वर्णसंकर संतान के संबंध में चाणक्य का विचार ।।

चंद्रगुप्त और सेल्यूकस के बीच युद्ध चल रहा था। उसमें अपनी निश्चित हार को देखते हुए सम्मानजनक समझौते के लिए अपनी पुत्री हेलेना के विवाह का प्रस्ताव चंद्रगुप्त के पास भेजा।

 हेलेना बेहद खूबसूरत थी प्रस्ताव पर राज दरबार में चर्चा हुई। चाणक्य ने कहा प्रस्ताव अच्छा है, दो सभ्यताएं, दो संस्कृतियां एक दूसरे के करीब आएंगी। स्थापत्य, कला, लोक कला, खानपान आदि का आदान-प्रदान होगा।

लेकिन हेलेना से पैदा हुआ बेटा  कभी भी पाटलिपुत्र की गद्दी पर नहीं बैठेगा। क्योंकि वर्णसंकर संतान कभी भी देश और समाज का भला नहीं कर सकती।

चाणक्य की सीधी सादी बात को हम हिंदुस्तानियों को समझना चाहिए ।

आइए जानते हैं :~ 👇

बंदी सेल्यूकस की पुत्री से चंद्रगुप्त का विवाह... को चाणक्य ने क्यों नहीं स्वीकारा ।


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