भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अंतर्गत केन्द्रीय बजट का प्रावधान किया गया है। केन्द्रीय बजट में आगामी वित्त वर्ष (1 अप्रैल-31 मार्च) के लिए सरकार द्वारा निर्धारित वित्तीय क्रियाकलापों का विवरण रहता है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में अभी तक पेश किए गए अधिकांश बजट “घाटे के बजट” ही थे| आम तौर पर भारत के केन्द्रीय बजट फरवरी के अंत में प्रस्तुत किये जाते हैं । भारत में सबसे अधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व वित्तमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है, उन्होंने 10 बार बजट पेश किया था.
इस लेख में हम भारतीय बजट से संबंधित 7 अनूठे प्रश्नों का उत्तर दे रहे हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है|
प्रश्न 1. यदि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है तो संसद में बजट अंग्रेजी में ही क्यों प्रस्तुत किया जाता है?
उत्तर. सबसे पहले हम आपको बताना चाहते हैं कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है, बल्कि यह संविधान में वर्णित कई आधिकारिक भाषाओं में से एक है। भारत के विभिन्न राज्यों में संविधान में वर्णित 22 आधिकारिक भाषाओं (असमिया, बांग्ला, कन्नड़, कश्मीरी, मैथिली, मलयालम, मराठी, पंजाबी, संस्कृत और उर्दू आदि) के अलावा अंग्रेजी भाषा का भी प्रयोग किया जाता है|
प्रत्येक भारतीय राज्य को अपनी आधिकारिक भाषा चुनने की स्वतंत्रता है। चूंकि सांसद अलग-अलग राज्यों से चुनकर आते हैं जहां कि आधिकारिक भाषा अलग-अलग होती है लेकिन अधिकांश सांसद अंग्रेजी भाषा जानते हैं और उन्हें अंग्रेजी भाषा में बात करने में सहूलियत होती है जिसके कारण बजट अंग्रेजी भाषा में पेश किया जाता है|
इसके पीछे एक कारण यह भी है कि सांसदों को उपलब्ध ईयरफोन में अंग्रेजी भाषा को हिन्दी भाषा में और हिन्दी भाषा को अंग्रेजी भाषा में अनुवाद करने की सुविधा होती है| हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि आम लोगों के बीच यह गलतफहमी है कि बजट “हिन्दी भाषा” में तैयार नहीं किया जाता है| वास्तव में अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ हिन्दी भाषा में भी बजट तैयार करने की परम्परा 1955-56 से ही शुरू हो गई थी|
प्रश्न 2. भारत में पहला बजट कब पेश किया गया था और किसने किया था?
उत्तर. स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट 26 नवंबर, 1947 को R.K. शनमुखम शेट्टी द्वारा प्रस्तुत किया गया था. जबकि पहला रेल बजट 20 नवम्बर 1947 को पेश किया गया था.
अतः ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी ने उन्हें ‘लाल रंग’ का चमड़े का एक बैग दिया जिसे "बजट बॉक्स" कहा गया| उसके बाद से ही सभी वित्तमंत्रियों द्वारा बजट पेश करते समय लाल रंग वाले बैग लाने की परम्परा की शुरूआत हुई जो आज तक चली आ रही है.
प्रश्न 4. भारत में हमेशा घाटे का बजट ही क्यों पेश किया जाता है?
उत्तर:- भारत राज्यों का एक संघ है। किसी भी संघ में दो मुख्य संस्थाएं होती हैं: संघीय राज्य और केंद्र हैं। भारत मजबूत केंद्र वाला ‘राज्यों का संघ’ है | भारत के संविधान में केंद्र को ‘राज्यों का संघ’ कहा गया है| इसी कारण संघ के बजट को "केंद्रीय बजट" (union budget)कहा जाता है।
प्रश्न 6. संसद में पेश किया जाने वाला बजट पेपर से ही क्यों पढ़ा जाता है क्या इसे डिजिटल नही बनाया जा सकता है?
उत्तर. फ़िलहाल भारत सरकार डिजिटल बजट पेश करने के बारे में नहीं सोच रही है| ऐसा कुछ सुरक्षा कारणों की वजहों से भी हो सकता है क्योंकि यदि डिजिटल बजट साइबर हैकिंग का शिकार हो गया तो भारतीय अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर भी पहुंचाई जा सकती है। इसलिए बजट को सफेद कागज पर काली स्याही से छापा जाता है (ताकि स्पष्ट दिखायी दे)| यहाँ पर यह बात बताने योग्य है कि भारत में उत्तराखंड ने सबसे पहले डिजिटल बजट पेश किया था.
प्रश्न 7. संतुलित बजट और घाटे का बजट किसे कहा जाता है?
उत्तर. जब, सरकार द्वारा किया जाने वाला व्यय, उसकी आय के बराबर होता है तो उसे “संतुलित बजट” कहा जाता है, लेकिन जब बजट व्यय, बजट राजस्व से अधिक रहता है तो इसे “घाटे का बजट” कहा जाता है. इसके उलट यदि सरकार की आय अधिक होती है और व्यय उससे कम होता है तो इसका मतलब है कि सरकार ने कुछ पैसा बचा लिया है या सरप्लस बजट बनाया है. ध्यान रहे कि दुनिया में लगभग हर देश का बजट घाटे का ही बनाया जाता है.
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