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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

क्या है एचआईवी और इसका इतिहास

क्या है एचआईवी ? क्या है इसका इतिहास ?

एड्स यानी एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिन्ड्रोम एक बीमारी है जो ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस या एचआईवी  के कारण होती है. एचआईवी संक्रमण होने के तुरंत बाद यह एक 'फ्लू’ जैसी बीमारी होती है.

 फ्लू केवल कुछ दिनों तक रहता है और बहुत हल्का होता है इस कारण लोग इसे पहचान नहीं पाते. यह वायरस धीरे-धीरे व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम कर देता है. जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इतनी कम हो जाती है कि वह संक्रमण का विरोध नहीं कर पाता, तो कहा जाता है कि व्यक्ति को एड्स हो गया है.

 #_एचआईवी_संक्रमण_को_एड्स तक पहुंचे में 8 से 9 साल लग जाते हैं.
अगर किसी व्यक्ति को एड्स हो गया है और रोगी को #_एंटी_रेट्रोवायरल उपचार नहीं दिया जा रहा तो आमतौर पर 12 से 18 महीनों में उसकी मौत हो सकती है.

 एंटी-रेट्रोवायरल उपचार पर व्यक्ति लम्बे समय तक सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है. ध्यान रहे यह इंफेक्शन कभी खत्म नहीं होता और रोगी को उम्रभर इसकी दवाओं का सेवन करना पड़ता है.

#_एचआईवी_इंफेक्शन_के_शुरुआती चरण में व्यक्ति को सामान्य महसूस होता है. एड्स होने का पता केवल टेस्ट के जरिए ही लगाया जा सकता है. ऐसे लोगों को सामान्य रूप से जीवन जीने के लिए और अपने व्यवसाय को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

#_एचआईवी_के_लक्षण

ज्यादातर एचआईवी से संक्रमित लोगों को फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव होता है. लेकिन केवल इसके लक्षणों के आधार पर इस बीमारी का पता नहीं लगाया जा सकता. एचआईवी/एड्स होने पर
#_निम्न_प्रकार के लक्षणों दिखाई देते हैं:
बुखार, पसीना आना, ठंड लगना
थकान

भूख कम लगना, वजन घटाना
मतली, उल्टी आना
गले में खराश रहना
दस्त होना
खांसी होना
सांसों लेने में समस्या
शरीर पर चकते होना
स्किन प्रोब्लम
ध्यान रहे कि यह लक्षण हमेशा रोगी की स्थिति पर निर्भर करते हैं. एचआईवी/एड्स का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट निवार्य है.

#_क्या_हैं_रिस्क_फेक्टर

कोन्डम के बिना एक या एक से अधिक से संबंध बनाना

संक्रमित व्यक्ति से संबंध बनाना
संक्रमित खून चढ़ना

संक्रमित मां से नवजात में आना

एक ही इंजेक्शन का एक या एक से अधिक व्यक्ति पर इस्तेमाल करना

#_कैसे_किया_जाता_है_एचआईवी_परीक्षण

ह्युमन इम्युनडिफिशिएंशी वायरस या एचआईवी का पता आमतौर पर शरीर में मौजूद एचआई एंटीबॉडी से पता लगता है. ध्यान रखें कि शरीर में वायरस की आने लेकर उसके एक्टिव होने तक के समय को विंडो अवधि कहा जाता है.
एचआईवी का सबसे आम टेस्ट #_एलिसा है. एक बार एलिसा (या रैपिड / स्पॉट परीक्षण) कराने पर कई बार एचआईवी संक्रमण को पकड़ पाना पूरी तरह से मुमिकन नहीं हो पाता. इसके लिए दोबारा टेस्ट कराने की जरूरत भी पड़ सकती है.

 डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एचआईवी के डाइग्नोस के लिए ईआरएस को रिपीट कराने की जरूरत हमेशा होती है. इस संक्रमण के लिए पहले किए जाने वाले #_वेस्टन_बेल्ट_टेस्ट की अब सलाह नहीं दी जाती. एक ही पॉजिटिव टेस्ट संक्रमण की सही पुष्टि नहीं करता इसके लिए हमेशा दोबारा टेस्ट कराना चाहिए...

जिस तरह एक पॉजिटिव टेस्ट इस बात की पुष्टि नहीं करता कि संक्रमण है ठीक इसी तरह एक नेगेटिव टेस्ट भी इस बात की पूरी तरह पुष्टि नहीं करता कि संक्रमण नहीं है. अगर कोई व्यक्ति हाल-फिलहाल में ही संक्रमण के संपर्क में आया है, तो हो सकता है कि पहले टेस्ट में संक्रमण को पकड़ा न जा सके. क्योंकि संक्रमण अपने विंडो फेस यानी पनपने की स्थिति में हो सकता है.
यह वायरस के रूप में पनपने के लिए करीब तीन से छह महीने का समय ले सकता है. वहीं एक पॉजिटिव रिपोर्ट का यह मतलब लगाया जा सकता है कि वह व्यक्ति वायरस के संक्रमण के संपर्क में आया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसे एड्स हो गया है.

#_एलिसा_और_वेर्स्टन_बोल्ट_टेस्ट

एड्स के लिए किया जाने वाला सबसे कॉमन टेस्ट है एलिसा  जो खून के नमूने से किया जाता है. यह टेस्ट बेहद संवेदनशील है और एचआईवी संक्रमण के अधिकतर मामलों में शुरुआती कुछ हफ्तों में भी सटीक परिणाम दे सकता है. एलिसा टेस्ट शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और संक्रमण से जुड़ा टेस्ट है.
एक ही टेस्ट से एचआईवी संक्रमण का पता लगा पाना कई बार संभव नहीं हो पाता. हालांकि ELIA टेस्ट के साथ संक्रमण की पॉजिटिव रिपोर्ट गलत आने की संभावना न के बराबर होती है. किसी भी व्यक्ति को संक्रमित करार दिए जाने से पहले यह जरूरी है कि इसके लिए टेस्ट एक या दो बार रिपीट करा लिया जाए. इसकी पुष्टि के लिए ELISA या रेपिड/स्पोट टेस्ट कराने चाहिए. दोबारा टेस्ट के दौरान अलग तरह की टेस्ट किट का इस्तेमाल किया जाता है. अब वेर्स्टन बोल्ट टेस्ट को पुष्टिकरण के लिए किए जाने वाले टेस्ट के तौर पर कम ही सुझाया जाता है.
जिस भी किसी व्यक्ति का एचआईवी संक्रमण जांच पॉजिटिव आती है उन्हें चिकित्सिय इलाज के लिए जाना चाहिए. रिपोर्ट के बाद डॉक्टर की सलाह से जरूरी लाइफस्टाइल बदलाव करने चाहिए. एक नकारात्मक रिपोर्ट का मतलब है कि वह व्यक्ति संक्रमित नहीं है या फिर संक्रमण अभी तक एंटबॉडीज लेवल पर नहीं पहुंचा है. अगर एक नकारात्मक रिपोर्ट के छह महीने बाद दोबारा कराई गई रिपोर्ट भी नेगेटिव हैं, तो एड्स संक्रमण न होने की संभावना बनती है.

#_क्या_हैं_रोकथाम

बचाव के लिए सबसे अच्छा उपाय ये है कि आप एचआईव इंफेक्शन के बारे में अधिक-से अधिक जानकारी प्राप्त करें. किसी भी प्रकार के जोखिम को उठानें से बचें और दिशानिर्देशों का पालन करें. नीचे दिए गए टिप्स को अपनाकर आप एचआईवी इंफेक्शन के खतरे से सुरक्षित रह सकते हैं:

 कंडोम का उपयोग

नशीली दवाओं के दुरुपयोग से बचें.

