▪️अंग में अंग चुराना- (शरमाना)
▪️अंग-अंग फूले न समाना- (आनंदविभोर होना)
▪️अंगार बनना- (लाल होना, क्रोध करना)
▪️अंडे का शाहजादा- (अनुभवहीन)
▪️अठखेलियाँ सूझना- (दिल्लगी करना)
▪️अँधेरे मुँह- (प्रातः काल, तड़के)
▪️अड़ियल टट्टू- (रूक-रूक कर काम करना)
▪️अपना घर समझना- (बिना संकोच व्यवहार)
▪️अड़चन डालना- (बाधा उपस्थित करना)
▪️अरमान निकालना- (इच्छाएँ पूरी करना)
▪️अरण्य-चन्द्रिका- (निष्प्रयोजन पदार्थ)
▪️आँख भर आना (आँसू आना) - बेटी की विदाई पर माँ की आखें भर आयी।
▪️आँखों में बसना (हृदय में समाना) - वह इतना सुंदर है की उसका रूप मेरी आखों में बस गया है।
▪️आँखे खुलना (सचेत होना) - ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है।
▪️आँख का तारा - (बहुत प्यारा) - आज्ञाकारी बच्चा माँ-बाप की आँखों का तारा होता है।
▪️आँखे दिखाना (बहुत क्रोध करना) - राम से मैंने सच बातें कह दी, तो वह मुझे आँख दिखाने लगा।
▪️आसमान से बातें करना (बहुत ऊँचा होना) - आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी है, जो आसमान से बातें करती है।
▪️आँच न आने देना (जरा भी कष्ट या दोष न आने देना) - तुम निश्र्चिन्त रहो। तुमपर आँच न आने दूँगा।
▪️आठ-आठ आँसू रोना (बुरी तरह पछताना) - इस उमर में न पढ़ा, तो आठ-आठ आँसू न रोओ तो कहना।
▪️आसन डोलना (लुब्ध या विचलित होना) - धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाया करता है।
▪️आस्तीन का साँप (कपटी मित्र) - उससे सावधान रहो। आस्तीन का साँप है वह।
▪️आसमान टूट पड़ना (गजब का संकट पड़ना) - पाँच लोगों को खिलाने-पिलाने में ऐसा क्या आसमान टूट पड़ा कि तुम सारा घर सिर पर उठाये हो ?
▪️आकाश छूना (बहुत तरक्की करना) - राखी एक दिन अवश्य आकाश चूमेगी
▪️आकाश-पाताल एक करना (अत्यधिक उद्योग/परिश्रम करना) - सूरज ने इंजीनियर पास करने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया।
▪️आकाश-पाताल का अंतर होना (बहुत अधिक अंतर होना) - कहाँ मैं और कहाँ वह मूर्ख, हम दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है।
▪️आँच आना (हानि या कष्ट पहुँचना) - जब माँ साथ हैं तो बच्चे को भला कैसे आँच आएगी।
▪️आँचल पसारना (प्रार्थना करना या किसी से कुछ माँगना) - मैं ईश्वर से आँचल पसारकर यही माँगता हूँ कि तुम कक्षा में उत्तीर्ण हो जाओ।
▪️ख़ाक छानना (भटकना) - नौकरी की खोज में वह खाक छानता रहा।
▪️खून-पसीना एक करना (अधिक परिश्रम करना) - खून पसीना एक करके विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होते है।
▪️खरी-खोटी सुनाना (भला-बुरा कहना) - कितनी खरी-खोटी सुना चुका हुँ, मगर बेकहा माने तब तो ?
▪️खून खौलना (क्रोधित होना) - झूठ बातें सुनते ही मेरा खून खौलने लगता है।
▪️खून का प्यासा (जानी दुश्मन होना) - उसकी क्या बात कर रहे हो, वह तो मेरे खून का प्यासा हो गया है।
▪️खेत रहना या आना (वीरगति पाना) - पानीपत की तीसरी लड़ाई में इतने मराठे आये कि मराठा-भूमि जवानों से खाली हो गयी।
▪️खटाई में पड़ना (झमेले में पड़ना, रुक जाना) - बात तय थी, लेकिन ऐन मौके पर उसके मुकर जाने से सारा काम खटाई में पड़ गया।
▪️खेल खेलाना (परेशान करना) - खेल खेलाना छोड़ो और साफ-साफ कहो कि तुम्हारा इरादा क्या है।
▪️खटाई में डालना (किसी काम को लटकाना) - उसनेतो मेरा काम खटाई में डाल दिया। अब किसी और से कराना पड़ेगा।
▪️खबर लेना (सजा देना या किसी के विरुद्ध कार्यवाई करना) - उसने मेरा काम करने से इनकार किया हैं, मुझे उसकी खबर लेनी पड़ेगी।
▪️खाई से निकलकर खंदक में कूदना (एक परेशानी या मुसीबत से निकलकर दूसरी में जाना) - मुझे ज्ञात नहीं था कि मैं खाई से निकलकर खंदक में कूदने जा रहा हूँ।
▪️खाक फाँकना (मारा-मारा फिरना) - पहले तो उसने नौकरी छोड़ दी, अब नौकरी की तलाश में खाक फाँक रहा हैं।
▪️खाक में मिलना (सब कुछ नष्ट हो जाना) - बाढ़ आने पर उसका सब कुछ खाक में मिल गया।
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