० प्रसिद्ध आरती ‘ ओम जय जगदीश हरे ’ पंजाब के संस्कृत एवं हिंदी के विद्वान श्रद्धाराम फुल्लौरी द्वारा लिखा गया है | इनके द्वारा लिखा गया ग्रंथ ‘ भाग्यवती ’ उपन्यास तथा ‘ सत्यामृत प्रवाह ’ धार्मिक पुस्तक है |
० अमीर खुसरो [ 1255 ई. – 1324 ई. ] को हिंदी खड़ी बोली को काव्यभाषा के रूप में प्रथम प्रयोगकर्ता कहा जा सकता है | खुसरो की पहेलिया लोक प्रसिद्ध है |
० अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’[ 1865ई. -1947ई. ] द्वारा लिखित ‘ प्रियप्रवास ’ हिंदी खड़ी बोली का आधुनिक काल का प्रथम महाकाव्य है |
० खड़ी बोली का अन्य नाम ‘ कौरवी ’ तथा हरियाणवी का अन्य नाम ‘ बांगरू ’ के नाम से भी जाना जाता है |
“अपभ्रंश का वाल्मीकि ” स्वयंभू को कहा जाता है |
० प्रथम सूफी प्रेमाख्यानक कवि मुल्ला दाऊद है | जिनकी रचना ‘ चंदायन ‘ है | जिसका रचनाकाल 1379 ई. है | इस रचना के नायक लोर ( लोरिक ) एंव नायिका चंदा का प्रेम वर्णन किया गया है |
० ऋग्वेद संस्कृत का प्राचीनतम ग्रंथ है | इस ग्रंथ में 10 मण्डल ,1028 सूक्त एंव 10580 ऋचाएँ है | देवताओं की स्तुतियों से सम्बंधित श्लोक है |
० अथर्ववेद में जादू – टोने , मंत्र –तंत्र ,टोने –टोटके आदि का वर्णन किया गया है |
० यजुर्वेद की दो शाखा है – दक्षिण भारत में प्रचलित कृष्ण यजुर्वेद तथा दूसरी उत्तर भारत में प्रचलित शुक्ल यजुर्वेद | इसमें यज्ञ की प्रक्रिया के लिए गद्य एवं पद्य में मंत्र है |
० सामवेद गीत संगीत प्रधान वेद है | सभी वेदों में आकार की दृष्टि से सबसे छोटा है | इसमें 1875 मंत्रों में 69 को छोड़कर सभी ऋगवेद से लिए गये है | इसकी प्रशंसा में गीता में श्री कृष्ण कहते है कि – वेदानां सामवेदोsस्मि आर्थात् वेदों में मैं सामवेद हूँ |
० संस्कृत भाषा का सबसे बड़ा व्याकरण ग्रंथ ‘ अष्टाध्यायी ’ है | जिसे महर्षि पाणिनि ने लिखा है |
बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ ‘ त्रिपिटक ’ है | यह ‘ पालि ’ भाषा में लिखा गया है | ‘ त्रिपिटक ’ के तीन भाग हैं – (i) सुत्त पिटक (ii) विनय पिटक (iii) अभिधम्म पिटक |
० हेमचंद्र ने ‘ प्राकृत व्याकरण ’ की रचना की है |इन्हे प्राकृत के पाणिनि की संज्ञा दी जाती है |
० अपभ्रंश के महान कवि स्वयंभू हैं |
० “ वाक्यं रसात्मकं काव्यम् ” ( रस युक्त वाक्य काव्य है ) , आचार्य विश्वनाथ ने काव्य लक्षण की परिभाषा देते हुए कहा था | इनकी प्रसिद्ध काव्य शास्त्र की पुस्तक ‘ साहित्य दर्पण ’ है |
० “ शब्दार्थौ सहितौ काव्यम् ” संस्कृतके प्रसिद्ध कवि भामा द्वारा कहा गया है |
० संतन को कहा सीकरी सों काम , आवत जात पनहियाँ टूटी , बिसरि गयो हरि नाम | यह पद अष्टछाप के प्रसिद्ध कवि कुम्भन दास द्वारा रचित है |
० घनानंद की प्रसिद्ध उक्ति है – “ अति सूधो सनेह को मारग है ,जहाँ नैकु समापन बांक नहीं ” |