कभी भी इस्तेमाल की गई सूई से
 इंजेक्शन न लगवाएं.

पैसे लेकर ब्लड देने वाले डोनर से बचें
.
जितनी जल्दी हो सके एक योग्य डॉक्टर से सम्पर्क करें और अपने साथी के भी जरूरी टेस्ट करवाएं.

कैजुअल सेक्स से बचें.

इस समय, फिलहाल एचआईवी संक्रमण का कोई इलाज या टीकाकरण नहीं है, हालांकि इसके टीकाकरण को लेकर काफी शोध किया जा रहा है. किसी भी प्रकार का जोखिम या शक होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से सम्पर्क करें.

#_एड्स_कि_उत्पत्ति

इसकी उत्पत्ति किन्शासा शहर में हुई, जो कि अब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो की राजधानी है.

इस बीमारी के सामने आने के 30 साल बाद इसकी उत्पत्ति का पता चल पाया है.

#_साइंस_जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया था
वैज्ञानिकों ने वायरस के जैनेटिक कोड के नमूनों का विश्लेषण किया. प्रमाणों में इसकी उत्पत्ति किन्शासा में होने का पता चला.

रिपोर्ट के मुताबिक तेज़ी से बढ़ती वेश्यावृत्ति, आबादी और दवाखानों में संक्रमित सुइयों का उपयोग संभवत इस वायरस के फैलने का कारण बने.

दुनिया भर की नज़रों में #_एचआईवी_1980 के दशक में आया था और क़रीब साढ़े सात करोड़ लोग एचआईवी से ग्रस्त हैं.

#_ऑक्सफ़ोर्ड_और_बेल्जियम_की_ल्यूवेन_यूनिवर्सिटी की शोध टीमों ने एचआईवी की 'फेमिली ट्री' की पुनर्संरचना बनाने का प्रयास किया.
वैज्ञानिकों के मुताबिक एचआईवी चिंपैज़ी वायरस का परिवर्तित रूप है,

 #_यह_सिमियन_इम्युनोडिफिसिएंसी वायरस के नाम से भी जाना जाता है.

 किन्शासा बुशमीट का बड़ा बाज़ार था और संभवत संक्रमित खून के संपर्क में आने से यह मनुष्यों तक पहुंचा.
वायरस कई तरीके से फैला.

इन वायरस ने चिंपैंज़ी, गोरिल्ला, बंदर और फिर मनुष्यों को अपने प्रभाव में लिया.

मसलन, एचआईवी-1 सबग्रुप ओ ने कैमरून में लाखों लोगों को संक्रमित किया.

एचआईवी-1 सबग्रुप एम दुनिया के हर हिस्से में फैला में लाखों लोगों को अपनी गिरफ़्त में लिया.

वेश्यावृत्ति और संक्रमित सुइयां
ऐसा क्यों हुआ, इसका जवाब तलाशने के लिए
#_कई_दशक_पीछे_जाना_होगा.
1920 के दशक तक किन्शासा बेल्जियन कॉन्गो का हिस्सा था और 1966 तक इसे लियोपोल्डविले कहा जाता था.

यह क्षेत्र बहुत बड़ा था और इसका तेज़ी से विस्तार हो रहा था. औपनिवेशक मेडिकल रिकॉर्ड बताते हैं कि विभिन्न यौन संक्रमित बीमारियां बहुत तेज़ी से फैल रही थी."

शहर में बड़ी संख्या में पुरुष आए और किन्शासा का लिंग अनुपात बिगड़कर प्रति स्त्री दो पुरुष हो गया. नतीजा वैश्यावृति तेज़ी से फैली.

ये दोनों प्रकार के वायरस लगभग एक ही तेज़ी से फैलते रहे. स्वास्थ्य शिविरों में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रही संक्रमित सुइयों ने इस वायरस को मानों पंख ही लगा दिए.

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