्रति पारसी मत के सम्मान को प्रदर्शित करता है।
➥ योग ➠ 2016 में सम्मिलित ➞ इसमें एक व्यक्ति की आत्म-अनुभूति के निर्माण में सहायता के लिए मुद्राओं, ध्यान, नियंत्रित श्वास, शब्द जाप और अन्य तकनीकें सम्मिलित होती हैं। परम्परागत रूप से इसे गुरु-शिष्य परम्परा के माध्यम से आगे बढ़ाया गया है।
➥ कुंभ मेला ➠ 2017 सम्मिलित ➞ कुंभ मेला – पवित्र नदी में स्नान करने के लिए एक बड़े पैमाने पर हिंदू तीर्थस्थल है। यह चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है, प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन। उपरोक्त किसी भी स्थान पर, यह प्रत्येक 12 वर्षों के बाद आयोजित किया जाता है। नासिक और उज्जैन में इसे सिंहस्थ कहा जाता है। प्रयागराज और हरिद्वार में, कुंभ मेला हर 6 साल बाद भी आयोजित किया जाता है जिसे अर्ध कुंभ कहते हैं। प्रयागराज में कुंभ हरिद्वार में कुंभ के 3 साल बाद और नासिक और उज्जैन में कुंभ 3 साल पहले मनाया जाता है। वही नासिक और उज्जैन में कुंभ एक ही वर्ष या एक वर्ष के अंतराल पर मनाया जाता है।
REPRESENTATIVE LIST OF THE INTANGIBLE CULTURAL HERITAGE OF HUMANITY ↴
✍ India has the following 13 items in the Representative List of the Intangible Cultural Heritage of Humanity ↴
➥ Koodiyattam (Sanskrit theatre), included in 2008 ➞ It is a combined dance drama from Kerala conducted by the Chakyars (a sub-caste among Hindus) who play the male role traditionally. The women of the Ambalavasi Nambiar caste play the female roles.
➥ Ramlila, included in 2008 ➞ A popular folk theatre in the region of Uttar Pradesh, it is an enactment of Ramayana using songs, dances and dialogues, mainly during the period before Dussehra.
➥ The Tradition in Vedic Chanting, included in 2008 ➞ The oral tradition of the Vedas consists of several pathas, “recitations” or ways of chanting Vedic mantras.
➥ Ramman, included in 2009 ➞ A religious festival and ritual theatre of the Garhwal region, it is celebrated by the Hindu community in the Saloor-Dungra villages of the Painkhanda Valley in the Chamoli district of Uttarakhand.
➥ Mudiyettu, included in 2010 ➞ A traditional ritual theatre, Mudiyettu, is a folk dance and drama performed in the State of Kerala. It depicts the mythological tale of a battle between Goddess Kali and demon Darika.
➥ Kalbelia, included in 2010 ➞ Performed by the tribe of the same name in the State of Rajasthan, Kalbelia dance movements resembles that of a serpent.
➥ Chhau, included in 2010 ➞ It is a tribal martial art dance performed mainly in the States of Odisha, Jharkhand and West Bengal.
➥ Buddhist Chanting of Ladakh, included in 2012 ➞ It refers to the recitation of sacred Buddhist texts in the trans-Himalayan Ladakh region in the state of Jammu and Kashmir. They mainly relate two sub-sects of Buddhism Mahayana and Vajrayana.
➥ Sankirtana, included in 2013 ➞ It is a ritual singing, drumming and dancing art form of Manipur which originated in 15th century AD.
☞ Traditional Brass and Copper Craft of Utensil making among the Thathera Community of Jandiala Guru in Punjab, included in 2014 -This is an oral tradition that is passed on to generations of the ‘Thathera’ community.
➥ Nowrouz, included in 2016 ➞ It indicates the beginning of the New Year for the Parsis and is also celebrated as the Spring festival by the Kashmiri Community. It denotes Zoroastrian respect for the environment.
➥ Yoga, included in 2016 ➞ It consists of a series of poses, meditation, controlled breathing, word chanting and other techniques to help a person build self-realisation. Traditionally, it was taught through Guru-Shishya parampara.
➥ Kumbh Mela, included in 2017 ➞ Kumbh Mela – a mass Hindu pilgrimage to bathe in a sacred river. It is held at four places: Prayagraj, Haridwar, Nashik and Ujjain. At any of the above place, it is held after every 12 years. In Nashik and Ujjain it is called Simhastha. In Prayagraj and Haridwar, Kumbh mela held after every 6 years is called Ardha Kumbh. Kumbh at Prayagraj is celebrated 3 years after Kumbh at Haridwar and 3 years before Kumbh at Nashik and Ujjain. It is celebrated in the same year or one year apart in Nashik and Ujjain.
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