० “नहि पराग नहिं मघुर मधु नहिं विकास इहि काल | अली कली ही सौं विंध्यौ आगे कौन हवाल” ||यह दोहा बिहारी द्वारा रचित राजा जयसिंह के लिए कहा गया है |
० “ तू कहता कागज की लेखी ,मैं कहता आखिन की देखी “| नामक प्रसिद्ध उक्ति कबीर दास द्वारा कही गई है |
० सूफी मान्यता के अनुसार इश्क मजाजी ( लौकिक प्रेम ) के द्वारा इश्क हकीकी ( ईश्वरीय प्रेम ) को पाया जा सकता है | सूफी मत के अनुसार हक ( ईश्वर ) तक पहुँचने के लिए चार मुकामात ( मंजिलें ) पार करनी पड़ती है , जिनके नाम हैं – शरीयत , तरीकत ,हकीकत , मारिफत | इन्हे पार करके वह परमात्मा से एकाकार हो जाती है |
० खेती न किसान को भिखारी को न भीख बलि, बनिक को बनिज न चाकर को चाकरी ||
महाकवि तुलसीदास की यह प्रसिद्ध पंक्ति ‘ कवितावली ’ से ली गयी है |
० रीतिकाल को विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने ‘श्रृंगार काल ’ तथा मिश्रबंधु ने ‘ अलंकृत काल ’ कहा है |
० ‘ मिश्रबंधु विनोद ’ ( 4 भाग ) के रचनाकार मिश्रबंधु हैं | ये तीनों सहोदर भाई थे , जिनके नाम हैं – गणेश बिहारी मिश्र , श्याम बिहारी मिश्र , सुकदेव बिहारी मिश्र | कोई भी रचना ये तीनों भाई मिल कर करते थे |
० ‘ कबीर वाणी के डिक्टेटर थे ’ यह प्रसिद्ध कथन हजारी प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा कहा गया है |
जदपि सुजाति सुलच्छनी सुबरन सरस सुवृत्त |
भूषण बिनु न विराजई कविता बनिता मित्त ||
यह प्रसिद्ध दोहा अलंकार वादी आचार्य केशव दास द्वारा रचित है |
बिहारीलाल के विषय में दो उक्तियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं |
गागर में सागर भरना |
सतसैया के दोहरे ज्यों नावक के तीर |
देखन में छोटे लगे घाव करै गम्भीर ||
० “ आध्यात्मिक रंग के चश्में आजकल बहुत सस्ते हो गये हैं ,उन्हे चढ़ाकर कुछ लोगों को गीत गोविंद ( जयदेव ) के पदों में आध्यात्मिकता दिखती है , वैसे ही ‘ पदावली ’( विद्यापति) के पदों में | – यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है |
० पंडित सअल सत्त बक्खाणइ , देहहि बुद्ध बसंत न जाणइ |, यह काव्य पंक्ति सरहपा की है |
० ‘ वर्णरत्नाकर ’मैथिली भाषा का प्राचीनतम उपलब्ध ग्रंथ है |
० “ बालचंद बिज्जावइ भाषा , दुहु नहि लग्गइ दुज्जन हासा ” यह पंक्ति विद्यापति की है |
० हिंदी काव्य में भ्रमर गीत का मूल स्रोत “ श्रीमद् भागवत पुराण ” के दशम् स्कंध के 46 व 47वें अध्याय से है |
० हिंदी भारोपीय परिवार की भाषा है |
० 14 सितम्बर को हिंदी दिवस तथा 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है |
० सांस्कृतिक जागरण सम्बंधि संस्थाएँ
संस्था/संस्थापक/स्थापना/ वर्ष
आर्य समाज/दयानंद सरस्वती/1875 ई.
प्रार्थना समाज/केशवचंद्र सेन/1867 ई.
रामकृष्ण मिशन/स्वामी विवेकानंद/1897 ई.
ब्रह्म समाज/राजा राम मोहन राय/1828 ई.
थियोसोफिकल सोसायटी/मैडम ब्लावात्सकी और कर्नल अल्कॉट/1875 ई.
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