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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

मरीज की केस हिस्ट्री जानने में मददगार होगा हेल्थ डिजिटल मिशन।।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश के लिये नेशनल हेल्थ डिजिटल मिशन लाने का ऐलाना किया है। हर किसी के मन में सवाल उठ रहे हैं कि नेशनल हेल्थ डिजिटल मिशन क्या है और इससे लोगों को क्या फायदे होंगे। दिल्ली के लोक नायक अस्पताल के स्वास्थ्‍य विशेषज्ञ डॉ. नरेश गुप्ता की मानें तो इससे न केवल आम आदमी को लाभ होगा, बल्कि डॉक्टरों को इलाज में भी मदद मिलेगी। 
 
प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. गुप्ता ने बताया कि यह स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण घोषणा है, कुछ साल पहले आयुष्मान भारत योजना आयी थी, जिससे गरीब लोगों को काफी फायदा हुआ। उसी तरह नेशनल हेल्थ डिजिटल मिशन से लोगों का हेल्थ रिकॉर्ड रखे जाएंगे। हेल्थ डाटा में क्या-क्या शामिल किया जाएगा, यह तय करना अभी बाकी है। इसके आने के बाद अगर किसी को कोई बीमारी होती है तो उसका पूरा रिकॉर्ड होगा, वो भी एक डाटा के रूप में और देश में कहीं भी, कभी वो देखा जा सकेगा। इससे मरीज की हिस्ट्री जानने में काफी मदद मिलेगी।

मरीज और डॉक्टर दोनों को होगा फायदा

नेशनल हेल्थ डिजिटल मिशन से फायदा के बारे में उन्होंने कहा कि अक्सर लोग जब इलाज कराने जाते हैं तो बीमारी की हिस्ट्री भूल जाते हैं। इससे उनका डेटा उनके पास रहेगा। इसमें उन्हें एक कार्ड मिल सकता है, या कोई भी डिजिटल पास दिया जाएगा, जिसमें उनके हेल्थ का पूरा रिकॉर्ड होगा। खास बात यह है कि आज के समय में टेलीमेडिसिन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके आने से टेलीकंसल्टेशन के दौरान केवल बताना होगा कि क्या परेशानी है, बाकी डॉक्टर उस आईडी से अपने कंप्‍यूटर पर देख लेंगे। डॉक्टर के पास मरीज के बारे में क्लिनिकल स्टडी करने का मौका भी रहेगा। ये डॉक्टर और मरीज दोनों के लिये बहुत उपयोगी होगा।

भारत में वैक्सीन उत्पादन की तैयारी 

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन वैक्सीन का जिक्र किया और उसके प्रोडक्शन के बारे में की अहम बाते कहीं इस बारे में डॉ गुप्ता ने कहा कि कोविड की तीन वैक्सीन के साथ भारत अग्रिम पंक्ति में आ चुका है। पहली भारत बायोटेक की को-वैक्स‍िन, दूसरी जाइडस कैडिला कंपनी की जाइको-डी है और तीसरी वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट, पुणे ने ऑक्सफोर्ड के साथ मिल कर बनायी है। ये तीनों वैक्सीन फेज़-1 के ट्रायल में सफल हुई हैं। आगे के ट्रायल चल रहे हैं। इनमें से कोई भी वैक्सीन जैसे ही सफल होगी, वो तुंरत लोगों को कैसे मुहैया करायी जायेगी, कैसे जल्दी से जल्दी उत्पादन होगा, इसके लिये रणनीति बन चुकी है और खाका तैयार कर लिया गया है। सिर्फ वैक्सीन के परिणाम आने का इंतजार है।

90 प्रतिशत लोगों में नहीं है कोई लक्षण

इस दौरान कोरोना गॉगल वायरस से कितनी  सुरक्षा करता है इस पर उन्होंने कहा कि कोरोना गॉगल उन डॉक्टरों के लिये है, जो कोविड वार्ड में रहते हैं। कोविड मरीजों का इलाज करते हैं और संक्रमितों के पास जाते हैं। जिस तरह से एन95 मास्क  सामान्य लोग नहीं लगा पाते हैं, उन्हें घुटन होने लगती है, उसी तरह यह गॉगल सामान्य लोगों के लिए नहीं है। इससे उनको परेशानी हो सकती है। इसके साथ  उन्होंने कहा कि सीरो सर्वे में पता चला है कि 90 प्रतिशत कोरोना मरीजों में कोई लक्षण नहीं आये हैं, लेकिन वो दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। इसलिये वायरस से खुद को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने जो नियम बताये हैं, उनका बहुत ध्यान से पालन करें।

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