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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

भारत में प्राकृतिक वनस्पति

🕎 अंडमान निकोबार दीप समूह का 75% भाग सदाबहार वन से ढका हुआ है।

🕎 भारत में मुख्य रूप से पांच प्रकार के वन पाए जाते हैं।

1- उष्णकटिबंधीय वर्षा वन/ सदाबहार वन/ विषुवतीय वन

2- उष्णकटिबंधीय मानसूनी वन/ पतझड़ वाले वन/ पर्णपाती वन

3- कटीले वन एवं झाड़ियां

4- पर्वतीय वन

5- ज्वारीय वन एवं मैग्रुव वन

🕎 उष्णकटिबंधीय वर्षा वन

⏩ जिन क्षेत्रों में तापमान अधिक पाया जाता है तथा वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है वहां उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन पाया जाता है। चूंकि इस वन में लगभग साल भर वर्षा होती रहती है अतः यहां के वन बहुत हरे भरे होते हैं परिणाम स्वरुप वृक्ष अपने पतियों को गिराते नहीं है इसलिए इस वन को सदाबहार वन भी कहते हैं इनके वृक्ष लंबे लंबे होते हैं।

⏩ आबूनस, एबोनी, महोगनी, रोजवुड, नारियल, ताड बास, रबड़, सिनकोना।

🕎 भारत का सर्वाधिक रबड़ उत्पादक राज्य – केरला भारत दुनिया का चौथा सर्वाधिक रबड़ उत्पादक देश है।

🕎 वर्षा वन भारत में मुख्य रूप से चार क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

1- पश्चिमी घाट का पश्चिमी ढाल और पश्चिमी तटीय प्रदेश

2- हिमालय का तराई क्षेत्र

3- अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर पूर्वोत्तर भारत

4- अंडमान निकोबार द्वीपसमूह

🕎 पश्चिमी घाट के उत्तर की ओर वर्षा वन को शोला के नाम से जाना जाता है।

🕎 विशेषता

⏩ लंबे वृक्ष

⏩ घने सघन वन जिसके कारण सूर्य का प्रकाश नहीं आ पाता है

⏩ यहां पर जिवो और वनस्पतियों की प्रजातियों की बहुत ज्यादा विविधता पाई जाती है।

⏩ वर्षावन जैविक विविधता के भंडार होते हैं।

⏩ कठोर लकड़ी के भंडार

⏩ वर्षावन के लकड़ियों की आर्थिक उपयोगिता बहुत कम है क्योंकि यह अत्यधिक कठोर है तथा अत्यधिक घने होने के कारण काटना असंभव है।

🕎 उष्णकटिबंधीय मानसूनी वन

⏩ उष्णकटिबंधीय मानसूनी वन देश के भीतरी भागों में उत्तर प्रदेश से लेकर तमिलनाडु तक तथा मध्य प्रदेश से लेकर झारखंड तक के क्षेत्र में पाए जाते हैं।

⏩ इन क्षेत्रों में 100 सेंटीमीटर से 200 सेंटीमीटर के बीच वार्षिक वर्षा होती है।

⏩ यहां मानसूनी पवनों के द्वारा मौसमी वर्षा होती है यहां बंगाल की खाड़ी शाखा तथा बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न चक्रवात से वर्षा होती है।

⏩ देश के सर्वाधिक क्षेत्रफल पर मानसूनी वन पाए जाते हैं।

⏩ चुकी मानसूनी वनों के वृक्ष शीत ऋतु के बाद और गर्मी के आगमन के पहले अपनी पत्तियां गिरा देते हैं इसलिए इन्हें पतझड़ वाले वन या पर्णपाती वह भी कहते हैं।

⏩ शीशम, साल, सागवन, साखु, आम, आंवला, चंदन

⏩ चंदन मुख्य रूप से कर्नाटक और नीलगिरी के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है।

🕎 यह वन दो क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

1- उत्तर भारत में उत्तर भारत के मैदान में उत्तर प्रदेश और बिहार में

2- मध्य प्रदेश से लेकर तमिलनाडु तक पूरे पठारी भागों में

Note - वृष्टि छाया प्रदेश को छोड़कर

🕎 विशेषता

⏩ मुलायम लकड़ी के वृक्ष इमारती लकड़ी के रूप में

⏩ आर्थिक उपयोगिता अधिक

⏩ चंदन की आर्थिक उपयोगिता अधिक

🕎 कटीले वन एवं झाड़ियां

⏩ भारत के जिन क्षेत्रों में 70 सेंटीमीटर से भी कम वार्षिक वर्षा होती है वहां कटीले वन एवं झाड़ियां पाई जाती हैं ।

जैसे – पश्चिमी भारत एवं वृष्टि छाया प्रदेश

⏩ क्योंकि यहां पर वर्षा कम होती है जिसके कारण प्रकृति ने यहां के वनों के पेड़ों व पौधों की पत्तियों को काटो में तब्दील कर दिया है ताकि वाष्पीकरण कम हो तथा यहां के वृक्ष अपने जीवन को बचाए रख सके। और कांटो के कारण जानवर भी नहीं खा नहीं पाते हैं।

⏩ बबूल, खजूर, नागफनी, खेजड़ा, बेर, करीन

🕎 ये वन मुख्य रूप से दो क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

1- पश्चिमी भारत पंजाब, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, गुजरात

2- वृष्टि छाया प्रदेश के अंतर्गत मध्यप्रदेश के इंदौर से लेकर आंध्र प्रदेश के करनौल जिले तक एक अर्धचंद्राकार पेटी में कटीली झाड़ियां पाई जाती हैं।

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