1. जिला - भीलवाड़ा
2. बिजौलिया का प्राचीन नाम - विजयावल्ली
3. संस्थापक - अशोक परमार
4. बिलौलिया, मेवाड़ रियासत का ठिकाना था।
5. कारण
1. लगान की दरे अधिक थी।
2. लाग-बाग कई तरह के थे।
3. बेगार प्रथा का प्रचलन था।
बिलौलिया किसानों से 84 प्रकार का लाग-बाग(टैक्स) वसुल किया जा जाता था।
बिजौलिया के किसान धाकड़ जाति के लोग अधिक थे।
बिजौलिया किसान आन्दोलन तीन चरणों में पुरा हुआ था।
1. 1897 से 1916 - नेतृत्व - साधु सीताराम दास
2. 1916 से 1923 - नेतृत्व - विजयसिंह पथिक
3. 1923 से 1941 - नेतृत्व - माणिक्यलाल वर्मा, हरिभाऊ उपाधाय, जमनालाल बजाज, रामनारायण चैधरी।
प्रथम चरण -(1897 से 1916 तक)
1. 1897 में बिजौलिया के किसान गंगाराम धाकड़ के मृत्युभोज के अवसर पर गिरधारीपूरा गांव से एकत्रित होते और ठिकानेदार की शिकायत मेवाड़ के महाराणा से करने का निश्चिय करते हैं। और नानजी पटेल व ठाकरी पटेल को उदयपुर भेजा जाता है जहां मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह ने कोई भी कार्यवाही नहीं की।
2. इस समय बिजौलिया के ठिकानेदार रावकृष्ण सिंह ने 1903 में किसानों पर चंवरी कर लगाया।
3. चंवरी कर एक विवाह कर था इसकी दर 5 रूपये थी। 1906 में कृष्णसिंह मर गया और नये ठिकानेदार राव पृथ्वीसिंह बने जिन्होंने तलवार बंधाई कर(उत्तराधिकारी शुल्क) किसानों पर लागु कर दिया।
4. 1915 में पृथ्वी सिंह ने साधु सीताराम दास व इसके सहयोगी फतहकरण चारण व ब्रह्मदेव को बिजौलिया से निष्कासित कर दिया।
द्वितीय चरण -(1916 से 1923 तक)
1. 1917 में विजयसिंह पथिक ने ऊपरमाल पंचबोर्ड(उपरमाल पंचायत) का गठन मन्ना पटेल की अध्यक्षता में किया। बिजौलिया किसान आन्दोलन को लोकप्रिय व प्रचलित करने वाले समाचार पत्र 1. प्रताप 2. ऊपरमाल डंका थे।
2. 1919 में बिन्दुलाल भट्टाचार्य आयोग को बिजौलिया किसान आन्दोलन की जांच के लिए भेजा जाता है। इस आयोग ने लगान कि दरें कम करने तथा लाग-बागों को हटाने की सिफारिश की किन्तु मेवाड के महाराणा ने इसकी कोई भी सिफारिश स्वीकार नहीं की।
3. 1922 में राजपुताना का ए.जी.जी. राॅबर्ट हाॅलैण्ड बिजौलिया आते हैं और किसानों और ठिकानेदार के मध्य समझौता करवाते हैं यह समझौता स्थाई सिद्ध नहीं हुआ।
4. 1923 में विजय सिंह पथिक को गिरफ्दार कर लिया जाता है और 6 वर्ष की सजा सुना देते है।
तृतीय चरण -(1923 से 1941)
1. 1941 में मेवाड़ के प्रधानमंत्री सर टी. विजयराघवाचार्य थे इन्होंने अपने राजस्व मंत्री डा. मोहन सिंह मेहता को बिजौलिया भेजा इसने ठिकानेदार व किसानों के मध्य समझौता किया। लगान की दरे कम कर दी, अनेक लाग-बाग हटा दिये और बेगार प्रथा को समाप्त कर दिया।
2. यह किसान आन्दोलन सफलता पूर्वक समाप्त होता है।
3. इस किसान आन्दोलन में दो महिलाओं रानी भीलनी व उदी मालन ने भाग लिया।
4. किसान आन्दोलन के समय माणिक्यलाल वर्मा ने पंछिड़ा गीत लिखा।
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