✍ छंद : प्रमुखता से प्रयोग करने वाले कवि
💐तुलसी - दोहा, चौपाई
💐जायसी - दोहा, चौपाई
💐कबीर - दोहा
💐सुर - पद
💐बिहारी - दोहा
💐मैथिली शरण गुप्त - हरिगीतिका (परीक्षा में पूछा जा चुका है)
💐हरिऔध - वार्णिक एवम उर्दू शैली के चौपदे
💐नाथूराम शर्मा 'शंकर' - कवित्त
💐राय देवी प्रसाद 'पूर्ण' - कुंडलिया
💐सुमित्रानंदन पंत - रोला
महत्वपूर्ण तथ्य💐
💐ध्रुवदास किसके शिष्य थे- स्वामी हितहरिवंश
💐रसखान ने किस ग्रन्थ में अपने को शाही ख़ानदान का बताया है- प्रेमवाटिका
💐भक्तिकाल के उदय को किसने "बाहरी आक्रमण की प्रतिक्रिया" कहा- आचार्य शुक्ल
💐"भीजत कब देखों इन नैना" पंक्ति किस भक्ति कालीन कवि की हैं- श्री भट्ट
✍ परीक्षा में पूछे जा चुके हैं ये तथ्य✍
💐ओरछा नरेश मधुकरशाह के राजगुरु कौन भक्तकालीन कवि थे- व्यास जी(हरिराम व्यास)
💐"मन रे परसि हरि के चरण" पंक्ति किसकी है- मीराबाई
💐 शुक्ल जी मीरा के ग्रंथों की संख्या मानी है- 04
💐उपासना पद्धति थी - मीराबाई-माधुर्य भाव, सूरदास-सख्यभाव, तुलसीदास-दास्यभाव
💐"चन्द्रहास अग्रज सुहृद परम् प्रेम पथ में पगे" किसकी पंक्ति और कौन सा छंद है- नन्ददास, छप्पय
💐"उक्ति चोज अनुप्रास बरन अस्थिति अति भारी" नामक पद भक्तमाल में किनके लिए लिखा गया है- सूरदास
💐सूरदास ने अपनी वंश परम्परा से सम्बंधित पद किस ग्रन्थ में दिया है- सहित्यलहरी
💐किसने कहा है कि मीराबाई और चैतन्य महाप्रभु पर सूफियों का प्रभाव पाया जाता है- आचार्य शुक्ल जी
💐"तुलसी की भक्ति को धर्म और ज्ञान दोनो की रसानुभूति कह सकते हैं" ऐसा किस आलोचक ने कहा- आचार्य शुक्ल ने
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